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बिहार: दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध स्तूप की दोबारा शुरू हुई खुदाई, मौर्य और गुप्तकाल के मिले अवशेष - गुप्तकाल

केसरिया बौद्ध स्तूप जो दुनिया के सबसे बड़े बौद्ध स्तूप के रूप में जाना जाता है उसकी दोबारा खोदाई शुरू हुई है. इस दौरान कई अवशेष भई बरामद हुए हैं जिससे पता चलता है कि इसका निर्माण मौर्यकाल में शुरू हुआ था और गुप्तकाल में यह बनकर तैयार हुआ था.

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Published : Apr 3, 2019, 1:27 AM IST

मोतिहारी: दुनिया के सबसे बड़े केसरिया बौद्ध स्तूप की वर्षों बाद एक बार फिर खुदाई शुरू हुई है. पटना पुरातत्विक विभाग की टीम में विभाग के निदेशक डॉ. प्रवीण भट्टाचार्य के निर्देशन में खुदाई हो रही है. खुदाई से पौराणिक काल के अवशेष मिल रहे हैं. इनमें मौर्यकालीन और गुप्ताकाल की शिल्पकारी और अवशेष हैं.

जानकारी देते पुरातत्व विभाग टीम के सदस्य

दरअसल, केसरिया स्थित स्तूप दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है. जमीन से इसकी ऊंचाई 104 फीट 10 इंच है. अभी हो रही खुदाई में 6 से 7 फीट का एक केबिन जमीन के अंदर मिला है. इससे स्तूप की उंचाई और बढ़ी हुई मानी जा रही है.

बताया जा रहा है कि 1934 में आए भूकम्प में यह बौद्ध स्तूप चोटी पर से 25 से 30 फीट टूट गया था. इस कारण इसकी उंचाई में कमी आ गयी है. कहा जाता है कि परिनिर्वाण के पूर्व भगवान बुद्ध यहां आए थे और अपना केसरिया वस्त्र और एक पात्र छोड़कर गए थे. इसलिए इस जगह का नाम केसरिया पड़ा था.

खुदाई कर रही पुरातत्विक विभाग की टीम के सदस्य ने बताया कि खुदाई के दौरान जो चीजें मिल रही हैं उसके अनुसार गिलावा मिट्टी से स्तूप बना हुआ है. साथ ही, इसके अवशेष से जो अब तक का आंकलन है उसके अनुसार मौर्यकाल में इसका निर्माण शुरू हुआ और गुप्तकाल में इस स्तूप का निर्माण पूरा हुआ. इसके अलावा टीम ने बताया कि अभी खुदाई में और भी चीजें बरामद होंगी जिससे समय का आंकलन किया जाएगा.

मोतिहारी: दुनिया के सबसे बड़े केसरिया बौद्ध स्तूप की वर्षों बाद एक बार फिर खुदाई शुरू हुई है. पटना पुरातत्विक विभाग की टीम में विभाग के निदेशक डॉ. प्रवीण भट्टाचार्य के निर्देशन में खुदाई हो रही है. खुदाई से पौराणिक काल के अवशेष मिल रहे हैं. इनमें मौर्यकालीन और गुप्ताकाल की शिल्पकारी और अवशेष हैं.

जानकारी देते पुरातत्व विभाग टीम के सदस्य

दरअसल, केसरिया स्थित स्तूप दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है. जमीन से इसकी ऊंचाई 104 फीट 10 इंच है. अभी हो रही खुदाई में 6 से 7 फीट का एक केबिन जमीन के अंदर मिला है. इससे स्तूप की उंचाई और बढ़ी हुई मानी जा रही है.

बताया जा रहा है कि 1934 में आए भूकम्प में यह बौद्ध स्तूप चोटी पर से 25 से 30 फीट टूट गया था. इस कारण इसकी उंचाई में कमी आ गयी है. कहा जाता है कि परिनिर्वाण के पूर्व भगवान बुद्ध यहां आए थे और अपना केसरिया वस्त्र और एक पात्र छोड़कर गए थे. इसलिए इस जगह का नाम केसरिया पड़ा था.

खुदाई कर रही पुरातत्विक विभाग की टीम के सदस्य ने बताया कि खुदाई के दौरान जो चीजें मिल रही हैं उसके अनुसार गिलावा मिट्टी से स्तूप बना हुआ है. साथ ही, इसके अवशेष से जो अब तक का आंकलन है उसके अनुसार मौर्यकाल में इसका निर्माण शुरू हुआ और गुप्तकाल में इस स्तूप का निर्माण पूरा हुआ. इसके अलावा टीम ने बताया कि अभी खुदाई में और भी चीजें बरामद होंगी जिससे समय का आंकलन किया जाएगा.

Intro:मोतिहारी।दुनिया के सबसे बड़े केसरिया बौद्ध स्तूप की बर्षों बाद एक बार फिर खुदाई शुरु हुई है।पटना पुरातत्विक विभाग की टीम विभाग के निदेशक डॉ. प्रवीण भट्टाचार्य के निर्देशन में खुदाई हो रही है।खुदाई से पौराणिक काल के अवशेष मिल रहे हैं।जिसमें मौर्य कालीन और गुप्ता काल के शिल्पकारी और अवशेष हैं।


Body:दरअसल,केसरिया स्थित बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप है।जिसकी उंचाई 104 फीट 10 ईंच जमीन के लेवल से हैं।जबकि अभी हो रहे खुदाई से छः से सात फीट का एक केबिन जमीन के अंदर मिला है।जिससे इसकी उंचाई और बढ़ेगी।बताया जाता है कि 1934 ईंसवी मे आये भूकम्प में यह बौद्ध स्तूप चोटी पर से 25 से तीस फूट टूट गया था।जिस कारण इसकी उंचाई में कमी आ गयी थी।कहा जाता है कि परिनिर्वाण के पूर्व भगवान बुद्ध यहां आए थे और अपना केसरिया बस्त्र और एक पात्र छोड़कर गए थे।इसलिए इस जगह का नाम केसरिया पड़ा था।


Conclusion:खुदाई कर रहे पुरातत्विक विभाग के टीम के सदस्य ने बताया कि खुदाई के दौरान जो चीजें मिल रही है।उसके अनुसार गिलावा मिट्टी से स्तूप बना हुआ है।साथ हीं इसके अवशेष से जो अब तक का आकलन है।उसके अनुसार मौर्य काल में इसका निर्माण शुरु हुआ और गुप्त काल में इस स्तूप का निर्माण पुरा हुआ।इसके अलावा टीम ने बताया कि अभी खुदाई में और चीजें बरामद होगी।जिसके समय का आकलन किया जाएगा।

बाईट....एसपी यादव.....स्थानीय कर्मी
बाईट....दिनेश कुमार,सहायक पुरातत्व विभाग
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