गया: जिला की स्वास्थ्य व्यवस्था आईसीयू में चली गयी है. हाल के दिनों में जिले के तीन बड़े अस्पतालों में मरीजों के साथ घटित घटनाएं स्वास्थ्य महकमा के दावों की पोल खोल रही है. एएनएमएमसीएच, प्रभावती अस्पताल और जेपीएन अस्पताल में चिकित्सक और अस्पताल प्रबंधक मरीजो के इलाज करने के बजाय उन्हें भगवान भरोसे छोड़ देते हैं.
प्रभावति अस्पताल की लापरवाही
पहली घटना 14 अप्रैल को प्रभावती अस्पताल में गर्भवती महिला रेखा देवी के साथ घटी. रेखा देवी के पेट में ही बच्चे की मौत हो गई थी. रेखा को एक निजी क्लिनिक से रेफर किया गया था. लेकिन उससे पहले से ब्लड चढ़ाने की सलाह दी गई थी. महिला को बल्ड चढ़ाते हुए परिजन प्रभावति अस्पताल पहुंचे. इस दौरान चढ रहे ब्लड का बैग परिजन हाथ में पकड़े रहे. लेकिन अस्पताल ने इलाज करने के बजाय उसे दूसरी जगह रेफर कर दिया. रेखा तड़पती रही लेकिन उसे देखने वाला कोई नहीं था. रेखा देवी डेल्हा थाना क्षेत्र के रहने वाले दिव्यांग अजय कुमार की पत्नी है.
गर्भवति ने घर में बच्चे को दिया जन्म
दूसरी घटना 19 अप्रैल को शहर के किरानी घाट के रहने वाली बबीता कुमारी के साथ घटित हुई. उन्हें बिना इलाज के ही प्रभावती अस्पताल से लौटा दिया गया. बबीता को उसके पति विजय मांझी ने ठेले पर बिठाकर अस्पताल पहुंचा था और अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे बिना इलाज के ही घर लौटा दिया. फिर उसने अपने घर में ही जीवन और मौत से जूझते हुए एक बच्चे को जन्म दिया.
अस्पताल करता रहा रेफर
तीसरी घटना 22 अप्रैल को औरंगाबाद के युवक के साथ हुई. युवक को मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल और जेपीएन अस्पताल एक दूसरे को रेफर कर रहे, लेकिन इलाज किसी ने नहीं किया. इसी बीच युवक की जान चली गयी.
हो रही है जांच
हालांकि तीनो घटनाओं में जांच की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इस संबंध में मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के उपाधीक्षक सह प्रभावती अस्पताल के कोऑर्डिनेटर डॉ पीके अग्रवाल ने बताया ये सभी मामलों को लेकर सिविल सर्जन सख्त हैं. उन्होंने कहा कि किरानी घाट की महिला के बारे में पता चला तो उसे तुरंत अस्पताल लाकर बच्चे का टीकाकरण किया गया.
प्रेम कुमार करेंगे सिविल सर्जन से बात
वहीं, जिला के लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और अस्पताल में घट रही घटना पर कृषि मंत्री सह नगर विधायक प्रेम कुमार ने चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा स्वास्थ्य विभाग को ऐसे मामलों को लेकर सजग रहना चाहिए. सिविल सर्जन और मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीक्षक को सुनिश्चित करना चाहिए इस तरह की घटना नहीं घटे. उन्होंने कहा कि वे इन सभी घटनाओं को लेकर सिविल सर्जन से बात करेंगे.
ईटीवी ने की मदद
बता दें कि दिव्यांग बबीता की मदद के लिए ईटीवी भारत आगे आया. ईटीवी भारत ने बबीता को आर्थिक मदद करने के साथ-साथ मामले को प्रकाश में भी लाया. जिसके बाद समाजसेवी विवेक कल्याण ने पीड़ित को राशन उपलब्ध करवाया.