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बाबाधाम के लिए रवाना हुआ दिव्यांग युवकों का जत्था, डॉक्टर हुसैन ने दिखाई हरी झंडी

सावन में शिव के लाखों भक्त देवघर बाबा भोले पर चल चढ़ाने जाते हैं. गया में गुरुवार को दस दिव्यांग भक्त बाबा नगरी देवघर के लिए रवाना हुये है. दिव्यांग भक्तों के जत्था को एक मुस्लिम डॉक्टर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया है. इस अनोखे दृश्य को देख लोग काफी उत्साहित थे.

मुस्लिम डॉक्टर ने दिखाई हरी झंडी
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Published : Jul 26, 2019, 7:35 PM IST

गया: बिहार में हर तरफ कांवड़िया ही कांवड़िया दिख रहे हैं. सावन में शिव के लाखों भक्त देवघर बाबा भोले पर जल चढ़ाने जाते हैं. गया में गुरुवार को दस दिव्यांग भक्त बाबा नगरी देवघर के लिए रवाना हुए हैं. दिव्यांग भक्तों के जत्थे को एक मुस्लिम डॉक्टर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस अनोखें दृश्य को देखकर लोग काफी उत्साहित हुए.

आस्था के माध्यम से दिया संदेश

दिव्यांगों ने बाबा नगरी देवघर जाने से पहले संदेश भी दिया है. पिछले सात वर्षों से दिव्यांगों का जत्था बाबा नगरी में बाबा को जल चढ़ाने जाता हैं. इस वर्ष भी 10 लोगों के समूह में यह जत्था जा रहा है. इस जत्था ने समाज मे अपने आस्था के माध्यम से एक संदेश भी दिया हैं. बोल बम बोल बम के नारे के साथ गया जिला के दस दिव्यांग युवक देवघर के लिए स्कूटी से रवाना हुए है. सभी दिव्यांग युवक मगध जन विकलांग कल्याण समिति से जुड़े हुए हैं.

देवघर के लिए रवाना

मजहब से ऊपर इंसानियत

देवघर रवाना होने से पहले मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज स्थित लाइफ लाइन नर्सिंग होम के संचालक डॉ फरासत हुसैन के द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जिसमें दिव्यांगों को माला पहनाकर और अंगवस्त्र देकर सम्मान किया गया है. उसके बाद डॉ हुसैन द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है.

स्कूटी से गये कावड़िया

दिव्यांग बंम जत्था के लीडर सतीश ने बताया हमलोग सात सालों से बाबा नगरी जा रहे हैं. पहले ट्रा साइकिल से जाते थे,और अब स्कूटी से जाते हैं. हम लोग गया से सुल्तानगंज जाएंगे और वहां से जल उठा कर देवघर के लिए रवाना होतें हैं. हमलोगो को प्रेरणा आमलोगों से मिला है. जो लोग बाबा धाम से आये उनको पैरों में दिक्कत हैं. हमलोग के पैरों में भी दिक्कत हैं. वो लोग जा सकते है, तो फिर हम क्यों नही जा सकते है.

हमें इन पर गर्व है

बाबा भोले में आस्था के सहारे हमलोग निकल पड़े है. पिछले सात सालों से ये सिलसिला जारी हैं.हमलोग देवघर पहुँचते हैं, फिर,वहां की प्रशासन मदद करती हैं. किसी तरह का दिक्कत नही होता हैं. डॉक्टर फरासत हुसैन ने दिव्यांग के इस जत्थे से लोगों को प्रेरणा लेने को कहा है. हम इनके हौसले को सलाम करते हैं. ये सभी नहीं चल सकते हैं. लेकिन ये हिम्मत वाला कार्य कर रहे हैं. हमें इन पर गर्व है. मुझे तो लगता है बाबानगरी जाने वाले दिव्यांगों के जत्था में ये सब एकलौता होंगे.

गया: बिहार में हर तरफ कांवड़िया ही कांवड़िया दिख रहे हैं. सावन में शिव के लाखों भक्त देवघर बाबा भोले पर जल चढ़ाने जाते हैं. गया में गुरुवार को दस दिव्यांग भक्त बाबा नगरी देवघर के लिए रवाना हुए हैं. दिव्यांग भक्तों के जत्थे को एक मुस्लिम डॉक्टर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस अनोखें दृश्य को देखकर लोग काफी उत्साहित हुए.

आस्था के माध्यम से दिया संदेश

दिव्यांगों ने बाबा नगरी देवघर जाने से पहले संदेश भी दिया है. पिछले सात वर्षों से दिव्यांगों का जत्था बाबा नगरी में बाबा को जल चढ़ाने जाता हैं. इस वर्ष भी 10 लोगों के समूह में यह जत्था जा रहा है. इस जत्था ने समाज मे अपने आस्था के माध्यम से एक संदेश भी दिया हैं. बोल बम बोल बम के नारे के साथ गया जिला के दस दिव्यांग युवक देवघर के लिए स्कूटी से रवाना हुए है. सभी दिव्यांग युवक मगध जन विकलांग कल्याण समिति से जुड़े हुए हैं.

