गया: सोशल इंजीनियरिंग में माहिर खिलाड़ी ने बतौर सातवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ग्रहण कर ली. लेकिन मात उसी फिल्ड में खा गए. जिसमें उन्हें महारत हासिल है. चुनाव में उतरने से पहले सभी जाति के मंत्रियों के साथ बैठाकर जदयू के तरफ से चुनावी बिगुल बजाने वाले नीतीश जब सातवीं बार राजभवन पहुंचे तो सोशल इंजीनियरिंग की गणित को बैठाना भूल गए.
बिहार में एनडीए के शपथ ग्रहण में कायस्थों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलने पर प्रदेश भर के कायस्थ जाति के संगठनों में काफी रोष है. गया में आज अखिल भारतीय कायस्थ समाज के सदस्यों ने कहा कि अगर सत्ता दल मंत्रिमंडल में कायस्थ समाज को शामिल नहीं करेगा तो उसके खिलाफ पूरे बिहार में आंदोलन करेंगे.
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने जीत हासिल कर शपथ ग्रहण की औपचारिकता को बीते कल पूरा कर लिया. मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों का शपथ ग्रहण भी हो गया. नीतीश कुमार की इस सातवीं पारी में उनके टीम में कायस्थ समाज से एक भी मंत्री को शामिल नहीं किया गया है. जबकि कायस्थ समाज से एनडीए के तीन विधायक चुनाव जीतकर सदन में दाखिल हो चुके हैं.
भाजपा को कायस्थ 13 साल से वोट देते आऐ हैं, लेकिन आज तक मंत्री पद कायस्थों को नहीं मिला
अखिल भारतीय कायस्थ समाज के जिलाध्यक्ष मोहन श्रीवास्तव ने कहा कि राजद शासन काल मे कायस्थ समाज से एक मंत्री थी. उसके बाद से एनडीए सरकार ने एक बार भी कायस्थ समाज के विधायक को मंत्री नहीं बनाया है. इस बार भी एनडीए कायस्थ समाज के विधायकों को मौका नहीं दिया. जबकि तीन में से दो विधायक चार बार चुनाव जीतकर आये हैं. कायस्थ समाज एकमुश्त होकर भाजपा को वोट देती है. लेकिन भाजपा पिछले 13 सालों से एक भी मंत्रिमंडल नहीं दिया है. उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय कायस्थ समाज के लोगो ने निर्णय लिया है कि अगर मंत्रिमंडल विस्तार में कायस्थ समाज का प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला तो पूरे बिहार में आंदोलन किया जाएगा.