ETV Bharat / state

लोक आस्था के महापर्व छठ पर्व पर बाजार में रौनक, महंगाई के बावजूद लोग कर रहे हैं जमकर खरीदारी

मोतिहारी में सूर्योपासना का महापर्व छठ पर्व (Great Festival Chhath In Motihari) की शुरुआत हो गई है. महंगाई के बावजूद लोगों की आस्था छठ व्रत को लेकर कम नहीं हुई है. महापर्व छठ में उपयोग होने वाले पूजा सामग्रियों से पूर्वी चंपारण जिला के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का बाजार पटा पड़ा है. लोक अस्था के पर्व मनाने के लिए बाजारों में खरीदारी के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है. लाख महंगाई के बावजूद लोगों छठी मइया के लिए पूजन समाग्री खूब खरीद रहे हें. पढ़ें पूरी खबर...

खरना को लेकर बजार सजा
खरना को लेकर बजार सजा
author img

By

Published : Oct 29, 2022, 4:39 PM IST

मोतिहारी: लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व नहाय खाय के (chhath puja 2022) साथ शुरू हो गया है. चार दिवसीय सूर्योपासना का महापर्व छठ व्रत की शुरुआत हो चुकी है और आज खरना है. लाख महंगाई के बावजूद लोगों की आस्था इस वर्त को लेकर कम नहीं हुई है. महापर्व छठ में उपयोग होने वाले पूजा सामग्रियों से पूर्वी चंपारण जिला के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का बाजार भरा पड़ा है. बाजार में पूजा सामग्री खरीदने वालों की काफी भीड़ है. बाजारों की रौनक लौट आई है. केला, सेब, नारंगी, छोटा व बड़ा निंबू, मूली, आदी, नारियल समेत अन्य पूजा सामग्रियों से बाजार सजा हुआ है.

ये भी पढ़ें- Chhath Puja 2022 : इन बातों का रखना चाहिए खासतौर पर ध्यान, नहीं तो खंडित हो जाती है पूजा

मोतिहारी में छठ पर्व पर बाजारों में रौनक

लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व : छठ से खरीदारों की भीड़ से सुबह से हीं शहर में ट्रैफिक (Crowd In Markets On Chhath Mahaparv In Motihari) जाम रहा. थोक मंडी से लेकर खुदरा पूजा सामग्री को बेचने के वाले दुकानदारों के दुकानों पर रौनक है. दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं. इस बाजार में संध्या अर्घ्य के दोपहर तक रौनक रहेगी. फल और अन्य पूजा सामग्रियों के भाव आसमान छू रहे है. सेब 80 रुपया से लेकर 120 रुपया प्रति किलो, अनार 200 रुपया प्रति किलो, केला का साइज के अनुसार 200 से लेकर 1200 प्रति घौंद, केला 40 रुपया से लेकर 60 रुपया दर्जन समेत अन्य फलों की महंगाई के बावजूद लोग खरीदारी कर रहे हैं. उसी प्रकार मूली, आदी, नारियल, बड़ा और छोटा नींबू के अलावा अन्य पूजा सामग्रियों के दुकानों पर लोगों की भीड़ है.

छठ के दूसरे दिन खरना की तैयारी : गौरतलब है कि लोक आस्था के महापर्व छठ (chhath puja 2022) को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. आज से इस चार दिवसीय पर्व का दूसरा दिन है. दूसरे दिन को खरना व्रत (Second Day Kharna Of Chhath Puja) के नाम से जाना जाता है. छठ का त्योहार व्रतियां 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं और खरना से ही व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू होता है. छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस बार छठ पूजा 28 अक्टूबर को नहाय-खाय शरू हो चुकी है.

क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

मोतिहारी: लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व नहाय खाय के (chhath puja 2022) साथ शुरू हो गया है. चार दिवसीय सूर्योपासना का महापर्व छठ व्रत की शुरुआत हो चुकी है और आज खरना है. लाख महंगाई के बावजूद लोगों की आस्था इस वर्त को लेकर कम नहीं हुई है. महापर्व छठ में उपयोग होने वाले पूजा सामग्रियों से पूर्वी चंपारण जिला के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों का बाजार भरा पड़ा है. बाजार में पूजा सामग्री खरीदने वालों की काफी भीड़ है. बाजारों की रौनक लौट आई है. केला, सेब, नारंगी, छोटा व बड़ा निंबू, मूली, आदी, नारियल समेत अन्य पूजा सामग्रियों से बाजार सजा हुआ है.

ये भी पढ़ें- Chhath Puja 2022 : इन बातों का रखना चाहिए खासतौर पर ध्यान, नहीं तो खंडित हो जाती है पूजा

मोतिहारी में छठ पर्व पर बाजारों में रौनक

लोक आस्था का महापर्व छठ पर्व : छठ से खरीदारों की भीड़ से सुबह से हीं शहर में ट्रैफिक (Crowd In Markets On Chhath Mahaparv In Motihari) जाम रहा. थोक मंडी से लेकर खुदरा पूजा सामग्री को बेचने के वाले दुकानदारों के दुकानों पर रौनक है. दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं. इस बाजार में संध्या अर्घ्य के दोपहर तक रौनक रहेगी. फल और अन्य पूजा सामग्रियों के भाव आसमान छू रहे है. सेब 80 रुपया से लेकर 120 रुपया प्रति किलो, अनार 200 रुपया प्रति किलो, केला का साइज के अनुसार 200 से लेकर 1200 प्रति घौंद, केला 40 रुपया से लेकर 60 रुपया दर्जन समेत अन्य फलों की महंगाई के बावजूद लोग खरीदारी कर रहे हैं. उसी प्रकार मूली, आदी, नारियल, बड़ा और छोटा नींबू के अलावा अन्य पूजा सामग्रियों के दुकानों पर लोगों की भीड़ है.

छठ के दूसरे दिन खरना की तैयारी : गौरतलब है कि लोक आस्था के महापर्व छठ (chhath puja 2022) को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. आज से इस चार दिवसीय पर्व का दूसरा दिन है. दूसरे दिन को खरना व्रत (Second Day Kharna Of Chhath Puja) के नाम से जाना जाता है. छठ का त्योहार व्रतियां 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं और खरना से ही व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू होता है. छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस बार छठ पूजा 28 अक्टूबर को नहाय-खाय शरू हो चुकी है.

क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.