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गया: बुखार से एक ही परिवार के 2 बच्चों की मौत, तीसरे की हालत नाजुक, सरकार बेपरवाह

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी ने बताया कि कमलेश मांझी की पुत्री की मौत सूखा रोग से हुई थी. उनके बेटे को भी सूखा रोग हुआ है. बेटे को अस्पताल में भर्ती कराने को कहा गया था, लेकिन उसने बच्चे को अभी तक भर्ती नहीं कराया.

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Published : Jul 25, 2019, 10:33 AM IST

Updated : Jul 25, 2019, 11:51 AM IST

गया: जिले में मॉनसून के दस्तक देते ही जापानी बुखार का असर दिखने लगता है. जिले में अब तक कुल 10 बच्चे जेई पॉजिटिव पाए गए हैं. बुखार लगने से गुरारू प्रखंड के महुआइन गांव में रहने वाले कमलेश मांझी के 2 बच्चों की मौत हो चुकी है. तीसरे बच्चे की हालत भी गंभीर है. लेकिन सरकार की तरफ से जेई या एईएस को लेकर गांव में कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया है.

महुआइन गांव में फेल होते दिखे जिला प्रशासन के दावे
जिला प्रशासन ने दावा किया था कि जेई से निपटने के लिए 11 जुलाई से 13 जुलाई तक ग्राम सभा कर लोगों को जागरूक किया गया है. एईएस/जेई प्रभावित संदिग्ध जगहों पर छिड़काव किया गया है. 28 हजार बच्चों का टीकाकरण भी किया गया है. लेकिन, इन दावों का एक अंश भी महुआइन गांव तक नही पहुंचा है.

गया
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र

डॉक्टरों की टीम ने की सिर्फ खानापूर्ति
गांव के महादलित टोला में रहने वाले कमलेश मांझी के घर के आसपास गंदगी, सुअर और मच्छर का कब्जा है. जेई बीमारी इन्हीं से उत्पन्न होती है. डॉक्टर की टीम ने कमलेश मांझी के घर जाकर बस खानापूर्ति की. डॉक्टर ने कहा कि महूआइन गांव में जेई का कोई असर नहीं दिखा, इसलिए वहां छिड़काव नहीं किया गया है. ग्रामीणों को एईएस/जेई के बारे जागरूक तक नहीं किया.

पेश है रिपोर्ट

डॉक्टर ने मछली और अंडा खिलाने को कहा
कमलेश मांझी ने बताया कि उनका तीसरा बच्चा 8 वर्षीय सुदामा बुखार की वजह से अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है. सुदामा के शरीर में सिर्फ हड्डी का ढांचा ही नजर आता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से जब डॉक्टर आए तो बिना दवा दिए ही चले गए. उन्होंने बस मछली और अंडा खिलाने को कहा और जब बुलाया जाए तब आने को कहा.

क्या कहते हैं डॉक्टर?
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी डॉ मंजर हुसैन ने बताया कि कमलेश मांझी की पुत्री की मौत सूखा रोग से हुई थी. उनके बेटे को भी सूखा रोग हुआ है. बेटे को अस्पताल में भर्ती कराने को कहा गया था, लेकिन कमलेश ने बच्चे को अभी तक भर्ती नहीं कराया. उन लोगों ने कमलेश के घर जाकर जांच की तो वहां जेई का कोई भी असर नहीं दिखा. जो दिशा निर्देश एईएस और जेई के लिए मिला है उसे पूरा किया जा रहा है. अब तक सिर्फ एक ही गांव में जेई के लिए छिड़काव किया गया है.

गया: जिले में मॉनसून के दस्तक देते ही जापानी बुखार का असर दिखने लगता है. जिले में अब तक कुल 10 बच्चे जेई पॉजिटिव पाए गए हैं. बुखार लगने से गुरारू प्रखंड के महुआइन गांव में रहने वाले कमलेश मांझी के 2 बच्चों की मौत हो चुकी है. तीसरे बच्चे की हालत भी गंभीर है. लेकिन सरकार की तरफ से जेई या एईएस को लेकर गांव में कोई जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया है.

महुआइन गांव में फेल होते दिखे जिला प्रशासन के दावे
जिला प्रशासन ने दावा किया था कि जेई से निपटने के लिए 11 जुलाई से 13 जुलाई तक ग्राम सभा कर लोगों को जागरूक किया गया है. एईएस/जेई प्रभावित संदिग्ध जगहों पर छिड़काव किया गया है. 28 हजार बच्चों का टीकाकरण भी किया गया है. लेकिन, इन दावों का एक अंश भी महुआइन गांव तक नही पहुंचा है.

गया
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र

डॉक्टरों की टीम ने की सिर्फ खानापूर्ति
गांव के महादलित टोला में रहने वाले कमलेश मांझी के घर के आसपास गंदगी, सुअर और मच्छर का कब्जा है. जेई बीमारी इन्हीं से उत्पन्न होती है. डॉक्टर की टीम ने कमलेश मांझी के घर जाकर बस खानापूर्ति की. डॉक्टर ने कहा कि महूआइन गांव में जेई का कोई असर नहीं दिखा, इसलिए वहां छिड़काव नहीं किया गया है. ग्रामीणों को एईएस/जेई के बारे जागरूक तक नहीं किया.

पेश है रिपोर्ट

डॉक्टर ने मछली और अंडा खिलाने को कहा
कमलेश मांझी ने बताया कि उनका तीसरा बच्चा 8 वर्षीय सुदामा बुखार की वजह से अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो सकता है. सुदामा के शरीर में सिर्फ हड्डी का ढांचा ही नजर आता है. प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से जब डॉक्टर आए तो बिना दवा दिए ही चले गए. उन्होंने बस मछली और अंडा खिलाने को कहा और जब बुलाया जाए तब आने को कहा.

