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होली में बाजार का हाल: खरीदारों की राह देख रहे हैं दुकानदार, कारोबार में मंदी

केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए तमाम जीएसटी, टैक्स व महंगाई के कारण बाजार मंदा है. कुछ असर लोकसभा चुनाव का भी है. दुकानदार बेहद परेशान हैं.

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Published : Mar 20, 2019, 9:32 AM IST

कुर्ता-पजामा दुकान

मोतिहारी: रंगों के त्योहार होली के बाबत बाजार सज चुके हैं. लेकिन, दुकानदारों की माने तो इसबार धंधा मंदा चल रहा. पहले की तुलना में इस होली में लोग खरीदारी करते नहीं दिखे.

होली मार्केट

क्या कहते हैं दुकानदार
कुर्ता विक्रेता ओमप्रकाश की माने तो बाजार केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए तमाम जीएसटी, टैक्स व महंगाई के कारण मंदा है. रही-सही कसर 2019 चुनाव ने पूरी कर दी. वे कहते हैं कि दुकान पर केवल एक्का-दुक्का ग्राहक ही आ रहे हैं. अन्य मो. आलमगीर कहते हैं कि त्योहार को लेकर उन्होंने जो कपड़े का स्टॉक खरीदा वह आधा भी नहीं खाली हुआ. यही हाल ज्यादातर दुकानों का है, वे बेहद परेशान हैं.
कुर्ता-पजामा का हाल भी बेहाल
होली में सबसे अधिक बिकने वाला वस्त्र कुर्ता-पजामा के बाजार की बात करें तो वह भी मंदी के मार झेल रहा है. बता दें बाजार में बच्चों के कुर्ते का रेट 250 रुपये से लेकर 650 रुपया तक है और बड़े लोगों के कुर्ते का शुरुआती रेट 450 रुपये है.

मोतिहारी: रंगों के त्योहार होली के बाबत बाजार सज चुके हैं. लेकिन, दुकानदारों की माने तो इसबार धंधा मंदा चल रहा. पहले की तुलना में इस होली में लोग खरीदारी करते नहीं दिखे.

होली मार्केट

क्या कहते हैं दुकानदार
कुर्ता विक्रेता ओमप्रकाश की माने तो बाजार केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए तमाम जीएसटी, टैक्स व महंगाई के कारण मंदा है. रही-सही कसर 2019 चुनाव ने पूरी कर दी. वे कहते हैं कि दुकान पर केवल एक्का-दुक्का ग्राहक ही आ रहे हैं. अन्य मो. आलमगीर कहते हैं कि त्योहार को लेकर उन्होंने जो कपड़े का स्टॉक खरीदा वह आधा भी नहीं खाली हुआ. यही हाल ज्यादातर दुकानों का है, वे बेहद परेशान हैं.
कुर्ता-पजामा का हाल भी बेहाल
होली में सबसे अधिक बिकने वाला वस्त्र कुर्ता-पजामा के बाजार की बात करें तो वह भी मंदी के मार झेल रहा है. बता दें बाजार में बच्चों के कुर्ते का रेट 250 रुपये से लेकर 650 रुपया तक है और बड़े लोगों के कुर्ते का शुरुआती रेट 450 रुपये है.
Intro:मोतिहारी।रंगो के त्योहार होली में लोग नए कपड़े खरीदते हैं।लिहाजा,शहर में कपड़े की दुकानें तो सजी है।लेकिन बाजार चुनाव और महंगाई के कारण मंदा है।


Body:दुकानों पर गिने चुने ग्राहक दिख रहे है।बाजार में स्थायी और सिजनल दुकानों ने होली को लेकर पैसा लगाया है।जिसमें सिजनल दुकानदार बिक्री मंदा रहने के कारण परेशान है।अगर होली में सबसे अधिक बिकने वाले कुर्ता बाजार की बात करें।तो वह भी मंदी के मार से प्रभावित है।जबकि बाजार में बच्चों के कुर्ते का रेट 250 रुपये से लेकर 650 रुपया तक है और बड़े लोगों के कुर्ते का रेट 450 रुपये से शुरु है।


Conclusion:दुकानदारों का कहना है कि इस साल होली में कुर्ता बाजार पर महंगाई और चुनाव की मार पड़ी है।ग्राहक दुकान का रुख नहीं कर रहे हैं।महंगाई के लिए दुकानदार जीएसटी को भी कारण मानते हैं।

बाइट.....ओमप्रकाश.......दुकानदार
बाइट......मो. आलमगीर....दुकानदार
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