गया: गौरैया और अन्य पक्षियों को बचाने के लिए निसखा गांव के रहनेवाले 45 साल के तंजील रहमान ने मुहिम चलाई है. तंजील का पक्षी प्रेम देखकर सभी इसकी प्रसंशा कर रहे हैं. झारखंड पुलिस की नौकरी छोड़कर आये तंजील रहमान पिछले दस सालों से गौरैया और अन्य पक्षियों का संरक्षण कर रहे हैं.
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पक्षी बचाओ अभियान
तंजील रहमान पक्षियों को बचाने में दिन रात लगे रहते हैं. गौरैया के लिए प्राकृतिक तरीके से घोंसला बनाते हैं. इस घोंसले की सुरक्षा के लिए उन्होंने यहां कई सीसीटीवी कैमरे लगाये हैं. यही नहीं इस गांव में पक्षियों को मारने पर भी रोक है.
बर्ड मैन तंजील की पहल
बोधगया प्रखण्ड स्थित निसखा गांव के रहनेवाले 45 साल के तंजील रहमान पक्षी खासकर गौरैया संरक्षण को लेकर पिछले दस सालों से काम कर रहे हैं. इन्होंने घर के कई कमरों और बागीचों के पेड़ों पर इनका आशियाना बना दिया है. पक्षियों के आशियाने को बिल्कुल प्राकृतिक रूप-रंग दिया गया है.
'एक टीवी चैनल के जरिये जानकारी मिली कि गौरैया विलुप्त हो रही है. इसको संरक्षित करने से बहुत सी बीमारी दूर होती है. मैंने उसी वक्त ठान लिया कि गौरैया का संरक्षण करूंगा. फिर गौरैया का घोंसला लमनी यानी घड़े में बनाने लगा. शुरुआत में एक दो गौरैया आकर रहने लगी. धीरे- धीरे हजार के करीब गौरैया आकर रहने लगी.'- तंजील रहमान, बर्ड मैन
पक्षियों ने बनाया आशियाना
तंजील रहमान के अनोखे पक्षी प्रेम का नतीजा है कि इनके घर में सैकड़ों गौरैयों ने आशियाना बनाया है. वहीं गांव से विलुप्त हो रही गौरैया का आगमन गांव के अन्य घरों में हो रहा है.
पक्षियों के मारने पर रोक
इस गांव में पक्षियों को मारने पर रोक है. कोई भी उनका शिकार नहीं कर सकता है. तंजील के इस काम की तारीफ उनके परिवार के साथ साथ पूरे गांव के लोग कर रहे हैं.
रेडिएशन पक्षियों के लिए बड़ा खतरा
गौरतलब है कि शहर में विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों द्वारा लगाए जा रहे मोबाइल टावर के रेडिएशन से पक्षियों को खासकर गौरैया को बड़ा नुकसान पहुंचता है. शहर से गौरैया विलुप्त होने के कगार पर थी. गांव में भी पक्के मकान बनने से गौरैया को आशियाना नहीं मिल रहा था. ऐसे में विलुप्त हो रहे गौरैया सहित अन्य पक्षियों को बचाने की मुहीम तंजील रहमान ने शुरू की है.