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Lord Brahma Footprints: गया के तपोवन में भगवान ब्रह्मा के चरण चिह्न! बोले श्रद्धालु- विश्व धरोहर में मिलना चाहिए स्थान - ईटीवी भारत बिहार

बिहार में ऐसी कई प्राचीन धरोहर हैं जिसकी अपनी मान्यता है. इन्हीं में से एक है गया में भगवान ब्रह्मा के चरण चिह्न. लोगों का कहना है कि भगवान साक्षात यहां प्रकट हुए थे लेकिन सरकारी उपेक्षा के चलते इस ऐतिहासिक स्थान की जानकारी बहुत कम लोगों को है. पढ़ें पूरी खबर..

Footprints of Lord Brahma at Tapovan
Footprints of Lord Brahma at Tapovan
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Published : Jan 19, 2023, 5:40 PM IST

गया के तपोवन में भगवान ब्रह्मा के चरण चिह्न

गया: बिहार के गया में तपोवन में सदियों से लोग भगवान ब्रह्मा जी के चरणों की पूजा कर रहे हैं. मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने अपने कदम यहां रखे थे जिसके बाद उनके पद चिह्न प्रकट हुए. लोगों का कहना है कि यहां सच्चे मांगी जाने वाली सारी मुरादें पूरी होती हैं. (Footprints of Lord Brahma in Gaya)

पढ़ें- क्या आप जानते हैं बिहार के किस गांव में होती है चमगादड़ की पूजा? ग्रामीण करते हैं 'बादुर' की रक्षा

गया के तपोवन में भगवान ब्रह्मा के चरण चिन्ह: गया की धार्मिक नगरी में से एक तपोवन का भी नाम आता है. यहां भगवान ब्रह्मा और उनके पुत्रों से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. यहां ब्रह्मा जी का वास होने की बात भी बताई जाती है. इसी तपोवन में जहां ब्रह्मा जी के चार पुत्रों की प्रतिमाएं हैं, वही इसी स्थान से कुछ दूरी पर एक चरण चिन्ह भी है. यहां के लोगों की आस्था है कि यह चरण चिन्ह भगवान ब्रह्मा जी के हैं.

उपेक्षा से नाराजगी: इस चरण चिन्ह को ब्रह्मा जी का चरण चिह्न माना जाता है. लोगों की आस्था इससे जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है, कि यहां पूजा करने से मुरादें पूरी हो जाती हैं. वहीं लोगों में नाराजगी इस बात को लेकर है, कि पौराणिक काल के ब्रह्मा जी के इस चरण चिह्र वाले स्थल को उपेक्षित रखा गया है. ऐसा क्यों किया गया, यह समझ से परे है.

"यहां ब्रह्मा जी का वास था. उनके चरण चिह्न इस बात की निशानी है. यहीं वो तपस्या करते थे. ब्रह्म कुंड भी है. रख-रखाव के नाम पर कुछ नहीं है. विश्व धरोहर में इसका नाम होना चाहिए."- संजय कुमार, स्थानीय

"ब्रह्मा जी के चार पुत्रों ने यहां तपस्या की थी. भगवान ब्रह्मा यहां साक्षात प्रकट हुए थे. उपेक्षा के कारण लोगों को इस जगह के बारे में पता ही नहीं है."- अरुण कुमार, स्थानीय

समीप में कई खंडित मूर्तियां हैं: इस चरण चिह्न के समीप कई खंडित और प्राचीन मूर्तियां भी विराजमान हैं. लोगों का मानना है, कि इसमें अधिकांश मूर्तियां ब्रह्मा जी से जुड़ी हुई हैं. इसे लेकर पुरातत्व विभाग भी गंभीर नहीं है. यदि इसकी जांच पुरातत्व विभाग करे, तो मूर्तियां प्राचीन कालीन निकलेंगी.

कभी मंदिर था..अब सिर्फ चरण चिह्न ही शेष: लोगों का मानना है कि यह स्थान मंदिरनुमा हुआ करता था. लेकिन अब यहां चरण चिह्न ही बचा हुआ है. यहीं आसपास में कई खंडित मूर्तियां भी रखी हुई हैं. जेठियन पहाड़ी के ठीक नीचे यह धार्मिक महत्व वाला स्थल है. हालांकि जानकारी नहीं होने के कारण गिने-चुने लोग ही यहां पहुंच पाते हैं.

कई कहानी भी है प्रचलित: स्थानीय लोगों की मानें, तो इस स्थान से ब्रह्मा जी से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं. ब्रह्मा जी के चारों पुत्र सनत, सनातन, सनक, सनकादि ने इसी तपोवन में अपने पिता ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए थे, जिसके बाद ब्रह्मा जी के चारों पुत्रों के नाम पर यहां 4 कुंड विराजमान हैं, जहां गर्म कुंड का पानी निकलता है. इसका स्त्रोत कहां से है, यह आज तक नहीं पता चल सका है.

