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मोतिहारी: आंकड़ों के 'महाजाल' में उलझे AES के पीड़ित बच्चे, नहीं हैं कोई सटीक जानकारी - सदर अस्पताल

राज्य मुख्यालय प्रत्येक दिन राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत चमकी प्रभावित बच्चों की संख्या एक दिन बाद जिला मुख्यालय को उपलब्ध कराती है. लेकिन सदर अस्पताल समेत जिले के विभिन्न सरकारी और निजी नर्सिंग होम में इलाजरत बच्चों की संख्या उसमें नहीं जोड़ी जा रही है.

सिविल सर्जन
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Published : Jun 25, 2019, 12:12 AM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चमकी पीड़ित बच्चों के आकंड़ों पर सवाल खड़ा होने लगा है. स्वास्थय महकमा चमकी पीड़ित बच्चों का सही आंकड़ा सार्वजनिक करने से कतरा रहा है.

आंकड़े की जानकारी देते सिविल सर्जन

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, राज्य मुख्यालय प्रत्येक दिन राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत चमकी प्रभावित बच्चों की संख्या एक दिन बाद जिला मुख्यालय को उपलब्ध कराती है. लेकिन सदर अस्पताल समेत जिले के विभिन्न सरकारी और निजी नर्सिंग होम में इलाजरत बच्चों की संख्या उसमें नहीं जोड़ी जा रही है. इसके चलते जिले में पीड़ित बच्चों की वास्तविक संख्या स्पष्ट नहीं हो पा रही है. जबकि जिले का स्वास्थ्य महकमा राज्य मुख्यालय से जारी सूची के आधार पर आंकड़ा उपलब्ध कराती है. ये बाहर विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत बच्चों की संख्या पर आधारित होती है. फिलहाल ये आंकड़ा 100 के पार है.

सिविल सर्जन ने दी जानकारी
सिविल सर्जन बीके सिंह ने बताया कि जिले के विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत बच्चों की संख्या को राज्य मुख्यालय के आंकड़े में नहीं जोड़े जाते हैं. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए चमकी पीड़ित बच्चों की संख्या बताई.

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में स्वास्थ्य विभाग की ओर से चमकी पीड़ित बच्चों के आकंड़ों पर सवाल खड़ा होने लगा है. स्वास्थय महकमा चमकी पीड़ित बच्चों का सही आंकड़ा सार्वजनिक करने से कतरा रहा है.

आंकड़े की जानकारी देते सिविल सर्जन

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, राज्य मुख्यालय प्रत्येक दिन राज्य के विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत चमकी प्रभावित बच्चों की संख्या एक दिन बाद जिला मुख्यालय को उपलब्ध कराती है. लेकिन सदर अस्पताल समेत जिले के विभिन्न सरकारी और निजी नर्सिंग होम में इलाजरत बच्चों की संख्या उसमें नहीं जोड़ी जा रही है. इसके चलते जिले में पीड़ित बच्चों की वास्तविक संख्या स्पष्ट नहीं हो पा रही है. जबकि जिले का स्वास्थ्य महकमा राज्य मुख्यालय से जारी सूची के आधार पर आंकड़ा उपलब्ध कराती है. ये बाहर विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत बच्चों की संख्या पर आधारित होती है. फिलहाल ये आंकड़ा 100 के पार है.

सिविल सर्जन ने दी जानकारी
सिविल सर्जन बीके सिंह ने बताया कि जिले के विभिन्न अस्पतालों में इलाजरत बच्चों की संख्या को राज्य मुख्यालय के आंकड़े में नहीं जोड़े जाते हैं. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए चमकी पीड़ित बच्चों की संख्या बताई.

Intro:मोतिहारी।पूर्वी चंपारण जिले के स्वास्थ्य महकमा द्वारा एईएस पीड़ित बच्चों का जारी किया जाने वाले आंकड़े पर सवाल खड़े होने लगे है।जिले का स्वास्थ्य महकमा राज्य मुख्यालय से जारी सूची के आधार पर आंकड़ा उपलब्ध कराती है।जो जिले के बाहर विभिन्न अस्पतालों में ईलाजरत बच्चों की संख्या पर आधारित होता है।जबकि आंकड़ा सौ के पार है।


Body:दरअसल,राज्य मुख्यालय प्रत्येक दिन राज्य के विभिन्न अस्पतालों में ईलाजरत एईएस प्रभावित बच्चों की संख्या एक दिन बाद जिला मुख्यालय को उपलब्ध कराती है।लेकिन सदर अस्पताल समेत जिले के विभिन्न सरकारी और निजी नर्सिंग होम में ईलाजरत बच्चों की संख्या उसमें नहीं जोड़ी जा रही है।जिसकारण से जिले में एईएस पीड़ित बच्चों की वास्तविक संख्या स्पष्ट नहीं हो पा रही है।बताया जाता है कि जिले में ईलाजरत और ईलाज कराकर लौट चुके बच्चों की संख्या जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा पटना अप्रूवल के लिए भेजा हीं नहीं गया है।


Conclusion:इस संबंध में जब सिविल सर्जन से पूछा गया तो वह पहले राज्य मुख्यालय द्वारा जारी आंकड़े को बताने लगे।लेकिन जब जिले के विभिन्न अस्पतालों में ईलाजरत बच्चों के संख्या को राज्य मुख्यालय के आंकड़े में नहीं जोड़े जाने के बारे बताया गया।तब उन्होने सदर अस्पताल में ईलाजरत बच्चों की संख्या को जोड़कर एईएस पीड़ित बच्चों के आधे अधूरे आंकड़े को बताया। बताया।हालांकि,गैर सरकारी आंकड़ों के अनुसार एईएस पीड़ित बच्चों की संख्या सौ के उपर है और सरकारी आंकड़ों के अनुसार मृत बच्चों की संख्या 21 है।

बाईट.....डॉ.बीके सिंह.....सिविल सर्जन

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