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बुद्ध पूर्णिमा: महाबोधी मंदिर में जलाए गए 51 हजार दीप

गया स्थित महाबोधी मंदिर में इस बार सादगी के साथ बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई. इस मौके पर मंदिर परिसर में 51 हजार दीप जलाए गए.

महाबोधी टेम्पल
महाबोधी टेम्पल
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Published : May 8, 2020, 10:52 AM IST

गया: बोधगया में भगवान बुद्ध की 2564वीं जयंती के अवसर पर विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर में 51 हजार दीप जलाए गए. मंदिर के परिसर में ये दीप जलाए गए. साथ ही बोधगया टेम्पल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों ने लॉक डाउन के दौरान गुरुवार को सादगी से पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे प्रार्थना की.

बोधगया में पहली बार लॉक डाउन की वजह से भगवान बुद्ध की 2564वीं जयंती समारोह का सार्वजनिक रूप से आयोजन नहीं किया गया. इससे पूर्व बुद्ध जयंती के मौके पर विश्व के कई देशों के धर्मगुरु, श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होने के लिए आते थे. इस बार बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों ने सादगी से पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे प्रार्थना सभा का आयोजन किया. महाबोधी मंदिर के प्रांगण में 51 हजार दीप जलाए गए. पूरा मंदिर परिसर दीपों से जगमगा उठा.

'सादगी से मनी बुद्ध पूर्णिमा'
मंदिर के पुजारी भन्ते राहुल ने बताया कि इस दिन सिद्धार्थ का जन्म हुआ था. साथ ही इस दिन ही उनको ज्ञान की प्रप्ति कठिन तपस्या के बाद बोधगया के निरंजन नदी के तट पर हुई थी. इस लिए बौद्ध भिक्षुओं के लिए ये दिन काफी पवित्र माना जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन बड़ी धूम धाम से गौतम बुद्ध की जयन्ती मानते हैं. लेकिन करोना वायरस को ध्यान में रखते हुए इस बार पूजा अर्चना बड़ी सादगी के साथ कर रहे हैं. इतिहास में पहली बार ऐसा बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई. इस दीपोत्सव में बीटीएमसी के सभी अधिकारी, पुजारी, कर्मचारी और सुरक्षा में तैनात सभी सुरक्षाकर्मियों ने हिस्सा लिया.

गया: बोधगया में भगवान बुद्ध की 2564वीं जयंती के अवसर पर विश्व धरोहर महाबोधी मंदिर में 51 हजार दीप जलाए गए. मंदिर के परिसर में ये दीप जलाए गए. साथ ही बोधगया टेम्पल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों ने लॉक डाउन के दौरान गुरुवार को सादगी से पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे प्रार्थना की.

बोधगया में पहली बार लॉक डाउन की वजह से भगवान बुद्ध की 2564वीं जयंती समारोह का सार्वजनिक रूप से आयोजन नहीं किया गया. इससे पूर्व बुद्ध जयंती के मौके पर विश्व के कई देशों के धर्मगुरु, श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होने के लिए आते थे. इस बार बोधगया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी के सदस्यों ने सादगी से पवित्र बोधिवृक्ष के नीचे प्रार्थना सभा का आयोजन किया. महाबोधी मंदिर के प्रांगण में 51 हजार दीप जलाए गए. पूरा मंदिर परिसर दीपों से जगमगा उठा.

'सादगी से मनी बुद्ध पूर्णिमा'
मंदिर के पुजारी भन्ते राहुल ने बताया कि इस दिन सिद्धार्थ का जन्म हुआ था. साथ ही इस दिन ही उनको ज्ञान की प्रप्ति कठिन तपस्या के बाद बोधगया के निरंजन नदी के तट पर हुई थी. इस लिए बौद्ध भिक्षुओं के लिए ये दिन काफी पवित्र माना जाता है. वैशाख पूर्णिमा के दिन बड़ी धूम धाम से गौतम बुद्ध की जयन्ती मानते हैं. लेकिन करोना वायरस को ध्यान में रखते हुए इस बार पूजा अर्चना बड़ी सादगी के साथ कर रहे हैं. इतिहास में पहली बार ऐसा बुद्ध पूर्णिमा मनाई गई. इस दीपोत्सव में बीटीएमसी के सभी अधिकारी, पुजारी, कर्मचारी और सुरक्षा में तैनात सभी सुरक्षाकर्मियों ने हिस्सा लिया.

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