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ग्राउंड रिपोर्ट : हमेशा गुलजार रहने वाले सब्जी मंडी में नहीं लौटी रही रौनक

मोतिहारी के छतौनी में जिले का सबसे बड़ा सब्जी मंडी है. जो आजकल खाली-खाली है. मंडी में बाहर के व्यापारियों के नहीं आने से सब्जी उत्पादक किसान औने-पौने दाम में खुदरा सब्जी का रेड़ी लगाने वाले स्थानीय व्यापारियों को सब्जी बेचने को मजबूर हैं.

मोतिहारी
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Published : Jun 1, 2020, 6:54 AM IST

मोतिहारी : जहां कभी चलना मुश्किल था. वो जगह आजकल खाली-खाली सा लगता है. जिले के छतौनी स्थित सब्जी मंडी का इनदिनों यही हाल है, जहां अपनी सब्जी लेकर आए सब्जी उत्पादक किसान औने पाने भाव में सब्जी बेचने को मजबूर हैं. बावजूद इसके उनकी सब्जी बिक नहीं पा रही है, तो किसानों से सब्जी खरीद कर बाहर सप्लाई करने वाले स्थानीय व्यापारी भी परेशान हैं.

लॉकडाउन के कारण दूसरे जिले और राज्य में हरी सब्जी सप्लाई नहीं होने से स्थानीय व्यापारियों के सामने दोहरी समस्या खड़ी है. एक तो सब्जी उत्पादक किसानों के टूट रहे मनोबल को बनाए रखना है. दूसरा व्यापार में हो रहे घाटा की भी उन्हे चिंता है. फिर भी सब्जी मंडी में एक बार फिर से रौनक लौटने की उम्मीद पाले सब्जी उत्पादक किसान और स्थानीय व्यापारी मंडी में अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

सब्जी के दाम नहीं मिलने से किसान परेशान
सब्जी व्यापारी नारद साह ने बताया कि मंडी की हालत बहुत खराब है. सब्जी का दाम नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि सब्जी उपजाने वाले किसान के साथ स्थानीय व्यापारी भी परेशान हैं. जबकि किसान अतुल चंद्र ने बताया कि मंडी में सब्जी का भाव नहीं मिल पा रहा है. बाहर से व्यापारी आ नहीं रहे हैं और स्थानीय खुदरा रेड़ी लगाने वाले व्यापारी मनमाने दाम में सब्जी खरीद रहे हैं. किसानों के अनुसार सब्जी को मंडी तक लाने में पुलिस भी उन्हें बहुत परेशान कर रही है.

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गोभी

सस्ती सब्जी से आम लोगों को राहत
हालांकि, आम लोगों को सस्ती सब्जी होने से काफी राहत है. मंडी में खुदरा सब्जी खरीदने पहुंचे प्रमोद कुमार जायसवाल ने कहा कि लॉकडाउन के कारण सामाजिक कार्यक्रम नहीं होने से सब्जी सस्ता मिल रहा है, जिससे लोगों को राहत है.

सब्जी उत्पादक किसानों के टूट रहे हैं हौसले
सब्जी उत्पादक किसान और व्यापारियों के बीच कमीशन के आधार पर कड़ी का काम करने वाले आशिष कुमार ने बताया कि बाहर के व्यापारियों के नहीं आने से किसानों की उपज खेतों में बर्बाद हो रहे हैं. साथ ही मंडी में भी मांग नहीं होने से सब्जी की बर्बादी जारी है. उन्होंने बताया कि सब्जी उत्पादक किसानों के टूट रहे हौसले को बनाए रखने के लिए वे लोग उनकी मदद कर रहे हैं.

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सब्जी मंडी

लॉकडाउन ने सब्जी उत्पादक किसानों का तोड़ दी है कमर
बहरहाल, कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन ने सब्जी उत्पादक किसानों के कमर को तोड़ दी है. हालात यह है कि किसान मंडी में अपनी सब्जी लेकर घंटो व्यापारियों का इंतजार करते हैं. कभी खुदरा बेचने वाले स्थानीय व्यापारी मिल गए, तो जो दाम मिला उतने में ही सब्जी को व्यापारी के हाथ में किसान सौंप दे रहे हैं. साथ ही किसान मंडी में थोक की जगह खुदरा सब्जी बेचने पर भी मजबूर हो गए हैं.

