गया: चमकी बुखार से सैकड़ों बच्चों की मौत हो चुकी है. इसको लेकर पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है. गया भी साल 2002 में इस बिमारी से काफी प्रभावित था. लेकिन इस बार जिला प्रशासन इसको लेकर काफी अलर्ट है. इससे बचने के लिए डॉक्टर अजीत कुमार ने कहा कि लोगों को भी सचेत रहने की जरूरत है.
जापानी बुखार के वायरस बरसात में काफी सक्रिय हो जाते हैं. इससे हर साल हजारों बच्चे ग्रसित होते हैं. इसको लेकर इस बार प्रशासन काफी अलर्ट है. प्रशासन जापानी बुखार को लेकर टीकाकरण और जागरूकता अभियान चला रहा है. मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी इसको लेकर पूरी तरह से मुस्तैद है.
जापानी बुखार को लेकर प्रशासन अलर्ट
मगध प्रमण्डल आयुक्त पंकज कुमार पाल ने बताया कि मगध क्षेत्र में बरसात के आगमन होते ही जापानी बुखार का असर देखने को मिलता है. इस वर्ष इस बीमारी को लेकर हमलोग मुस्तैद हैं. सभी स्तर की तैयारी पूरी कर ली गई है. मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी एईएस के इलाज के लिए पूरी तरह तैयार है. प्रभावित क्षेत्रों में टीकाकरण का कार्य किया जा रहा है. इसके साथ ही जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा.
ये हैं जापानी बुखार होने की वजह
वहीं, डॉक्टर अजीत कुमार ने जापानी बुखार के लक्षण और बचाव की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि :-
- बरसात के मौसम में ही बच्चे जापानी बुखार से ज्यादा ग्रसित होते हैं.
- यह बीमारी गांव में ज्यादा होती है.
- जापानी बुखार संक्रमित मच्छरों से फैलने वाला विषाणु है.
- वायरस संक्रमित मच्छरों के काटने से यह फैलता है.
- धान के रोपनी समय ये मच्छर पैदा होते हैं.
- सुअरों के रहने वाले स्थान पर भी ये मच्छर पैदा होते हैं.
इससे बचने के उपाय
- बच्चों को धान की खेती से दूर रखिये.
- घर के आसपास जलजमाव नहीं होने दें.
- जलजमाव में किरासन तेल या मच्छर मारने वाला रसायन डालें.
- बच्चों को पूरा कपड़ों से ढक कर रखें.
- मच्छरदानी लगाकर ही सोएं.
- बच्चों को हल्का बुखार होने पर भी तुरन्त नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं.
इसके ये हैं लक्षण :
- अचानक सिर दर्द होना
- तेज बुखार
- दिमाग मे सूजन होना
- गर्दन सीधा रहना
- गर्दन घुमाने में बहुत दर्द होना