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गया में पराली जलाने पर किसान बोले- मजबूर हैं साहब, BDO बोले- होगी उचित कार्रवाई - Poor air quality index due to pollution

पुआल जलाने के मामले में किसान अनिल कुमार ने बताया कि हमलोग इसे जलाने के लिये मजबूर हैं, क्योंकि फसल काटे जाने के बाद खेतों में बचे अवशेषों को हटाना मुश्किल होता है. इन अवशेषों को हटाने के लिए मजदूर नहीं मिलते.

Farmers burning straw in Gaya despite ban
खेत में जलाई जा रही पराली.
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Published : Dec 9, 2019, 11:38 PM IST

गया: प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों के बावजूद ग्रामीण इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. गया के अलग-अलग इलाकों में ऐसी गतिविधियों पर लगाम नहीं लग रही. वहीं, पराली जलाने को लेकर अपनी मजबूरी बताते हुये एक किसान ने कहा कि फसल कटने के बाद खेतों की सफाई के लिये सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करती है, बस आदेश जारी कर देती है. किसान ने कहा कि अगर हम पराली नहीं जलायेंगे तो अगले फसल के लिये जमीन कैसे तैयारी होगी?

जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परैया प्रखंड के किसान फसल कटने के बाद उसके अवशेषों को खेतों में ही जला रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तरफ से ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की बात कही जा रही है लेकिन अक्सर अलग-अलग खेतों में पराली जलते दिख जाते हैं. पराली जलने से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राज्य सरकार की तरफ से इसे रोकने के आदेश दिये गये थे. लेकिन आदेश सिर्फ कागजों की ही शोभा बढ़ा रहे हैं.

प्रतिबंध के बावजूद गया में पराली जलाने की घटना

किसानों ने बताई पराली जलाने की मजबूरी
वहीं, पुआल जलाने के मामले में किसान अनिल कुमार ने बताया कि हमलोग इसे जलाने के लिये मजबूर हैं, क्योंकि फसल काटे जाने के बाद खेतों में बचे अवशेषों को हटाना मुश्किल होता है. इन अवशेषों को हटाने के लिए मजदूर नहीं मिलते. अगर मिलते भी हैं तो इस काम के लिये मजदूरी देना एक अलग खर्च होता है. अनिल कुमार ने बताया कि फसल के ये अवशेष अगर खेतों में रहेंगे तो खेत की जुताई में परेशानी होती हैं. जिस कारण से हमारे पास इसे सिर्फ जलाने का ही विकल्प बचता है.

पराली जलाने वालों को नहीं मिलेगी सरकारी सहायता
वहीं जब इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से मिले आदेश के मुताबिक खेत में पराली जलाने वाले किसानों को सरकारी सहायता नहीं दी जायेगी. ना हीं वे किसी योजना का लाभ उठा पाएंगे.

पराली से बढ़ता प्रदूषण
बता दें कि हाल के कुछ सालों में ठंड के मौसम की शुरुआत में धान की फसल कटने के बाद पराली जलाने की समस्या विकराल रुप लेती जा रही है. सर्दी की शुरुआत में बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक हो जाता है कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. दिल्ली, पटना, गया समेत तमाम बड़े शहर खराब एयर क्वालिटी की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में किसानों द्वारा पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बावजूद इसके ऐसी घटनायें लगातार घटती दिख रही हैं.

गया: प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार के दिशा-निर्देशों के बावजूद ग्रामीण इलाकों में पराली जलाने की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं. गया के अलग-अलग इलाकों में ऐसी गतिविधियों पर लगाम नहीं लग रही. वहीं, पराली जलाने को लेकर अपनी मजबूरी बताते हुये एक किसान ने कहा कि फसल कटने के बाद खेतों की सफाई के लिये सरकार कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करती है, बस आदेश जारी कर देती है. किसान ने कहा कि अगर हम पराली नहीं जलायेंगे तो अगले फसल के लिये जमीन कैसे तैयारी होगी?

जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परैया प्रखंड के किसान फसल कटने के बाद उसके अवशेषों को खेतों में ही जला रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तरफ से ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने की बात कही जा रही है लेकिन अक्सर अलग-अलग खेतों में पराली जलते दिख जाते हैं. पराली जलने से बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए राज्य सरकार की तरफ से इसे रोकने के आदेश दिये गये थे. लेकिन आदेश सिर्फ कागजों की ही शोभा बढ़ा रहे हैं.

