मोतिहारी: जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में मौलाना अरशद मदनी के बयान (Arshad Madani Statement) के बाद धर्मगुरुओं की नाराजगी सामने आने लगी है. उनके बयान को सिरे से खारिज करते हुए सनातन धर्म को आदि अनंत बताया. साथ ही धर्मगुरु मौलाना मदनी को ज्यादा महत्व नहीं देने की अपील कर रहे हैं. इस बीच भाजपा नेता व दिगम्बर अखाड़ा के महामंडलेश्वर योगी अखिलेश्वर दास ने भी मौलाना मदनी को अज्ञानी बताया है.
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'मदनी के बयान का कोई मायने नहीं': दो दिनों पूर्व पटना में भाजपा ज्वाइन करने के बाद पूर्वी चंपारण जिला के ढ़ाका पहुंचे दिगम्बर अखाड़ा के महामंडलेश्वर योगी अखिलेश्वर दास ने मौलाना मदनी को अज्ञानी बताते हुए कहा कि हमारे वेद पुराण के अलावा विज्ञान ने भी सनातन धर्म को सबसे पुराना धर्म बताया है. इस्लाम तो महज 14 सौ वर्ष पहले आया है और सनातन धर्म आदि अनंत है. महामंडलेश्वर योगी अखिलेश्वर दास ने कहा कि मौलाना मदनी के बयान का कोई मायने नहीं है. वह ऐसे ही बोलते रहते है. ऐसे धर्म गुरुओं के बयान को ज्यादा महत्व नहीं देना चाहिए.
"मौलाना मदनी के बयान का कोई मायने नहीं है. मदनी को ज्यादा महत्व देने की जरुरत नहीं है. वह मीडिया में बने रहने के लिए ऐसे बयान देते रहते हैं. सनातन धर्म सबसे पुराना धर्म बताया है. उनको इसका ज्ञान नहीं है"- महामंडलेश्वर योगी अखिलेश्वर दास, भाजपा नेता
'राजनीति में संतों को ही आना चाहिए' : वहीं, धर्मगुरु अखिलेश्वर दास ने राजनीति में आने के सवाल पर कहा कि राजनीति तपस्या की जगह है और राजनीति में तपस्वियों को हीं आना चाहिए, क्योंकि इस देश का पहला राजा और राजनीतिक व्यक्ति एक धर्मगुरु माधवारण्य स्वामी हुए हैं. जिन्होंने केरल राज्य को बसाया है और 72 वर्ष संयास के बाद वह राजनीति में आए थे. इसलिए राजनीति में संतों को हीं आना चाहिए.
लोकसभा चुनाव को लेकर हुए सक्रियः बिहार के योगी नाम से मशहुर महामंडलेश्वर योगी अखिलेश्वर दास मूल रुप से ढ़ाका के रहने वाले हैं और वह महाराष्ट्र के श्री राम बालाजी मंदिर के महंथ हैं. भाजपा के वरीय नेताओं के पहल पर प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने अखिलेश्वर दास को 11 फरवरी को पटना में पार्टी की सदस्यता दिलाई. भाजपा में शामिल होने के बाद वह ढ़ाका पहुंचे और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात कर आगे की रणनीति पर चर्चा की. सदस्यता ग्रहण करने के बाद अखिलेश्वर दास आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भी काफी सक्रिय दिख रहे हैं. इसीलिए कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने पार्टी से मिले दायित्वों के निर्वहन करने की बात कहकर इस सवाल को टाल दिया.