ETV Bharat / state

जातीय जनगणना राजनीतिक स्टंट, नीतीश बताएं इसका क्या है वैधानिक आधार: प्रशांत किशोर - बिहार की राजनीति

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Political Analytics Prashat Kishor) ने जातीय जनगणना को राजनीतिक स्टंट करार देते हुए सीएम नीतीश पर करारा जुबानी हमला किया है. उन्होंने सीएम नीतीश से पूछा है कि आखिर इसका वैज्ञानिक आधार क्या है? प्रशांत किशोर के इस बयान के बाद बिहार में राजनीति गर्मा गई है. पढ़ें Bihar Politics

प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज
author img

By

Published : Jan 7, 2023, 11:14 PM IST

प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

मोतिहारी: बिहार में आज से जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) का कार्य शुरू हो गया है. प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना को राजनीतिक स्टंट बताते हुए कहा कि लोगों के आर्थिक सामाजिक हालात के बारे में सरकार को जानकारी रखनी चाहिए. उस नजरिये से इसका स्वागत होना चाहिए. लेकिन जातीय जनगणना के पीछे की नियत को भी समझना होगा और उस जनगणना के बाद आप उसका क्या करने वाले हैं. इस जनगणना का कोई वैधानिक आधार नहीं है.

ये भी पढ़ें- 'समाधान यात्रा नहीं अपने राजनीतिक जीवन का अंतिम यात्रा कर रहे हैं नीतीश' - जीवेश मिश्रा

''नीतीश कुमार जी और उनकी सरकार सिर्फ राजनीति करने के लिए जनगणना करा रही है. क्योंकि जनगणना केंद्र का विषय है. इसलिए इसका वैधानिक आधार नहीं है. राज्य में कई जातीय समूहों को बेवकूफ बनाने के लिए विभिन्न कैटेगरी में रखकर केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेज दिया. लेकिन केंद्र सरकार ने उसे माना नहीं. इसलिए इसके वैधानिक आधार के बारे में नीतीश कुमार से सवाल किया जाना चाहिए. नीतीश कुमार से इसपर कोई सवाल भी नहीं कर रहा है और ना हीं नीतीश कुमार अथवा उनकी सरकार कुछ बोल रही है.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर जनगणना हो जाने से ही बिहार के लोगों की स्थिति सुधर जाती तो बिना जनगणना के मैं बता सकता हूं कि राज्य के 13 करोड़ लोग सबसे गरीब और पिछड़े हैं. प उनकी स्थिति सुधार दीजिए. सके लिए जनगणना की क्या जरुरत है? यह तो रोज सर्वे आ रहा है कि विकास के हर पैरामीटर पर हम सबसे पीछे हैं. सको सुधारने से आपको कौन रोक रहा है. लितों की जनगणना आजादी के बाद से हो रही है और दलित आज भी समाज में आर्थिक समाजिक तौर पर सबसे नीचले पायदान पर हैं.

समाज के लोगों को यह समझने की जरुरत है कि सिर्फ जनगणना हो जाने मात्र से आपकी स्थिति सुधरने वाली नहीं है. इसके पीछे के नियत और वैधानिक आधार को समझने की जरुरत है. अगर जातीय जनगणना हो भी गया, तो इसके बाद सरकार के पास योजना क्या है. आपको लोग देख रहे हैं कि दलित को आपने दलित और महादलित किया. दलित को आपने चार वर्गों से शुरुआत की. अब सभी को महादलित कह दिया और उनकी स्थिति अब भी वही बनी हुई है.

किसी के पास दुनिया की सारी किताबें रख दी जाए, तो वह आइंस्टीन नहीं बन जाएगा, तो यह जनगणना वही है. लोगों के आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है. समाज को बांटने का प्रयास है. अबतक जो आपने दलित, महादलित और एनेक्सर वन और टू में लोगों का बांटा. क्या उनकी स्थिति सुधरी. यह देखने का कभी प्रयास किया. यह केवल राजनीतिक रोटी सेंकने और समाज को लड़ने-लड़ाने का प्रयास है. ताकि आधा समाज इसका समर्थन करे और आधा विरोध करे. इस पर एक और चुनाव निकल जाए. अपनी गोटी लगी रहे।बस सरकार का इतना हीं प्रयास है.

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर जातीय जनगणना इतना हीं जरुरी है और इसी से विकास संभव है तो नीतीश कुमार 17 सालों से सत्ता में हैं यह समझ उनको आज क्यों आई है पहले क्यूं नहीं कराया. नीतीश कुमार से सवाल तो यह पूछना चाहिए कि जातीय जनगणना की जरुरत आज क्यों पड़ी।आप भाजपा के साथ थे. तो इसका वैधानिक आधार क्यूं नहीं बनाया।जनगणना के बाद आपकी योजना क्या है? जिनकी संख्या ज्यादा या कम होगी और जिनकी शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति खराब होगी।उनके लिए क्या कीजिएगा।यह भी बताना चाहिए।जो सरकारी आंकड़े अभी उपलब्ध हैं. उसके मुकाबले कोई नई जानकारी आएगी. इसके लिए सरकार कौन से नए प्रयास करेगी।यह भी बताना चाहिए. अगर बिहार की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है।तो उसकी जरुरत उसी समाज के लोगों को है. जिनकी राजनीति ये लोग करते हैं.

जन सुराज पदयात्रा पर निकले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शनिवार को पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी स्थित हवाई अड्डा मैदान में बने शिविर में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर अपने अब तक के फीडबैक की जानकारी दी।फिर पत्रकारों के कई सवालों का जबाब दिया. उन्होंने बताया कि 8 जनवरी को हवाई अड्डा मैदान में हीं जन सुराज के जिला सम्मेलन का आयोजन होगा।जिसमें जिला के सभी प्रखंडों के लोग हिस्सा लेंगे और उनकी राय ली जाएगी.

