गया: बिहार की धार्मिक नगरी गया (Gaya) में सनातन पंचांग के अनुसार अभी पितृपक्ष (Pind Dan During Pitrapaksh) चल रहा है. इस दौरान देश-विदेश से पिंडदानी गया जी में अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए पिंडदान करने आते हैं. कोरोना की तीसरी लहर की संभावना को देखते हुए सरकार और जिला प्रशासन ने इस बार राजकीय मेला का आयोजन नहीं किया है. इस दौरान एहतियातन कोविड टेस्ट बड़े पैमाने पर करने का दावा किया गया था, लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई है.
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दरअसल, जिले में पिछले 3 दिनों में 30,000 से ज्यादा तीर्थयात्री आए हैं. पिंडदानियों के भारी संख्या में पहुंचने के बावजूद टेस्टिंग बढ़ाने के बजाए घटा दी गई है. जिला प्रशासन ने पहले दावा किया था कि जो भी पिंडदानी आएगें, उनकी कोरोना जांच की जाएगी. वहीं पिंडदानियों की कोरोना जांच का दावा धरातल पर कहीं नहीं दिख रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत की टीम ने गया जंक्शन पर कोरोना जांच की पड़ताल की.
ईटीवी भारत की पड़ताल में पाया गया कि गया जंक्शन पर कोरोना जांच की व्यवस्था की गई है. गया जंक्शन पर चार कोविड टेस्ट काउंटर है. कोविड-19 काउंटर पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी विनोद कुमार ने बताया कि गया जंक्शन पर एक्सप्रेस ट्रेन से आने वाले यात्रियों का कोविड-19 टेस्ट किया जा रहा है. पिछले 3 दिनों में एक भी कोरोनो पॉजिटिव नहीं मिला है. हर दिन 1000 से 1200 लोगों का कोविड टेस्ट किया जाता है.
स्वास्थकर्मियों ने बताया कि कोविड टेस्ट करवाने के लिए यात्री हम लोग से उलझ जाते हैं. उनका कहना है कि कोरोना के दोनों डोज का टीका लेने के बाद उसको भी टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है. एक और स्वास्थ्यकर्मी अरुण कुमार ने बताया कि हमलोग दिन रात कोविड टेस्ट करने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन गया आनेवाले यात्री सहयोग नहीं करते हैं. कोरोना जांच के लिए स्वास्थ्य कर्मियों की यहां काफी कमी है, जिसके वजह से टेस्टिंग कम हो रही है.
बता दें कि गया जिले में कोरोना के अब कोई एक्टिव केस नहीं है. पितृपक्ष के दौरान भी जांच के दौरान अभी तक एक भी पॉजीटिव मरीज नही मिले हैं. जिले में अब तक 20 लाख 38 हजार 50 लोगों की कोरेाना जांच की जा चुकी है.
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