गया: देश का सबसे बड़ा और बिहार का पहला रबर डैम (CM Nitish Inaugurate Rubber Dam In Gaya ) गया में बनकर तैयार है. फल्गु में यह रबर डैम (Bihar first rubber dam) बनाया गया है. गया पहुंचकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज रबर डैम का उद्घाटन कियाे. उनके साथ उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi Yadav) भी मौजूद है. इसे गया जी रबर डैम का नाम दिया गया है.
ये भी पढ़ेंः गया के रबर डैम का नाम बदलकर हुआ 'गया जी' डैम, 8 सितंबर को CM नीतीश करेंगे लोकार्पण
गया में देश का सबसे बड़ा रबर डैम : 261 करोड़ की लागत से बनाए गए इस रबर डैम (Country largest rubber dam in Gaya) में अब पानी ही पानी है. जानकारी के अनुसार इसमें 3 फीट पानी रखने की योजना थी, लेकिन यहां पानी लबालब भरा हुआ है. यहां करीब पांच फीट से ऊपर पानी हो गया है. इसकी लागत करीब 261 करोड़ रुपये है. विष्णुपद मंदिर के पास रबर डैम से फल्गु नदी में पूरे साल 2 फीट पानी उपलब्ध रहेगा, जिससे तीर्थयात्री तर्पण का विधि विधान कर पाएंगे. डैम के शिलान्यास से पंडा समुदाय के साथ स्थानीय लोग काफी खुश हैं.
क्या है रबर डैम की खासियत: विष्णुपद मंदिर के निकट फल्गु नदी के सतही प्रवाह को रोकने के लिए 3 मीटर ऊंचा और 411 मीटर की लंबाई में भारत का सबसे लंबा रबर डैम का निर्माण करवाया गया है. जिसमें 65- 65 मीटर लंबाई के 06 स्पैन हैं. इसके रबर ट्यूब में आधुनिक स्वचालित विधि से हवा भरी एवं निकाली जा सकती है, जिसके कारण फल्गु नदी के जल के प्रवाह एवं भंडारण को प्रभावी रूप से संचालित किया जा सकेगा.
स्टील पैदल पुल का भी हुआ निर्माणः इसके साथ ही श्रद्धालुओं के विष्णुपद घाट से सीताकुंड तक पिंडदान के लिए जाने के लिए रबडर डैम के ऊपर 411 मीटर लंबा स्टील पैदल पुल का भी निर्माण किया गया है. इसके साथ ही पैदल पुल से उतरकर सीताकुंड तक पहुंचने के लिए पैदल पथ भी तैयार किया गया है. श्रद्धालुओं द्वारा पिंडदान के समय उपयोग किए जा रहे नदी के पानी की स्वच्छता बनाए रखने के लिए बाएं तट पर 752 मीटर की लंबाई में भूमिगत मनसरवा नाला का भी निर्माण किया गया है.
तीर्थयात्रियों को मिलेगी बड़ी राहत: पंडा समुदाय मोक्षदायिनी फल्गु नदी में सालों भर तर्पण करने के लिए पानी रहने की मांग काफी समय से कर रहे थे. विष्णुपद मन्दिर प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य महेश लाल गुपुत ने कहा कि ''फल्गु नदी का पानी पितरों के लिए अमृत के सामान है. इसकी एक-एक बूंद का बड़ा महत्व है. देवघाट के पास सालों भर पानी रहने से तीर्थयात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी. फल्गु नदी में कहीं दूसरी जगह का पानी नहीं मिलाया जाएगा.''
पढ़ें: गया जी और तिल में है गहरा संबंध, पिंडदान से लेकर प्रसाद तक में होता है उपयोग