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उपन्यास 'अमावस्या में ख्वाब' के लिए डॉ हुसैन को मिला साहित्य अकादमी सम्मान - प्रोफेसर हुसैन उल हक

गया के प्रोफेसर हुसैन उल हक को 'अमावस्या में ख्वाब' उपन्यास के लिए साहित्य अकादमी सम्मान 2020 के लिए चयनित किया गया है. हुसैन उल हक ने बताया कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मुझे इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा. मेरी मेहनत को सम्मान दिया गया है. यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी है.

Professor Hussain ul Haq
प्रोफेसर हुसैन उल हक
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Published : Mar 13, 2021, 4:38 PM IST

गया: बिहार के तीन लोगों को साहित्य अकादमी सम्मान 2020 के लिए चयनित किया गया है. इनमें एक गया के रहनेवाले प्रोफेसर हुसैन उल हक भी हैं. हुसैन उल हक को 'अमावस्या में ख्वाब' उपन्यास के लिए उन्हें सम्मान दिया जा रहा है.

यह भी पढ़ें- जमीनी हकीकत: नल तो है, जल का दर्शन तक नहीं होता

दरअसल गया के प्रसिद्ध लेखक हुसैन उल हक को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इसकी घोषणा साहित्य अकादमी ने की है. इससे पूरे बिहार में विशेषकर गया जिले के साहित्यिक मंडली में खुशी की लहर दौड़ गई है.

देखें वीडियो

मेरी मेहनत को मिला सम्मान
प्रोफेसर हुसैन उल हक ने बताया कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मुझे इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा. मेरी मेहनत को सम्मान दिया गया है. यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी है. मुझे खुशी हो रही है कि सरकार भी साहित्य में रुचि रखती है. मेरा उपन्यास 'अमावस में ख्वाब" आजादी के बाद कि मानवता के विषय पर है. यह भारत की राजनीति में बदलाव को उकेरता है.

प्रोफेसर हुसैन ने कहा कि नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ना चाहिए. यह काम सरकार नहीं करेगी, हम जैसे लोग करेंगे. मूल साहित्य से बहुत कम लोग जुड़ते हैं. उनका जुड़ाव साहित्य से इतर रहता है. हमने युवाओं को जोड़ने का प्रयास किया है. अभी मेरी उपन्यास उर्दू और इंग्लिश में है. साहित्य अकादमी वाले इसे बहुत जल्द हिंदी में प्रकाशित करवायेंगे.

गौरतलब है कि डॉ हुसैन उल हक का जन्म 2 नवंबर 1949 को सासाराम में हुआ था. उन्होंने आरा स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और एसपी जेसन कॉलेज से स्नातक किया. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से उर्दू में एमए किया. हुसैन ने मगध विश्वविद्यालय बोधगया से फारसी में एमए किया और बाद में गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज पटना में प्राध्यापक के रूप में अस्थाई रूप से काम किया. उन्होंने बाद में मगध विश्वविद्यालय उर्दू विभाग में पीजी प्राध्यापक के रूप में काम किया और 2014 में रिटायर्ड हो गए.

गया: बिहार के तीन लोगों को साहित्य अकादमी सम्मान 2020 के लिए चयनित किया गया है. इनमें एक गया के रहनेवाले प्रोफेसर हुसैन उल हक भी हैं. हुसैन उल हक को 'अमावस्या में ख्वाब' उपन्यास के लिए उन्हें सम्मान दिया जा रहा है.

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दरअसल गया के प्रसिद्ध लेखक हुसैन उल हक को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. इसकी घोषणा साहित्य अकादमी ने की है. इससे पूरे बिहार में विशेषकर गया जिले के साहित्यिक मंडली में खुशी की लहर दौड़ गई है.

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मेरी मेहनत को मिला सम्मान
प्रोफेसर हुसैन उल हक ने बताया कि मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मुझे इस पुरस्कार से नवाजा जाएगा. मेरी मेहनत को सम्मान दिया गया है. यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी है. मुझे खुशी हो रही है कि सरकार भी साहित्य में रुचि रखती है. मेरा उपन्यास 'अमावस में ख्वाब" आजादी के बाद कि मानवता के विषय पर है. यह भारत की राजनीति में बदलाव को उकेरता है.

प्रोफेसर हुसैन ने कहा कि नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ना चाहिए. यह काम सरकार नहीं करेगी, हम जैसे लोग करेंगे. मूल साहित्य से बहुत कम लोग जुड़ते हैं. उनका जुड़ाव साहित्य से इतर रहता है. हमने युवाओं को जोड़ने का प्रयास किया है. अभी मेरी उपन्यास उर्दू और इंग्लिश में है. साहित्य अकादमी वाले इसे बहुत जल्द हिंदी में प्रकाशित करवायेंगे.

गौरतलब है कि डॉ हुसैन उल हक का जन्म 2 नवंबर 1949 को सासाराम में हुआ था. उन्होंने आरा स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की और एसपी जेसन कॉलेज से स्नातक किया. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय से उर्दू में एमए किया. हुसैन ने मगध विश्वविद्यालय बोधगया से फारसी में एमए किया और बाद में गुरु गोबिंद सिंह कॉलेज पटना में प्राध्यापक के रूप में अस्थाई रूप से काम किया. उन्होंने बाद में मगध विश्वविद्यालय उर्दू विभाग में पीजी प्राध्यापक के रूप में काम किया और 2014 में रिटायर्ड हो गए.

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