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गया: सरस्वती पूजा पर राजस्थानी मूर्ति कलाकारों की मांग बढ़ी

जिले में सरस्वती पूजा के अवसर पर देवी प्रतिमा बनाने वाले राजस्थानी कारीगरों की मांग बढ़ गयी है. राजस्थान के पाली जिला से आए लगभग 30 मजदूर जीविकोपार्जन के लिये मूर्ति बनाकर बेच रहे हैं. इसमें से कई लोग पिछले दस साल से यहां रह रहे हैं.

गया
राजस्थानी मूर्ती कलाकारों की मांग बढ़ी
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Published : Jan 29, 2020, 2:00 PM IST

Updated : Jan 29, 2020, 3:17 PM IST

गया: सरस्वती पूजा के अवसर पर शहर में रामपुर थाना से लेकर सिकरिया मोड़ तक राजस्थान के पाली जिला से आए लगभग 30 मजदूर जीविकोपार्जन के लिये मूर्ति बनाकर बेच रहे हैं. इसमें से कई लोग पिछले दस साल से यहां रह रहे हैं और कई विशेष अवसरों पर आकर मूर्ति बनाकर बेचते हैं.

'गया में हमारे काम का है कद्र'
राजस्थान के पाली से आए एक मजदूर ने बताया हमलोग सात साल पहले गया आए थे. पहले पहल हमलोगों ने यहां मजदूरी किया. फिर हमने धीरे-धीरे पीओपी का मूर्ति बनाना शुरू किया. वर्तमान में मेरे साथ पांच लोग हैं. वहींं, मेरे जिले से 30 लोग गया में मूर्ति बनाकर बेचने का काम करते हैं. गया में हमारे काम का कद्र और सही मेहनताना है, इसलिए हम लोग यहां आकर रोजगार कर रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

'इनसे हमे सीख लेनी चाहिए'
वहीं, मूर्ति लेने आए युवक बाबू भाई ने बताया हमलोग यहां मूर्ति लेने आए हैं. ये लोग राजस्थान से यहां आकर सड़क किनारे रहकर रोजगार कर रहे हैं और हमारे यहां के लाखों युवा मजदूर कम पैसों में भी पलायन कर लेते हैं. इनसे हमे सीख लेना चाहिए.

गया: सरस्वती पूजा के अवसर पर शहर में रामपुर थाना से लेकर सिकरिया मोड़ तक राजस्थान के पाली जिला से आए लगभग 30 मजदूर जीविकोपार्जन के लिये मूर्ति बनाकर बेच रहे हैं. इसमें से कई लोग पिछले दस साल से यहां रह रहे हैं और कई विशेष अवसरों पर आकर मूर्ति बनाकर बेचते हैं.

'गया में हमारे काम का है कद्र'
राजस्थान के पाली से आए एक मजदूर ने बताया हमलोग सात साल पहले गया आए थे. पहले पहल हमलोगों ने यहां मजदूरी किया. फिर हमने धीरे-धीरे पीओपी का मूर्ति बनाना शुरू किया. वर्तमान में मेरे साथ पांच लोग हैं. वहींं, मेरे जिले से 30 लोग गया में मूर्ति बनाकर बेचने का काम करते हैं. गया में हमारे काम का कद्र और सही मेहनताना है, इसलिए हम लोग यहां आकर रोजगार कर रहे हैं.

पेश है रिपोर्ट

'इनसे हमे सीख लेनी चाहिए'
वहीं, मूर्ति लेने आए युवक बाबू भाई ने बताया हमलोग यहां मूर्ति लेने आए हैं. ये लोग राजस्थान से यहां आकर सड़क किनारे रहकर रोजगार कर रहे हैं और हमारे यहां के लाखों युवा मजदूर कम पैसों में भी पलायन कर लेते हैं. इनसे हमे सीख लेना चाहिए.

Intro:पलायन शब्द का ज़िक्र होता हैं तो बिहार राज्य का नाम शुमार होता है , यहां के खासकर युवा रोजगार और शिक्षा के लिए पलायन करते हैं। बिहार के लोग रोजगार के लिए पलायन तो कर रहे हैं लेकिन कई राज्यों के लोग अपने जीवन यापन के लिए बिहार को चुन रोजगार कर रहे हैं। सरस्वती पूजा के अवसर पर राजस्थान से आये दर्जनों स्थानीय कलाकार पलायन कर बिहार के गया में मूर्ति बेचकर रोजगार कर रहे हैं।


Body:बिहार में पलायन का फीसदी घट नही रह है सबसे ज्यादा लोग रोजगार के लिए इस राज्य से पलायन करते हैं इसमें शिक्षित और अशिक्षित दोनो शामिल हैं। इससे इतर बिहार के गया शहर में रामपुर थाना से लेकर सिकरिया मोड़ तक राजस्थान के पाली जिला से आये लगभग 30 मजदूर ने जीविकोपार्जन के लिये मूर्ति बनाकर बेच रहे हैं। इसमें से कई लोग पिछले दस साल से रह रहे है और कई विशेष अवसरों पर आकर मूर्ति बनाकर बेच रहे है ये लोग अपने जीविकोपार्जन के लिए बिहार को रोजगार का केंद्र बना दिया है। राजस्थान पाली से आये मजदूर ने बताया हमलोग सात साल पहले गया आये थे पहले मजदूरी किया फिर हमारे हाथ मे पीओपी का मूर्ति बनाने का हुनर था हमने मूर्ति बनाना शुरू किया अब मेरे साथ पांच लोग हैं मेरे जिले से 30 लोग गया में मूर्ति बनाकर बेचते हैं । यहां इसका कद्र और मेहनताना हैं तो यहां बसकर रोजगार कर रहे हैं। मूर्ति लेने आये युवा बाबू भाई ने बताया हमलोग यहां मूर्ति लेने आये हैं , ये लोग राजस्थान से हमारे गया में रोजगार सड़क किनारे रहकर कर रहे है हमारे यहां के लाखों मजदूर युवा कम पैसा में भी पलायन कर लेते हैं इनसे हमे सिख लेना चाहिए ये हमारे बिहार के गया को रोजगार का स्थल बना रहे हैं।


Conclusion:आपको बता दे बिहार के गया में बच्चों को मजदूरी के लिए बड़े स्तर पर पलायन होता हैं। गया में राजस्थान के लोग शहर में मूर्ति बनाने से लेकर बेलागंज प्रखण्ड में लोहे के सामान कबाड़ी में बेचकर रोजगार कर रहे हैं वही नेपाल से आये युवा भी नीबू चाय बेचकर गया को रोजगार का केंद्र बना रहे हैं।
Last Updated : Jan 29, 2020, 3:17 PM IST
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