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भगवान भरोसे चल रहा सदर अस्पताल, यहां के डॉक्टरों से खुद परेशान हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल के अधीक्षक से चिकित्सकों की ड्यूटी रोस्टर मांगी है ताकि खुद सदर अस्पताल की व्यवस्था देख सकें.

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Published : Mar 13, 2019, 7:35 AM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले के 55 लाख की आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी जिस सदर अस्पताल के भरोसे है उसकी व्यवस्था खुद भगवान भरोसे चल रही है. सदर अस्पताल में सुविधाओं और उचित व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी नदारद रहते हैं. सिविल सर्जन इन अधिकारियों की कार्यशैली से खुद परेशान हैं.

सदर अस्पताल के अधीक्षक, उपाधीक्षक और अस्पताल प्रबंधक खोजने पर भी नहीं मिलते हैं, जबकि अस्पताल की व्यवस्था की जिम्मेदारी इन्ही अधिकारियों के कंधों पर है. अस्पताल प्रबंधक पिछले कई महीने से नदारद हैं. मरीज और आम आदमी की कौन कहे. जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सिविल सर्जन जब इन अधिकारियों की खोज में निकलते हैं तो उन्हे भी ये अधिकारी नहीं मिलते हैं. जिस कारण कई बार सिविल सर्जन ने उन्हें तलब किया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. लिहाजा, इन अधिकारियों की लापरवाह कार्यशैली का असर अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीजों पर पड़ रहा है.

जानकारी देते मरीज और डॉक्टर

मरीजों को सदर अस्पताल से दवा नहीं मिल पा रहा है. अस्पताल में इलाज को आए मरीजों को चिकित्सक भी नहीं मिलते हैं. सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल के अधीक्षक से चिकित्सकों की ड्यूटी रोस्टर मांगी है ताकि खुद सदर अस्पताल की व्यवस्था देख सकें.

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले के 55 लाख की आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी जिस सदर अस्पताल के भरोसे है उसकी व्यवस्था खुद भगवान भरोसे चल रही है. सदर अस्पताल में सुविधाओं और उचित व्यवस्था के लिए जिम्मेदार अधिकारी नदारद रहते हैं. सिविल सर्जन इन अधिकारियों की कार्यशैली से खुद परेशान हैं.

सदर अस्पताल के अधीक्षक, उपाधीक्षक और अस्पताल प्रबंधक खोजने पर भी नहीं मिलते हैं, जबकि अस्पताल की व्यवस्था की जिम्मेदारी इन्ही अधिकारियों के कंधों पर है. अस्पताल प्रबंधक पिछले कई महीने से नदारद हैं. मरीज और आम आदमी की कौन कहे. जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सिविल सर्जन जब इन अधिकारियों की खोज में निकलते हैं तो उन्हे भी ये अधिकारी नहीं मिलते हैं. जिस कारण कई बार सिविल सर्जन ने उन्हें तलब किया, लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ. लिहाजा, इन अधिकारियों की लापरवाह कार्यशैली का असर अस्पताल में इलाज को आने वाले मरीजों पर पड़ रहा है.

जानकारी देते मरीज और डॉक्टर

मरीजों को सदर अस्पताल से दवा नहीं मिल पा रहा है. अस्पताल में इलाज को आए मरीजों को चिकित्सक भी नहीं मिलते हैं. सिविल सर्जन ने सदर अस्पताल के अधीक्षक से चिकित्सकों की ड्यूटी रोस्टर मांगी है ताकि खुद सदर अस्पताल की व्यवस्था देख सकें.

Intro:मोतिहारी।पूर्वी चंपारण के 55 लाख की आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेवारी जिस सदर अस्पताल के भरोसे हैं।उसकी व्यवस्था खुद भगवान के भरोसे चल रही है।सदर अस्पताल के व्यवस्था के लिए जिम्मेवार अधिकारी नदारद रहते हैं।सिविल सर्जन इन अधिकारियों के कार्यशैली से खुद परेशान हैं।


Body:सदर अस्पताल के अधीक्षक,उपाधीक्षक और अस्पताल प्रबंधक को खोजने पर भी नहीं मिलते हैं।जबकि सदर अस्पताल के व्यवस्था की जिम्मेवारी इन्ही अधिकारियों के कंधे पर है।अस्पताल प्रबंधक पिछले कई महीने से नदारद हैं।मरीज और आम आदमी की कौन कहे।जिले के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया सिविल सर्जन जब इन अधिकारियों के खोज में निकलते हैं तो उन्हे भी ये अधिकारी नहीं मिलते हैं।जिस कारण कई बार सिविल सर्जन ने उन्हे तलब किया।लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ।लिहाजा,इन अधिकारियों की लापरवाह कार्यशैली का असर अस्पताल में ईलाज को आने वाले मरीजों पर पड़ रहा है।मरीजों को दवा सदर अस्पताल सें नहीं मिल पा रहा है।अस्पताल में इलाज को आए मरीजों को चिकित्सक भी नहीं मिलते है।


Conclusion:सिविल सर्जन खुद इन अधिकारियों की लापरवाही से आजिज हो चुके हैं।उन्होने सदर अस्पताल के अधीक्षक से चिकित्सकों की ड्यूटी रोस्टर मांगी है।ताकि खुद सदर अस्पताल की व्यवस्था देख सकें।इधर मरीज भी सदर अस्पताल की पोल खोल रहे हैं।
बाइट.....मरीज
बाइट......मरीज
बाइट......डॉ.बी.के. सिंह.....सिविल सर्जन
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