क्या कहते हैं डॉक्टर?
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के प्रभारी डॉ मंजर हुसैन ने बताया कि कमलेश मांझी की पुत्री की मौत सूखा रोग से हुई थी. उनके बेटे को भी सूखा रोग हुआ है. बेटे को अस्पताल में भर्ती कराने को कहा गया था, लेकिन कमलेश ने बच्चे को अभी तक भर्ती नहीं कराया. उन लोगों ने कमलेश के घर जाकर जांच की तो वहां जेई का कोई भी असर नहीं दिखा. जो दिशा निर्देश एईएस और जेई के लिए मिला है उसे पूरा किया जा रहा है. अब तक सिर्फ एक ही गांव में जेई के लिए छिड़काव किया गया है.

Intro:गया में मानसून के दस्तक देते ही जापानी बुखार का असर दिखने लगता है।जिले में अब तक 10 बच्चे जेई पॉजिटिव पाए गए हैं। गुरारू प्रखंड के महुआइन गांव के दलित टोला में एक ही परिवार के दो बच्चों का मौत बुखार लगने से हो चुका है तीसरे बच्चे का भी हालत गंभीर है। गाँव मे जेई को लेकर अब तक कोई जागरूकता अभियान नही चलाया गया है ,जिला प्रशासन के द्वारा किया गया दावा महुआईंन गाँव मे फ़ैल होते दिख रहा है।


Body:जिला प्रशासन जेई से निपटने के लिए 11 जुलाई से लेकर 13 जुलाई तक ग्राम सभा कर ग्रामीणों को जागरूक किया,एईएस/जेई प्रभावित सन्दिग्ध जगहों पर छिड़काव किया गया,28 हजार बच्चों का टीकाकरण किया गया, आंगनबाड़ी और आशा दीदी द्वारा बुखार से पीडित बच्चों को अस्पताल पहुचाया गया। ये सारे दावा जिला प्रशासन ने किया था लेकिन इन दावा का एक अंश भी महुआईंन गांव में नही पहुँचा हैं। आलम ये है बिना जागरूक लोग अपने बच्चों का इलाज ठीक से नही करवा रहे हैं जिससे बच्चों का मौत हो रहा है।

जिला में जेई के 10 मरीज पाए गए है इसमें कई मरीजो का मौत भी हो चुकी है। गुरारू प्रखंड के महुआईन गांव में महादलित टोला के कमलेश मांझी के दो बच्ची की मौत हो गया हैं। तीसरा बच्चा का हालत गंभीर है। घर के आसपास गंदगी, सुअर और मच्छर का कब्जा है जेई बीमारी यही तीनो चीज से उत्पन्न होता हैं। डॉक्टर टीम ने कमलेश मांझी के घर जाकर बस खाना पूर्ति किया। कमलेश मांझी सहित ग्रामीणों को एईएस/जेई के बारे जागरूक तक नही किया।

कमलेश मांझी की मां बताती हैं मेरी दो पोती का मौत हो चुका है। एक का मौत जन्म लेने के कुछ दिन बाद नानी घर हुआ दूसरा का मौत गांव पर हुआ। दोनों को बुखार के साथ फरका भी आता था। तीसरे पोता का भी हालत गंभीर है डॉक्टर साहब आये बिना दवा दिए चले गए।

कमलेश मांझी ने बताया कुछ दिन पहले मेरी एक बेटी छः वर्षीय प्रतिमा की मौत बुखार लगने से हुआ। जब बुखार लगता था तब फरका आता था कई जगह ले जाकर दिखाएं ठीक नहीं हुआ। अंतत मौत हो गया। तीसरा बच्चा आठ वर्षीय सुदामा का हालत गंभीर है। बुखार के वजह से यह बच्चा अपने पैरों पर खड़ा नही हो सकता है नहीं बिस्तर से उठ सकता है सुदामा के शरीर पर सिर्फ हड्डी का ढांचा ही नजर आ रहा है। गरीबी के वजह से दिखा नही पा रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर आये सुदामा को देखे और कहे जब बुलाये गए तब आएगा। बिना दवा दिए चले गए बस बोले अंडा और मछली खिलाओ।


Conclusion:प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ मंजर हुसैन बताते हैं कमलेश मांझी के पुत्री की मौत सूखा रोग से हुआ था और जो बेटा गंभीर हालत में है उसे भी सूखा रोग हुआ है हम लोग कमलेश मांझी के घर जाकर जांच किए हैं वहां जेई का कोई भी असर नहीं है सुखा रोग होने के वजह से बच्चों में बुखार आता है। हमलोग को जो दिशा निर्देश एईएस और जेई के लिए मिला है उसे पूरा कर रहे हैं।

महुआईन गावँ के महादलित टोला के जीतन बिगहा में कमलेश मांझी के घर के आसपास गन्दगी पसरा हुआ है सुअर हैं फिर भी छिड़काव नही किया गया ना ही जागरूक किया गया है। इस पर डॉ मंजर हुसैन ने बताया कि हम लोग जेई को लेकर कमलेश मांझी के परिवार और ग्रामीणों को जागरूक किए हैं छिड़काव क प्रभावित जगह पर किया जाता है अभी तक सिर्फ एक गांव में किया गया है महुआइन गांव में नहीं किया गया हैं।

बाइट- कमलेश मांझी के माँ
बाइट-ग्रामीण
बाइट- कमलेश मांझी
बाइट - प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ मंजर हुसैन
Last Updated : Jul 25, 2019, 11:51 AM IST
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