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परवल

सब्जी मंडी का रेट लिस्ट -

टमाटर10 रुपये प्रति किलो
लौकी5 रुपये प्रति पीस
बोदी3 रुपये प्रति किलो
परवल10 रुपये प्रति किलो
मिर्चा5 रुपये प्रति किलो
कटहल8 रुपये प्रति किलो
गोभी18 रुपये प्रति किलो
घिउरा(नेनुआ)8 रुपये प्रति किलो
करैला3 रुपये प्रति किलो
भिंडी4 रुपये प्रति किलो

मोतिहारी : जहां कभी चलना मुश्किल था. वो जगह आजकल खाली-खाली सा लगता है. जिले के छतौनी स्थित सब्जी मंडी का इनदिनों यही हाल है, जहां अपनी सब्जी लेकर आए सब्जी उत्पादक किसान औने पाने भाव में सब्जी बेचने को मजबूर हैं. बावजूद इसके उनकी सब्जी बिक नहीं पा रही है, तो किसानों से सब्जी खरीद कर बाहर सप्लाई करने वाले स्थानीय व्यापारी भी परेशान हैं.

लॉकडाउन के कारण दूसरे जिले और राज्य में हरी सब्जी सप्लाई नहीं होने से स्थानीय व्यापारियों के सामने दोहरी समस्या खड़ी है. एक तो सब्जी उत्पादक किसानों के टूट रहे मनोबल को बनाए रखना है. दूसरा व्यापार में हो रहे घाटा की भी उन्हे चिंता है. फिर भी सब्जी मंडी में एक बार फिर से रौनक लौटने की उम्मीद पाले सब्जी उत्पादक किसान और स्थानीय व्यापारी मंडी में अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

सब्जी के दाम नहीं मिलने से किसान परेशान
सब्जी व्यापारी नारद साह ने बताया कि मंडी की हालत बहुत खराब है. सब्जी का दाम नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा कि सब्जी उपजाने वाले किसान के साथ स्थानीय व्यापारी भी परेशान हैं. जबकि किसान अतुल चंद्र ने बताया कि मंडी में सब्जी का भाव नहीं मिल पा रहा है. बाहर से व्यापारी आ नहीं रहे हैं और स्थानीय खुदरा रेड़ी लगाने वाले व्यापारी मनमाने दाम में सब्जी खरीद रहे हैं. किसानों के अनुसार सब्जी को मंडी तक लाने में पुलिस भी उन्हें बहुत परेशान कर रही है.

motihari
गोभी

सस्ती सब्जी से आम लोगों को राहत
हालांकि, आम लोगों को सस्ती सब्जी होने से काफी राहत है. मंडी में खुदरा सब्जी खरीदने पहुंचे प्रमोद कुमार जायसवाल ने कहा कि लॉकडाउन के कारण सामाजिक कार्यक्रम नहीं होने से सब्जी सस्ता मिल रहा है, जिससे लोगों को राहत है.

सब्जी उत्पादक किसानों के टूट रहे हैं हौसले
सब्जी उत्पादक किसान और व्यापारियों के बीच कमीशन के आधार पर कड़ी का काम करने वाले आशिष कुमार ने बताया कि बाहर के व्यापारियों के नहीं आने से किसानों की उपज खेतों में बर्बाद हो रहे हैं. साथ ही मंडी में भी मांग नहीं होने से सब्जी की बर्बादी जारी है. उन्होंने बताया कि सब्जी उत्पादक किसानों के टूट रहे हौसले को बनाए रखने के लिए वे लोग उनकी मदद कर रहे हैं.

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सब्जी मंडी

लॉकडाउन ने सब्जी उत्पादक किसानों का तोड़ दी है कमर
बहरहाल, कोरोना संकट के कारण हुए लॉकडाउन ने सब्जी उत्पादक किसानों के कमर को तोड़ दी है. हालात यह है कि किसान मंडी में अपनी सब्जी लेकर घंटो व्यापारियों का इंतजार करते हैं. कभी खुदरा बेचने वाले स्थानीय व्यापारी मिल गए, तो जो दाम मिला उतने में ही सब्जी को व्यापारी के हाथ में किसान सौंप दे रहे हैं. साथ ही किसान मंडी में थोक की जगह खुदरा सब्जी बेचने पर भी मजबूर हो गए हैं.

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परवल

सब्जी मंडी का रेट लिस्ट -

टमाटर10 रुपये प्रति किलो
लौकी5 रुपये प्रति पीस
बोदी3 रुपये प्रति किलो
परवल10 रुपये प्रति किलो
मिर्चा5 रुपये प्रति किलो
कटहल8 रुपये प्रति किलो
गोभी18 रुपये प्रति किलो
घिउरा(नेनुआ)8 रुपये प्रति किलो
करैला3 रुपये प्रति किलो
भिंडी4 रुपये प्रति किलो
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