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यातायात के सभी साधन बंद, पैदल ही अपने घरों का रास्ता नापने को मजबूर हैं मजदूर - झारखंड के गढ़वा

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश में सरकार ने लॉक डाउन लगाया है. इस वजह से राजधानी के आसपास कारखानों में काम बंद हो चुका है. इसकी वजह से कारखानों में काम करने वाले मजदूरों से लेकर कई गरीब लोग प्रभावित हुए हैं. ऐसे में सैकड़ों लोग शहर छोड़ अपने गांव जाने के लिए मजबूर हैं. बंदी के कारण पूरे देश में लगभग यातायात के सभी साधन बंद हैं. ऐसे में घर जाने का जल्दी या मजबूरी में लोग पैदल ही अपने घरों का रास्ता नाप रहें हैं.

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Published : Mar 28, 2020, 8:37 PM IST

गया: कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने एहतियात के तौर पर देश भर में लॉक डाउन लागू किया है. लॉक डाउन के कारण पूरे देश में यातायात के लगभग सभी साधन ठप हो चुकें है. लॉक डाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है. मजदूरों के रोजगार पर ग्रहण लग चुका है. इस वजह से लोग बड़े-बड़े शहरों से पैदल ही अपने घरों का रास्ता नाप रहें है. ऐसे ही मजदूरों के 13 लोगों का एक समूह पैदल ही पटना के अथमलगोला से गया के डुमरिया के लिए निकल पड़ें.

'150 किमी का सफर तय कर पहुंचे गया'
इस बाबात जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पैदल अपने गंतव्य स्थान की ओर जा रहे मजदूरों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे लोग पटना जिले के अंतिम छोड़ पर स्थित अथमगोला से 13 लोगों के ग्रुप के साथ पैदल ही गया के निकले. शनिवार की शाम को 150 किलोमीटर का सफर तय कर गया पहुंचे. मजदूरों ने बताया कि कुछ महीनों से अथमगोला में पानी टंकी का निर्माण कार्य चल रहा था. लॉक डाउन हुआ तब से काम बंद हो गया. बकाया पैसा संवेदक ने दे दिया और अपने-अपने घर जाने की सलाह दी. बंदी के वजह से एक भी ट्रेन और बस नहीं चल रही है. जिस वजह से हमलोगों ने पैदल ही घर जाने का निर्णय लिया. अथमगोला से डुमरिया के दूरी लगभग 250 किलोमीटर है. अभी हमने 150 किमी की दूरी तय की है. अभी हमें 100 किमी और जाना है. मजदूरों ने बताया कि रास्ते में किसी ने मदद नहीं की. हमलोग भूखे-प्यासे अपने घर की ओर जा रहें हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'पैदल नाप रहे घर का रास्ता'
गौरतलब है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा दिहाड़ी पर जीवन यापन कर रहे मजदूरों को रुला रहा है. मजदूरों का कहना है काम मिलना बंद हो गया है. अब हमारे पास पैसे के अभाव हैं, इस वजह से आने-जाने का साधन तो दूर की बात. हमलोगों के पास खाने के लिए रुपयों का अभाव भी आन पड़ा है. बता दें कि कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन में केवल बिहार के विभिन्न जिले से ही मजदूर अपने घर नहीं जा रहे हैं. बल्कि यूपी, दिल्ली और राजस्थान से भी अपने घर का रास्ता पैदल ही नाप रहें हैं. हालांकि, शनिवार को गया जिले से 9 लोगो के ग्रुप पटना से झारखंड के गढ़वा लिए जा रहा था. गया पहुंचने के बाद जिला प्रशासन से मदद मांगने पर प्रशासन ने सभी के रहने के लिए अंबेडकर छात्रावास में व्यवस्था करवाया.

गया: कोरोना वायरस से बचाव के लिए सरकार ने एहतियात के तौर पर देश भर में लॉक डाउन लागू किया है. लॉक डाउन के कारण पूरे देश में यातायात के लगभग सभी साधन ठप हो चुकें है. लॉक डाउन का सबसे ज्यादा प्रभाव दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है. मजदूरों के रोजगार पर ग्रहण लग चुका है. इस वजह से लोग बड़े-बड़े शहरों से पैदल ही अपने घरों का रास्ता नाप रहें है. ऐसे ही मजदूरों के 13 लोगों का एक समूह पैदल ही पटना के अथमलगोला से गया के डुमरिया के लिए निकल पड़ें.

'150 किमी का सफर तय कर पहुंचे गया'
इस बाबात जब ईटीवी भारत संवाददाता ने पैदल अपने गंतव्य स्थान की ओर जा रहे मजदूरों से बात की तो उन्होंने बताया कि वे लोग पटना जिले के अंतिम छोड़ पर स्थित अथमगोला से 13 लोगों के ग्रुप के साथ पैदल ही गया के निकले. शनिवार की शाम को 150 किलोमीटर का सफर तय कर गया पहुंचे. मजदूरों ने बताया कि कुछ महीनों से अथमगोला में पानी टंकी का निर्माण कार्य चल रहा था. लॉक डाउन हुआ तब से काम बंद हो गया. बकाया पैसा संवेदक ने दे दिया और अपने-अपने घर जाने की सलाह दी. बंदी के वजह से एक भी ट्रेन और बस नहीं चल रही है. जिस वजह से हमलोगों ने पैदल ही घर जाने का निर्णय लिया. अथमगोला से डुमरिया के दूरी लगभग 250 किलोमीटर है. अभी हमने 150 किमी की दूरी तय की है. अभी हमें 100 किमी और जाना है. मजदूरों ने बताया कि रास्ते में किसी ने मदद नहीं की. हमलोग भूखे-प्यासे अपने घर की ओर जा रहें हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'पैदल नाप रहे घर का रास्ता'
गौरतलब है कि कोरोना वायरस सबसे ज्यादा दिहाड़ी पर जीवन यापन कर रहे मजदूरों को रुला रहा है. मजदूरों का कहना है काम मिलना बंद हो गया है. अब हमारे पास पैसे के अभाव हैं, इस वजह से आने-जाने का साधन तो दूर की बात. हमलोगों के पास खाने के लिए रुपयों का अभाव भी आन पड़ा है. बता दें कि कोरोना के कारण हुए लॉक डाउन में केवल बिहार के विभिन्न जिले से ही मजदूर अपने घर नहीं जा रहे हैं. बल्कि यूपी, दिल्ली और राजस्थान से भी अपने घर का रास्ता पैदल ही नाप रहें हैं. हालांकि, शनिवार को गया जिले से 9 लोगो के ग्रुप पटना से झारखंड के गढ़वा लिए जा रहा था. गया पहुंचने के बाद जिला प्रशासन से मदद मांगने पर प्रशासन ने सभी के रहने के लिए अंबेडकर छात्रावास में व्यवस्था करवाया.

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