गयाः जिले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने फल्गु नदी के बाएं तट पर रबर डैम का शिलान्यास किया. इसकी लागत 266 करोड रुपये है. विष्णुपद मंदिर के पास रबर डैम से फल्गु नदी में पूरे साल 2 फीट पानी उपलब्ध रहेगा, जिससे तीर्थयात्री तर्पण का विधि विधान कर पाएंगे. डैम के शिलान्यास से पंडा समुदाय के साथ स्थानीय लोग काफी खुश हैं.
तर्पण के लिए जल की व्यवस्था
सूबे के मुखिया नीतीश कुमार ने वर्चुअल माध्यम से रबर डैम का शिलान्यास किया. देवघाट के पास पूरे साल तर्पण करने के लिए जल की व्यवस्था को लेकर काफी समय से मांग हो रही थी. मुख्यमंत्री ने मंगलवार को फल्गु नदी में रबर डैम और देवघाट से सीताकुंड जाने के लिए पथ वे निर्माण का शिलान्यास किया.
डैम का स्ट्रकचर
डैम स्थल विष्णुपद मंदिर के 300 मीटर डाउन स्ट्रीम में होगा. रबर डैम का प्रकार बुलेट प्रूफ होगा, एवटमेंट से एवटमेंट के बीच की लंबाई 405 मीटर होगी. उच्चतम बाढ़ लेवल 108. 74 मीटर का होगा, पौंड लेवल 106. 6 मीटर, रबर डैम की शिखर की ऊंचाई 106. 6 मीटर, स्पेन की संख्या 6, प्रत्येक स्पेन की चौड़ाई 65 मीटर रहेगी. रबर डैम की ऊंचाई 3 मीटर रहेगी.
'पर्यावरण हितैषी परियोजना'
डीएम अभिषेक सिंह ने बताया कि रबड़ डैम के निर्माण से विष्णुपद मंदिर और सीताकुंड को देखने हेतु पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी. साथ ही अब लोगों को पितृपक्ष मेले में नदी पार कर तपते बालू में चलने से निजात मिलेगी. उन्होंने कहा कि यह एक पर्यावरण हितैषी परियोजना है जिससे पर्यावरण को बढ़ावा मिलेगा.
नहीं किया जाएगा कंक्रीट का इस्तेमाल
रबर डैम के निर्माण के लिए विष्णुपद मंदिर के 2 किलोमीटर अपस्ट्रीम और 2 किलोमीटर डाउनस्ट्रीम में स्थल सर्वेक्षण किया जा रहा है. जल की उपलब्धता और इसे संचित रखने के लिए अध्ययन किया जा रहा है, जिससे मंदिर के निकट पास पूरे साल कम से कम 2 फीट पानी उपलब्ध हो सके. रबर डैम नदी के हित में देखकर बनाया जा रहा है. इसे बनाने में कंक्रीट का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
तीर्थयात्रियों को मिलेगी बड़ी राहत
पंडा समुदाय मोक्षदायिनी फल्गु नदी में सालों भर तर्पण करने के लिए पानी रहने की मांग काफी समय से कर रहे थे. विष्णुपद मन्दिर प्रबन्धकारिणी समिति के सदस्य महेश लाल गुपुत ने कहा कि फल्गु नदी का पानी पितरों के लिए अमृत के सामान है. इसकी एक-एक बूंद का बड़ा महत्व है. उन्होंने कहा कि देवघाट के पास सालों भर पानी रहने से तीर्थयात्रियों को बड़ी राहत मिलेगी. महेश लाल गुपुत ने कहा कि फल्गु नदी में कहीं दूसरी जगह का पानी नहीं मिलाया जाएगा.