पूर्वी चंपारण (मोतिहारी): जिले के मधुबन थाना क्षेत्र के कोठिया गांव की तीन महिलाएं न्याय की मांग को लेकर बिते दो दिनों से कचहरी चौक पर अनशन पर बैठी हुई हैं. अनशन पर बैठी महिलाओं की सुध अभी तक जिला प्रशासन ने नहीं ली है.
अनशन कर रही महिलाओं ने बताया 'उनके गांव के रहने वाले प्रमोद पासवान ने उनके परिवार के लोगों के उपर एससी-एसटी का गलत मुकदमा कर दिया है. जिसके खिलाफ वह जांच कर न्याय की मांग को लेकर अनशन पर बैठी हुई हैं.
'एससी-एसटी एक्ट के गलत मुकदमें में फंसाया गया'
अनशन पर बैठी जयलस देवी ने रोते हुए बताया कि उनके खेत पर प्रमोद पासवान ने जबरन कब्जा कर लिया है. रास्ता भी अवरुद्ध कर दिया है. प्रमोद पासवान ने उनके बेटे की पिटाई की है. मारपीट के बाद हमारे परिवार के ऊपर ही एससी-एससी एक्ट के तहत मुकदमा कर दिया गया. घटना को पकड़ीदयाल डीएसपी ने अपने अनुसंधान में सत्य करार दिया है. उन्होने कहा कि झूठे मुकदमें में न्याय की मांग को लेकर वह अनशन पर बैठी हुई है.
'न्याय मिलने तक जारी रहेगा अनशन'
वहीं,अनशन पर बैठी देबिया देवी ने बताया कि वे लोग गरीब हैं और गांव का प्रमोद पासवान दबंग व्यक्ति है. प्रमोद पासवान ने उनकी जमीन को मारपीट कर कब्जा कर लिया है. साथ ही मुकदमा भी कर दिया है. जिसमें उनके घर के एकमात्र कमाने वाले लड़के को जेल भेज दिया गया. जिसका जमानत लोगों से पैसा मांगकर कराया है. उन्होने न्याय की मांग करते हुए कहा कि जबतक उनलोगों को न्याय नहीं मिलेगा. वे भूखे-प्यासे अनशन करती रहेंगी.
किसी अधिकारी ने नहीं ली सुध
20 जून से भूखे-प्यासे न्याय की मांग को लेकर अनशन पर बैठी हुई इन महिलाओं का अभी तक किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली है. विडंबना यह है कि जिस सड़क पर ये महिलाएं अनशन पर बैठी हुई है. वहां से जिला प्रशासन के अधिकारियों की वाहन प्रतिदिन कई बार गुजरती है. लेकिन किसी अधिकारी ने अनशन कर रही इस महिलाओं के बारे में अब तक सुध नहीं ली है.
क्या है एससी-एससी एक्ट?
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों पर होने वाले अत्याचार और उनके साथ होनेवाले भेदभाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 बनाया गया था. मामले में केस दर्ज होते ही गिरफ्तारी का प्रावधान है. इसके अलावा आरोपी को अग्रिम जमानत भी नहीं मिल सकती है. आरोपी को हाईकोर्ट से ही नियमित जमानत मिल सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने किया था कानून में बदलाव
इस कानून में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव किया था. कानून में बदलाव के बाद देश में सियासी भूचाल आ गया था. सर्वोच्च न्यायालय ने एससी/एसटी एक्ट के बदलाव करते हुए कहा था कि मामलों में तुरंत गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. शिकायत मिलने के बाद डीएसपी स्तर के पुलिस अफसर शुरुआती जांच करेंगे. डीएसपी शुरुआती जांच कर नतीजा निकालेंगे कि शिकायत के मुताबिक क्या कोई मामला बनता है या फिर किसी तरीके से झूठे आरोप लगाकर फंसाया जा रहा है.
केंद्र सरकार ने फिर से किया था संसोधन
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में राजनीतिक भूचाल आ गया था. जिसके बाद केंद्र सरकार ने एससी\एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A जोड़ी. इसके जरिए पुराने कानून को बहाल कर दिया जाएगा. इस तरीके से सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए प्रावधान रद्द हो गए थे.