ब्रह्मा के पद चिह्न की ये है मान्यता: यहां भी राजगीर की तरह गर्म पानी कुंड में आता है. इस प्रचलित कथा के संदर्भ में यह भी मान्यता है, कि अपने पुत्रों पर प्रसन्न होने के बाद ब्रह्मा जी ने यहां अपने एक पांव रखे, जिसका चरण चिह्न आज भी यहां मौजूद है, लेकिन यह स्थल पूरी तरह से उपेक्षित है.

गया के तपोवन में भगवान ब्रह्मा के चरण चिह्न

गया: बिहार के गया में तपोवन में सदियों से लोग भगवान ब्रह्मा जी के चरणों की पूजा कर रहे हैं. मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने अपने कदम यहां रखे थे जिसके बाद उनके पद चिह्न प्रकट हुए. लोगों का कहना है कि यहां सच्चे मांगी जाने वाली सारी मुरादें पूरी होती हैं. (Footprints of Lord Brahma in Gaya)

पढ़ें- क्या आप जानते हैं बिहार के किस गांव में होती है चमगादड़ की पूजा? ग्रामीण करते हैं 'बादुर' की रक्षा

गया के तपोवन में भगवान ब्रह्मा के चरण चिन्ह: गया की धार्मिक नगरी में से एक तपोवन का भी नाम आता है. यहां भगवान ब्रह्मा और उनके पुत्रों से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. यहां ब्रह्मा जी का वास होने की बात भी बताई जाती है. इसी तपोवन में जहां ब्रह्मा जी के चार पुत्रों की प्रतिमाएं हैं, वही इसी स्थान से कुछ दूरी पर एक चरण चिन्ह भी है. यहां के लोगों की आस्था है कि यह चरण चिन्ह भगवान ब्रह्मा जी के हैं.

उपेक्षा से नाराजगी: इस चरण चिन्ह को ब्रह्मा जी का चरण चिह्न माना जाता है. लोगों की आस्था इससे जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है, कि यहां पूजा करने से मुरादें पूरी हो जाती हैं. वहीं लोगों में नाराजगी इस बात को लेकर है, कि पौराणिक काल के ब्रह्मा जी के इस चरण चिह्र वाले स्थल को उपेक्षित रखा गया है. ऐसा क्यों किया गया, यह समझ से परे है.

"यहां ब्रह्मा जी का वास था. उनके चरण चिह्न इस बात की निशानी है. यहीं वो तपस्या करते थे. ब्रह्म कुंड भी है. रख-रखाव के नाम पर कुछ नहीं है. विश्व धरोहर में इसका नाम होना चाहिए."- संजय कुमार, स्थानीय

"ब्रह्मा जी के चार पुत्रों ने यहां तपस्या की थी. भगवान ब्रह्मा यहां साक्षात प्रकट हुए थे. उपेक्षा के कारण लोगों को इस जगह के बारे में पता ही नहीं है."- अरुण कुमार, स्थानीय

समीप में कई खंडित मूर्तियां हैं: इस चरण चिह्न के समीप कई खंडित और प्राचीन मूर्तियां भी विराजमान हैं. लोगों का मानना है, कि इसमें अधिकांश मूर्तियां ब्रह्मा जी से जुड़ी हुई हैं. इसे लेकर पुरातत्व विभाग भी गंभीर नहीं है. यदि इसकी जांच पुरातत्व विभाग करे, तो मूर्तियां प्राचीन कालीन निकलेंगी.

कभी मंदिर था..अब सिर्फ चरण चिह्न ही शेष: लोगों का मानना है कि यह स्थान मंदिरनुमा हुआ करता था. लेकिन अब यहां चरण चिह्न ही बचा हुआ है. यहीं आसपास में कई खंडित मूर्तियां भी रखी हुई हैं. जेठियन पहाड़ी के ठीक नीचे यह धार्मिक महत्व वाला स्थल है. हालांकि जानकारी नहीं होने के कारण गिने-चुने लोग ही यहां पहुंच पाते हैं.

कई कहानी भी है प्रचलित: स्थानीय लोगों की मानें, तो इस स्थान से ब्रह्मा जी से जुड़ी कई कहानियां प्रचलित हैं. ब्रह्मा जी के चारों पुत्र सनत, सनातन, सनक, सनकादि ने इसी तपोवन में अपने पिता ब्रह्मा जी को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी. उनकी तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए थे, जिसके बाद ब्रह्मा जी के चारों पुत्रों के नाम पर यहां 4 कुंड विराजमान हैं, जहां गर्म कुंड का पानी निकलता है. इसका स्त्रोत कहां से है, यह आज तक नहीं पता चल सका है.

ब्रह्मा के पद चिह्न की ये है मान्यता: यहां भी राजगीर की तरह गर्म पानी कुंड में आता है. इस प्रचलित कथा के संदर्भ में यह भी मान्यता है, कि अपने पुत्रों पर प्रसन्न होने के बाद ब्रह्मा जी ने यहां अपने एक पांव रखे, जिसका चरण चिह्न आज भी यहां मौजूद है, लेकिन यह स्थल पूरी तरह से उपेक्षित है.

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