मोतिहारी: भारत और दक्षिण कोरिया के बीच राजनयिक मैत्री के 50 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में 108 कोरियन परिभ्रमण दल का जत्था पूर्वी चंपारण जिला के केसरिया स्थित बौद्ध स्तूप पहुंचा. कोरियन सांगवोल ग्योल्सा सोसाइटी वॉक विद द बुद्धा के मैत्री दल के सदस्य सारनाथ से चले हैं. बुद्ध से जुड़े जगहों का भ्रमण करते हुए दुनिया के सबसे बड़े केसरिया बौद्ध स्तूप पहुंचे. जहां कोरियन परिभ्रमण दल ने पूरे विधि विधान से पूजा अर्चना की.
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श्रावस्ती में खत्म होगी पैदल यात्राः कोरियाई बौद्ध धर्माववलंबी झोंग उन के नेतृत्व में निकला परिभ्रमण दल की पैदल यात्रा श्रावस्ती में खत्म होगी. भारत कोरिया मैत्री दल की पैदल यात्रा 45 दिनों में कुल 1167 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. परिभ्रमण दल के टीम लीडर झोंग उन ने बताया कि 108 सदस्यीय मैत्री दल भगवान बुद्ध के पदचिन्हों को नमन कर रहा है. भारत और दक्षिण कोरिया के राजनयिक संबंध के 50वां वर्षगांठ है.
भारत और कोरिया के संबंधः इसी अवसर पर हमलोग पदयात्रा पर निकाले हैं, ताकि भारत और कोरिया के बीच अच्छे संबंध बने और दोनों देशों के लोगों के सुख समृद्धि बरकरार रहे. परिभ्रमण दल में कुल 150 पदयात्री शामिल हैं. जिनमे करीब 108 लोग दक्षिण कोरिया के हैं. इस जत्था में 18 कोरियन महिला बौद्ध धर्माववलंबी भी शामिल हैं. मैत्री दल के केसरिया पहुंचने पर स्थानीय लोगों ने पदयात्रियों का जोरदार स्वागत किया. फूल मालाओं से लाद दिया. मैत्री दल की सुरक्षा को लेकर जिला पुलिस की टीम भी मुस्तैद है.
बौद्ध धर्मावलंबियों की पदयात्राः विगत 9 फरवरी से सारनाथ से शुरु कोरियाई बौद्ध धर्मावलंबी की पदयात्रा 23वें दिन केसरिया पहुंची. अब तक यह जत्था 551 किलोमीटर की पदयात्रा की है. केसरिया पहुंचकर कोरियाई बौद्ध धर्मावलंबियों ने पारंपरिक ढंग से बौद्ध स्तूप की पूजा की. साथ हीं प्रार्थना के माध्यम से चल रहे रुस युक्रेन युद्ध को रोकने के लिए भगवान बुद्ध से कामना की.
"अभी जो युद्ध चल रहा है और जो महामारी है, उसके निवारण के लिए प्रार्थना कर रहे हैं. भगवान बुद्ध से यही कामना करते हैं कि भारत और कोरिया के बीच आपसी रिश्ते और व्यापारिक रिश्ते आगे भी काफी अच्छा रहे"- झोंग उन, टीम लीडर