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IND vs SL: पृथ्वी शॉ की तूफानी पारी के बाद दादा बोले- 'मेरा पोता देश का गौरव'

क्या आप जानते हैं कि क्रिकेटर पृथ्वी शॉ मूलत: बिहार के गया के रहने वाले हैं, लेकिन उनका परिवार अब मुंबई में ही बस गया है. हालांकि शॉ के दादा-दादी अब भी गया के मानपुर क्षेत्र में ही रहकर बिजनेस करते हैं.

Prithvi Shaw is from gaya
Prithvi Shaw is from gaya
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Published : Jul 19, 2021, 6:43 PM IST

गया: भारत (India) और श्रीलंका (Sri Lanka) के बीच रविवार को खेले गए पहले एकदिवसीय मैच में पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) ने बेहतरीन बल्लेबाजी की. शॉ ने 27 गेंद में 43 रन की पारी खेली और भारतीय टीम वो मैच जीत गई. पृथ्वी शॉ को मैन ऑफ द मैच चुना गया. क्रिकेटर शॉ मूल रूप से बिहार के गया जिले के मानपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं. यहां उनके दादा कपड़े की दुकान चलाते हैं और पैतृक घर में सिर्फ उनके दादा और दादी रहते हैं.

यह भी पढ़ें- कमेंटेटर बिहारी...सब पर भारी! ऐसी फर्राटेदार कॉमेंट्री कभी सुनी है

श्रीलंका के खिलाफ मैच में शानदार प्रदर्शन के बावजूद उनके पैतृक गांव में सन्नाटा पसरा रहा. मैच में उनको मैन ऑफ द मैच दिया गया, लेकिन मानपुर के पटवाटोली में लड्डू तक नहीं बंटी, लोग क्रिकेट के इस उभरते खिलाड़ी से बिल्कुल अनजान हैं.

इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है बिहारी तबका. दरअसल पृथ्वी शॉ और उनके पिता नहीं चाहते कि पृथ्वी की पहचान बिहार से हो. उनके दादा-दादी भी पृथ्वी को अपना पोता तो बोलते हैं लेकिन उनको बिहारी कहना उन्हें पसंद नहीं है.

देखें रिपोर्ट

मैन ऑफ द मैच मिलने के बाद ईटीवी भारत की टीम पृथ्वी शॉ के पैतृक घर पहुंची. जहां उनके दादा-दादी घर में नहीं थे और जो व्यक्ति घर में था, वह बात नहीं करना चाह रहा था. पृथ्वी शॉ के दादा अशोक शाह से जब फोन के माध्यम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पृथ्वी को मैन ऑफ द मैच मिलने पर उन्हें काफी खुशी हो रही है.

साथ ही शॉ के दादा ने कहा कि, "पृथ्वी को और आगे बढ़ना है. मेरा पोता भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टन बने. उसे मुंबई के लोगों ने पाला पोसा है और यहां तक पहुंचाया है इसलिए वह मुंबई का है. उसे बिहार का कहना उचित नहीं होगा. बिहार में उसके दादा-दादी रहते हैं."

आपको बता दें कि पृथ्वी शॉ के दादा अपना जीवन गुजारने के लिए बीते तीन दशक से कटपीस कपड़ों की दुकान चलाते हैं. इसी सिलसिले में वो बाहर भी गए हुए हैं. पृथ्वी आज तक कभी भी अपने पैतृक घर नहीं आए हैं. इस वजह से आस पड़ोस के लोग इस बात से अनजान हैं कि क्रिकेट का उभरता सितारा उनके ही बीच का है.

बता दें कि टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 262 रन बनाए थे. भारतीय स्पिनरों के सामने श्रीलंकाई बल्लेबाज बड़ी पारियां खेलने में नाकाम रहे. लक्ष्य ज्यादा बड़ा नहीं था और उसके जवाब में पृथ्वी शॉ ने अंधाधुंध शुरुआत कर भारत को पहले ही बढ़त दिला दी. शॉ ने ताबड़तोड़ 43 रन बनाए और भारत 7 विकेट से ये मैच जीत गया.

बता दें कि पृथ्वी शॉ को उनकी बैटिंग के लिए मैन ऑफ दी मैच चुना गया. उन्होंने पोस्ट मैच प्रजेंटेशन में हेलमेट पर गेंद लगने के सवाल पर कहा, 'अब ठीक हूं. थोड़ा बहुत दर्द है लेकिन ठीक है. गेंद लगने के बाद थोड़ा सुन्न था और साफ दिख नहीं रहा था. सिर पर गेंद लगने के बाद फोकस हट गया था. मुझे क्रीज छोड़ देनी चाहिए थी. आगे से मैं ध्यान रखूंगा.' हेलमेट पर गेंद लगने के बाद आजकल कन्कशन टेस्ट जरूरी होता है. इसके तहत फिजियो खिलाड़ी की जांच करता है और अगर उसे कुछ भी दिक्कत होती है तो वह मैच से हट सकता है.

