गया: प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों के बावजूद ग्रामीण इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. गया के अलग-अलग इलाकों में ऐसी गतिविधियों पर लगाम नहीं लग रही. वहीं, पराली जलाने को लेकर अपनी मजबूरी बताते हुये एक किसान ने कहा कि फसल कटने के बाद खेतों की सफाई के लिये सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करती है, बस आदेश जारी कर देती है. किसान ने कहा कि अगर हम पराली नहीं जलायेंगे तो अगले फसल के लिये जमीन कैसे तैयारी होगी?
जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परैया प्रखंड के किसान फसल कटने के बाद उसके अवशेषों को खेतों में ही जला रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तरफ से ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की बात कही जा रही है लेकिन अक्सर अलग-अलग खेतों में पराली जलते दिख जाते हैं. पराली जलने से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राज्य सरकार की तरफ से इसे रोकने के आदेश दिये गये थे. लेकिन आदेश सिर्फ कागजों की ही शोभा बढ़ा रहे हैं.
किसानों ने बताई पराली जलाने की मजबूरी
वहीं, पुआल जलाने के मामले में किसान अनिल कुमार ने बताया कि हमलोग इसे जलाने के लिये मजबूर हैं, क्योंकि फसल काटे जाने के बाद खेतों में बचे अवशेषों को हटाना मुश्किल होता है. इन अवशेषों को हटाने के लिए मजदूर नहीं मिलते. अगर मिलते भी हैं तो इस काम के लिये मजदूरी देना एक अलग खर्च होता है. अनिल कुमार ने बताया कि फसल के ये अवशेष अगर खेतों में रहेंगे तो खेत की जुताई में परेशानी होती हैं. जिस कारण से हमारे पास इसे सिर्फ जलाने का ही विकल्प बचता है.
पराली जलाने वालों को नहीं मिलेगी सरकारी सहायता
वहीं जब इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से मिले आदेश के मुताबिक खेत में पराली जलाने वाले किसानों को सरकारी सहायता नहीं दी जायेगी. ना हीं वे किसी योजना का लाभ उठा पाएंगे.
पराली से बढ़ता प्रदूषण
बता दें कि हाल के कुछ सालों में ठंड के मौसम की शुरुआत में धान की फसल कटने के बाद पराली जलाने की समस्या विकराल रुप लेती जा रही है. सर्दी की शुरुआत में बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक हो जाता है कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. दिल्ली, पटना, गया समेत तमाम बड़े शहर खराब एयर क्वालिटी की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में किसानों द्वारा पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बावजूद इसके ऐसी घटनायें लगातार घटती दिख रही हैं.