प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

मोतिहारी: बिहार में आज से जातीय जनगणना (Caste Census In Bihar) का कार्य शुरू हो गया है. प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना को राजनीतिक स्टंट बताते हुए कहा कि लोगों के आर्थिक सामाजिक हालात के बारे में सरकार को जानकारी रखनी चाहिए. उस नजरिये से इसका स्वागत होना चाहिए. लेकिन जातीय जनगणना के पीछे की नियत को भी समझना होगा और उस जनगणना के बाद आप उसका क्या करने वाले हैं. इस जनगणना का कोई वैधानिक आधार नहीं है.

ये भी पढ़ें- 'समाधान यात्रा नहीं अपने राजनीतिक जीवन का अंतिम यात्रा कर रहे हैं नीतीश' - जीवेश मिश्रा

''नीतीश कुमार जी और उनकी सरकार सिर्फ राजनीति करने के लिए जनगणना करा रही है. क्योंकि जनगणना केंद्र का विषय है. इसलिए इसका वैधानिक आधार नहीं है. राज्य में कई जातीय समूहों को बेवकूफ बनाने के लिए विभिन्न कैटेगरी में रखकर केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेज दिया. लेकिन केंद्र सरकार ने उसे माना नहीं. इसलिए इसके वैधानिक आधार के बारे में नीतीश कुमार से सवाल किया जाना चाहिए. नीतीश कुमार से इसपर कोई सवाल भी नहीं कर रहा है और ना हीं नीतीश कुमार अथवा उनकी सरकार कुछ बोल रही है.''- प्रशांत किशोर, संयोजक, जन सुराज

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर जनगणना हो जाने से ही बिहार के लोगों की स्थिति सुधर जाती तो बिना जनगणना के मैं बता सकता हूं कि राज्य के 13 करोड़ लोग सबसे गरीब और पिछड़े हैं. प उनकी स्थिति सुधार दीजिए. सके लिए जनगणना की क्या जरुरत है? यह तो रोज सर्वे आ रहा है कि विकास के हर पैरामीटर पर हम सबसे पीछे हैं. सको सुधारने से आपको कौन रोक रहा है. लितों की जनगणना आजादी के बाद से हो रही है और दलित आज भी समाज में आर्थिक समाजिक तौर पर सबसे नीचले पायदान पर हैं.

समाज के लोगों को यह समझने की जरुरत है कि सिर्फ जनगणना हो जाने मात्र से आपकी स्थिति सुधरने वाली नहीं है. इसके पीछे के नियत और वैधानिक आधार को समझने की जरुरत है. अगर जातीय जनगणना हो भी गया, तो इसके बाद सरकार के पास योजना क्या है. आपको लोग देख रहे हैं कि दलित को आपने दलित और महादलित किया. दलित को आपने चार वर्गों से शुरुआत की. अब सभी को महादलित कह दिया और उनकी स्थिति अब भी वही बनी हुई है.

किसी के पास दुनिया की सारी किताबें रख दी जाए, तो वह आइंस्टीन नहीं बन जाएगा, तो यह जनगणना वही है. लोगों के आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है. समाज को बांटने का प्रयास है. अबतक जो आपने दलित, महादलित और एनेक्सर वन और टू में लोगों का बांटा. क्या उनकी स्थिति सुधरी. यह देखने का कभी प्रयास किया. यह केवल राजनीतिक रोटी सेंकने और समाज को लड़ने-लड़ाने का प्रयास है. ताकि आधा समाज इसका समर्थन करे और आधा विरोध करे. इस पर एक और चुनाव निकल जाए. अपनी गोटी लगी रहे।बस सरकार का इतना हीं प्रयास है.

प्रशांत किशोर ने कहा कि अगर जातीय जनगणना इतना हीं जरुरी है और इसी से विकास संभव है तो नीतीश कुमार 17 सालों से सत्ता में हैं यह समझ उनको आज क्यों आई है पहले क्यूं नहीं कराया. नीतीश कुमार से सवाल तो यह पूछना चाहिए कि जातीय जनगणना की जरुरत आज क्यों पड़ी।आप भाजपा के साथ थे. तो इसका वैधानिक आधार क्यूं नहीं बनाया।जनगणना के बाद आपकी योजना क्या है? जिनकी संख्या ज्यादा या कम होगी और जिनकी शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति खराब होगी।उनके लिए क्या कीजिएगा।यह भी बताना चाहिए।जो सरकारी आंकड़े अभी उपलब्ध हैं. उसके मुकाबले कोई नई जानकारी आएगी. इसके लिए सरकार कौन से नए प्रयास करेगी।यह भी बताना चाहिए. अगर बिहार की शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है।तो उसकी जरुरत उसी समाज के लोगों को है. जिनकी राजनीति ये लोग करते हैं.

जन सुराज पदयात्रा पर निकले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने शनिवार को पूर्वी चंपारण के जिला मुख्यालय मोतिहारी स्थित हवाई अड्डा मैदान में बने शिविर में संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर अपने अब तक के फीडबैक की जानकारी दी।फिर पत्रकारों के कई सवालों का जबाब दिया. उन्होंने बताया कि 8 जनवरी को हवाई अड्डा मैदान में हीं जन सुराज के जिला सम्मेलन का आयोजन होगा।जिसमें जिला के सभी प्रखंडों के लोग हिस्सा लेंगे और उनकी राय ली जाएगी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.