पूर्वी चंपारण : कोरोना का खौफ और लॉकडाउन की पाबंदियों ने पर्व त्योहार के आकर्षण को काफी प्रभावित किया है. लिहाजा, पति की लंबी आयु और सेहत के लिए सुहागिनों द्वारा मनाए जाने वाले वट सावित्री पर्व पर भी कोरोना का असर देखने को मिला. महिलाओं ने अपने घर में वट सावित्री का पर्व पूरे विधि विधान से किया.
महिलाओं ने लिया मोबाइल का सहारा
इस दौरान महिलाओं ने वट वृक्ष की डाली को किसी पात्र में मिट्टी के सहारे खड़ा कर अखंड सौभाग्य के पर्व को पूरा किया. इस पर्व में कोई पंडित या बुजुर्ग महिला वट सावित्री से जुड़ी कथा को कहती है, जिसके लिए महिलाओं ने मोबाइल का सहारा लिया और उस पर कथा सुनकर अपना व्रत पूरा किया.
घरों में ही हुई पूजा
कोरोना संक्रमण को लेकर लगे लॉकडाउन के कारण अपने घर में वट सावित्री का पर्व कर रहीं भारती ने बताया कि यह पर्व सुहागिन महिलाएं एक जगह इकट्ठा होकर करती हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण सभी महिलाएं अपने-अपने घरों में ही यह पर्व कर रही हैं. यह त्योहार चौबीस घंटे का होता है. उन्होंने बताया कि वट सावित्री की कथा मोबाइल पर सुनकर व्रत को पूरा किया है.
सुहागिनें बरगद के पेड़ की करती हैं परिक्रमा
प्रचलित कथाओ के अनुसार, सावित्री के पति सत्यवान के मृत शरीर की रक्षा वट वृक्ष की जटाओं ने की थी ताकि मृत शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सके. इसी के बाद से सुहागिन महिलाओं द्वारा वट वृक्ष की पूजा की परंपरा शुरु से चली आ रही. इस दिन महिलाएं वट के चारों ओर परिक्रमा करती हैं और बरगद के पेड़ के चारों तरफ सूत लपेटते हुए पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.