गया: भारत (India) और श्रीलंका (Sri Lanka) के बीच रविवार को खेले गए पहले एकदिवसीय मैच में पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) ने बेहतरीन बल्लेबाजी की. शॉ ने 27 गेंद में 43 रन की पारी खेली और भारतीय टीम वो मैच जीत गई. पृथ्वी शॉ को मैन ऑफ द मैच चुना गया. क्रिकेटर शॉ मूल रूप से बिहार के गया जिले के मानपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं. यहां उनके दादा कपड़े की दुकान चलाते हैं और पैतृक घर में सिर्फ उनके दादा और दादी रहते हैं.

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श्रीलंका के खिलाफ मैच में शानदार प्रदर्शन के बावजूद उनके पैतृक गांव में सन्नाटा पसरा रहा. मैच में उनको मैन ऑफ द मैच दिया गया, लेकिन मानपुर के पटवाटोली में लड्डू तक नहीं बंटी, लोग क्रिकेट के इस उभरते खिलाड़ी से बिल्कुल अनजान हैं.

इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है बिहारी तबका. दरअसल पृथ्वी शॉ और उनके पिता नहीं चाहते कि पृथ्वी की पहचान बिहार से हो. उनके दादा-दादी भी पृथ्वी को अपना पोता तो बोलते हैं लेकिन उनको बिहारी कहना उन्हें पसंद नहीं है.

देखें रिपोर्ट

मैन ऑफ द मैच मिलने के बाद ईटीवी भारत की टीम पृथ्वी शॉ के पैतृक घर पहुंची. जहां उनके दादा-दादी घर में नहीं थे और जो व्यक्ति घर में था, वह बात नहीं करना चाह रहा था. पृथ्वी शॉ के दादा अशोक शाह से जब फोन के माध्यम से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पृथ्वी को मैन ऑफ द मैच मिलने पर उन्हें काफी खुशी हो रही है.

साथ ही शॉ के दादा ने कहा कि, "पृथ्वी को और आगे बढ़ना है. मेरा पोता भारतीय क्रिकेट टीम का कैप्टन बने. उसे मुंबई के लोगों ने पाला पोसा है और यहां तक पहुंचाया है इसलिए वह मुंबई का है. उसे बिहार का कहना उचित नहीं होगा. बिहार में उसके दादा-दादी रहते हैं."

आपको बता दें कि पृथ्वी शॉ के दादा अपना जीवन गुजारने के लिए बीते तीन दशक से कटपीस कपड़ों की दुकान चलाते हैं. इसी सिलसिले में वो बाहर भी गए हुए हैं. पृथ्वी आज तक कभी भी अपने पैतृक घर नहीं आए हैं. इस वजह से आस पड़ोस के लोग इस बात से अनजान हैं कि क्रिकेट का उभरता सितारा उनके ही बीच का है.

बता दें कि टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करते हुए श्रीलंका ने 50 ओवरों में 8 विकेट खोकर 262 रन बनाए थे. भारतीय स्पिनरों के सामने श्रीलंकाई बल्लेबाज बड़ी पारियां खेलने में नाकाम रहे. लक्ष्य ज्यादा बड़ा नहीं था और उसके जवाब में पृथ्वी शॉ ने अंधाधुंध शुरुआत कर भारत को पहले ही बढ़त दिला दी. शॉ ने ताबड़तोड़ 43 रन बनाए और भारत 7 विकेट से ये मैच जीत गया.

बता दें कि पृथ्वी शॉ को उनकी बैटिंग के लिए मैन ऑफ दी मैच चुना गया. उन्होंने पोस्ट मैच प्रजेंटेशन में हेलमेट पर गेंद लगने के सवाल पर कहा, 'अब ठीक हूं. थोड़ा बहुत दर्द है लेकिन ठीक है. गेंद लगने के बाद थोड़ा सुन्न था और साफ दिख नहीं रहा था. सिर पर गेंद लगने के बाद फोकस हट गया था. मुझे क्रीज छोड़ देनी चाहिए थी. आगे से मैं ध्यान रखूंगा.' हेलमेट पर गेंद लगने के बाद आजकल कन्कशन टेस्ट जरूरी होता है. इसके तहत फिजियो खिलाड़ी की जांच करता है और अगर उसे कुछ भी दिक्कत होती है तो वह मैच से हट सकता है.

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