देवघर के लिए रवाना

मजहब से ऊपर इंसानियत

देवघर रवाना होने से पहले मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज स्थित लाइफ लाइन नर्सिंग होम के संचालक डॉ फरासत हुसैन के द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जिसमें दिव्यांगों को माला पहनाकर और अंगवस्त्र देकर सम्मान किया गया है. उसके बाद डॉ हुसैन द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है.

स्कूटी से गये कावड़िया

दिव्यांग बंम जत्था के लीडर सतीश ने बताया हमलोग सात सालों से बाबा नगरी जा रहे हैं. पहले ट्रा साइकिल से जाते थे,और अब स्कूटी से जाते हैं. हम लोग गया से सुल्तानगंज जाएंगे और वहां से जल उठा कर देवघर के लिए रवाना होतें हैं. हमलोगो को प्रेरणा आमलोगों से मिला है. जो लोग बाबा धाम से आये उनको पैरों में दिक्कत हैं. हमलोग के पैरों में भी दिक्कत हैं. वो लोग जा सकते है, तो फिर हम क्यों नही जा सकते है.

हमें इन पर गर्व है

बाबा भोले में आस्था के सहारे हमलोग निकल पड़े है. पिछले सात सालों से ये सिलसिला जारी हैं.हमलोग देवघर पहुँचते हैं, फिर,वहां की प्रशासन मदद करती हैं. किसी तरह का दिक्कत नही होता हैं. डॉक्टर फरासत हुसैन ने दिव्यांग के इस जत्थे से लोगों को प्रेरणा लेने को कहा है. हम इनके हौसले को सलाम करते हैं. ये सभी नहीं चल सकते हैं. लेकिन ये हिम्मत वाला कार्य कर रहे हैं. हमें इन पर गर्व है. मुझे तो लगता है बाबानगरी जाने वाले दिव्यांगों के जत्था में ये सब एकलौता होंगे.

Intro:शिव के सावन में लाखों भक्त देवघर बाबा भोले पर चल चढ़ाने जाते हैं। गया में आज दस दिव्यांग भक्त बाबा नगरी देवघर के लिए रवाना हुआ है। दिव्यांग भक्तों के जत्था को एक मुस्लिम डॉक्टर ने हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अनोखा दृश्य देख लोग काफी उत्साहित थे।


Body:मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखा, आज ये बाते दस दिव्यांगों ने बाबा नगरी देवघर जाने से पहले संदेश दिया। पिछले सात वर्षों से दिव्यांगों के जत्था बाबा नगरी में बाबा को जल चढ़ाने जाता हैं। इस वर्ष भी 10 लोगो के समूह ये जत्था जा रहा है। इस जत्था ने समाज मे अपने आस्था के माध्यम से एक संदेश भी दे रहे हैं।

बोल बम बोल बम के नारे के साथ गया जिला के दस दिव्यांग युवक देवघर के लिए स्कूटी से रवाना हुए । सभी दिव्यांग युवक मगध जन विकलांग कल्याण समिति से जुड़े हुए हैं।देवघर रवाना होने से पहले मिर्ज़ा ग़ालिब कॉलेज स्थित लाइफ लाइन नर्सिंग होम के संचालक द्वारा डॉ फरासत हुसैन के द्वारा एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें दिव्यांगों को माला पहनाकर और अंगवस्त्र देकर सम्मान किया गया उसके बाद डॉ हुसैन द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया।

दिव्यांग बंम के जत्था के लीडर सतीश ने बताया हमलोग सात सालों से बाबा नगरी जा रहे हैं। पहले ट्रा साइकिल से जाते थे अब स्कूटी हो गया है ,स्कूटी से जाते हैं। हम लोग गया से सुल्तानगंज जाएंगे, सुल्तानगंज से जल उठा कर देवघर के लिए रवाना होंगे। हमलोग 10 लोग हैं। हमलोग प्रेरणा आमलोगों से मिला मैं देखता जो लोग बाबा धाम से आये उनको पैरों में दिक्कत हैं। हमलोग के पैरों में भी दिक्कत हैं। वो लोग जा सकते है तो फिर हम क्यों नही। बाबा भोले में आस्था था ही हमलोग आस्था के सहारे निकल पड़े थे। पिछले सात सालों से ये सिलसिला जारी हैं। हमलोग देवघर पहुँचते हैं वहां की प्रशासन मदद करती हैं। किसी तरह का दिक्कत नही होता हैं।

गांव का डॉक्टर फरासत हुसैन ने दिव्यांग के इस जत्थे से लोगों को प्रेरणा लेने का है हम इनके हौसले को सलाम करते हैं। ये सभी नही चल सकते हैं ये हिम्मत वाला कार्य कर रहे हैं। हमे इन पर गर्व है। मुझे तो लगता है बाबानगरी जाने वाले दिव्यांगों के जत्था में ये सब एकलौता होंगे।



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