प्रतिबंध के बावजूद गया में पराली जलाने की घटना

किसानों ने बताई पराली जलाने की मजबूरी
वहीं, पुआल जलाने के मामले में किसान अनिल कुमार ने बताया कि हमलोग इसे जलाने के लिये मजबूर हैं, क्योंकि फसल काटे जाने के बाद खेतों में बचे अवशेषों को हटाना मुश्किल होता है. इन अवशेषों को हटाने के लिए मजदूर नहीं मिलते. अगर मिलते भी हैं तो इस काम के लिये मजदूरी देना एक अलग खर्च होता है. अनिल कुमार ने बताया कि फसल के ये अवशेष अगर खेतों में रहेंगे तो खेत की जुताई में परेशानी होती हैं. जिस कारण से हमारे पास इसे सिर्फ जलाने का ही विकल्प बचता है.

पराली जलाने वालों को नहीं मिलेगी सरकारी सहायता
वहीं जब इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से मिले आदेश के मुताबिक खेत में पराली जलाने वाले किसानों को सरकारी सहायता नहीं दी जायेगी. ना हीं वे किसी योजना का लाभ उठा पाएंगे.

पराली से बढ़ता प्रदूषण
बता दें कि हाल के कुछ सालों में ठंड के मौसम की शुरुआत में धान की फसल कटने के बाद पराली जलाने की समस्या विकराल रुप लेती जा रही है. सर्दी की शुरुआत में बड़े शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना खतरनाक हो जाता है कि लोगों का घर से निकलना मुश्किल हो जाता है. दिल्ली, पटना, गया समेत तमाम बड़े शहर खराब एयर क्वालिटी की समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसे में किसानों द्वारा पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बावजूद इसके ऐसी घटनायें लगातार घटती दिख रही हैं.

Intro:प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सरकार की घोषणा के बाद भी नही दिखाई दे रहा है असर , ग्रामीण इलाकों में जलाया जा रहा है पराली , पराली जलाने से गया जिले के प्रदूषण में हो रही हैं बढ़ोतरी Body:देश की राजधानी दिल्ली और बिहार की राजधानी पटना सहित बिहार के कई जिलों में बढ़ते प्रदूषण से एक ओर जँहा लोगों की परेशानियां हो रही हैं वंही कई तरह के बीमारियों का भी शिकार हो रहे हैं वंही हाल ही मे गया शहर का भी प्रदूषण लेवल खतरनाक स्तर पर पहुँच गया था और बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने बढ़ते प्रदूषण को लेकर कई तरह के निर्देश जारी किए थे जिसके बाद बिहार के सभी अधिकारियों को इसका अनुपालन करने का आदेश दिया गया था लेकिन उस आदेश का कितना पालन हो रहा है वो तो ये तस्वीर बयान कर रही हैं।

जिला मुख्यालय से महज 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित परैया प्रखंड के किसानो द्वारा खेतो में लगे फसल के काटने के बाद उसके बचे अवशेषों को खेतों में ही जला दें रहे जिससे आस पास के क्षेत्रों को प्रदूषित कर रहे हैं और वातावरण को भी पूरी तरह से प्रभावित करने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।

वंही पुआल जलाने के मामले में जब किसान अनिल कुमार से बात किया तो उन्होंने ने कहा कि हमलोग की भी मजबूरी है क्योंकि फसल काट जाने के बाद खेतो में बचे अवशेषों को हटाना मुश्किल हो जाता हैं क्योंकि अवशेषों को हटाने के लिए कोई भी मजदूर तैयार नही होते है और अगर फसल के अवशेष खेतो में रहेंगे तो खेत की जोताई में परेशानी होती हैं और कभी कभी तो जोताई भी नही हो पाती है जिसको लेकर एक ही बिकल्प होता हैं कि इसको खेतों में ही जला दिया जाए इसलिए हम लोगो इसको जला देते हैं और सरकार सिर्फ घोषणा करती हैं बल्कि ये देखने नही आती हैं कि किसानों को किन किन परेशानियों से गुजरना पड़ता है

वंही जब इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी अरुण कुमार से बात किया तो उन्होंने बताया कि सरकार तरफ से जो आदेश आया है खेत मे धान के फसल का अवशेष जलाने पर उनको सरकारी सहायता नही दिया जाएगा ना ही किसी योजना का लाभ उठा पाएंगे।Conclusion:
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