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मोतिहारी में आपसी सहयोग से आदर्श छठ घाट बना अटल उद्यान, लोगों को भा रही सफाई और पेंटिंग्स

मोतिहारी में अटल उद्यान छठ घाट आदर्श छठ घाट बनाया (Atal Udyan Chhath Ghat In Motihari) गया है. शहर के अटल उद्यान को स्थानीय लोगों ने सामूहिक प्रयास से मॉडल छठ (Chhath Puja) घाट बना दिया है. साफ-सफाई और तरह-तरह के पेंटिंग्स से अटल उद्यान छठ घाट को आदर्श छठ घाट की तरह सजाया गया है. जिससे छठ घाट काफी आकर्षक लग रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

अटल उद्यान का छठ घाट
अटल उद्यान का छठ घाट
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Published : Oct 29, 2022, 6:38 PM IST

Updated : Oct 29, 2022, 9:13 PM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला छठ मय हो चुका है. सूर्योपासना के महापर्व छठ व्रत (Chhath Puja 2022) को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. एक तरफ लोग जहां छठ पूजा सामग्री की खरीदारी में लगे हैं. वहीं, छठ घाटों की सफाई और सजाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है. प्रशासनिक दावों के बावजूद कई छठ घाटों पर अभी भी गंदगी है. स्थानीय लोगों ने किसी तरह से घाट को अर्घ्य देने लायक बनाया है. लेकिन शहर के अटल उद्यान को स्थानीय लोगों ने सामूहिक प्रयास से मॉडल छठ घाट बना (Atal Udyan Chhath Ghat Model Ghat In Motihari) दिया है. साफ-सफाई और तरह-तरह के पेंटिंग्स से अटल उद्यान के छठ घाट को सजाया गया है.

ये भी पढ़ें- लोक आस्था के महापर्व छठ पर्व पर बाजार में रौनक, महंगाई के बावजूद लोग कर रहे हैं जमकर खरीदारी

अटल उद्यान छठ घाट को आदर्श घाट बनाया गया : अटल उद्यान छठ घाट को आदर्श घाट बनाया गया है. जिससे छठ घाट काफी आकर्षक लग रहा है. छठ घाट को आकर्षक लूक देने में लगे स्थानीय मार्तंण्ड कुमार सिंह ने बताया कि इस घाट पर गंदगी रहती थी. छठ के समय साफ-सफाई होती थी. यह सबसे पुराना छठ घाट है. पिछले दो वर्षों से इस घाट के काया कल्प का प्रयास स्थानीय लोगों की मदद से चल रहा था. मोहल्ले के हीं दस लोगों ने टीम बनाकर इस घाट के उद्धार के लिए काम करना शुरू किया. मोहल्ले के लोगों ने काफी सहयोग किया और घाट को आकर्षक बनाने का कार्य एक महीना पूर्व शुरू हुआ.

'दीवारों पर रंग-रोगन के साथ देवी देवताओं के पेंटिंग्स बनवाया गया. स्वच्छता का पूरा ख्याल रखा गया है. तालाब के पानी को ब्लीचिंग और चूना से शुद्ध किया गया है. जिला के लिए मॉडल बना अटल उद्यान छठ घाट सामूहिक प्रयास का नतीजा है. पूरा घाट शुद्धता और पवित्रता के महापर्व छठ को लेकर तैयार है. चारों तरफ लाइटस लगाएं गए हैं. घाट पर स्वच्छता और शुद्धता का पूरा ख्याल रखा गया है. ताकि पवित्रता और शुद्धता के इस महापर्व को व्रती और श्रद्धालु श्रद्धा के साथ मना सकें.' - मार्तंण्ड कुमार सिंह, स्थानीय

छठ के दूसरे दिन खरना की तैयारी : गौरतलब है कि लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. आज से इस चार दिवसीय पर्व का दूसरा दिन है. दूसरे दिन को खरना व्रत (Second Day Kharna Of Chhath Puja) के नाम से जाना जाता है. छठ का त्योहार व्रतियां 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं और खरना से ही व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू होता है. छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस बार छठ पूजा 28 अक्टूबर को नहाय-खाय शरू हो चुकी है.

क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिला छठ मय हो चुका है. सूर्योपासना के महापर्व छठ व्रत (Chhath Puja 2022) को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. एक तरफ लोग जहां छठ पूजा सामग्री की खरीदारी में लगे हैं. वहीं, छठ घाटों की सफाई और सजाने का काम भी जोर-शोर से चल रहा है. प्रशासनिक दावों के बावजूद कई छठ घाटों पर अभी भी गंदगी है. स्थानीय लोगों ने किसी तरह से घाट को अर्घ्य देने लायक बनाया है. लेकिन शहर के अटल उद्यान को स्थानीय लोगों ने सामूहिक प्रयास से मॉडल छठ घाट बना (Atal Udyan Chhath Ghat Model Ghat In Motihari) दिया है. साफ-सफाई और तरह-तरह के पेंटिंग्स से अटल उद्यान के छठ घाट को सजाया गया है.

ये भी पढ़ें- लोक आस्था के महापर्व छठ पर्व पर बाजार में रौनक, महंगाई के बावजूद लोग कर रहे हैं जमकर खरीदारी

अटल उद्यान छठ घाट को आदर्श घाट बनाया गया : अटल उद्यान छठ घाट को आदर्श घाट बनाया गया है. जिससे छठ घाट काफी आकर्षक लग रहा है. छठ घाट को आकर्षक लूक देने में लगे स्थानीय मार्तंण्ड कुमार सिंह ने बताया कि इस घाट पर गंदगी रहती थी. छठ के समय साफ-सफाई होती थी. यह सबसे पुराना छठ घाट है. पिछले दो वर्षों से इस घाट के काया कल्प का प्रयास स्थानीय लोगों की मदद से चल रहा था. मोहल्ले के हीं दस लोगों ने टीम बनाकर इस घाट के उद्धार के लिए काम करना शुरू किया. मोहल्ले के लोगों ने काफी सहयोग किया और घाट को आकर्षक बनाने का कार्य एक महीना पूर्व शुरू हुआ.

'दीवारों पर रंग-रोगन के साथ देवी देवताओं के पेंटिंग्स बनवाया गया. स्वच्छता का पूरा ख्याल रखा गया है. तालाब के पानी को ब्लीचिंग और चूना से शुद्ध किया गया है. जिला के लिए मॉडल बना अटल उद्यान छठ घाट सामूहिक प्रयास का नतीजा है. पूरा घाट शुद्धता और पवित्रता के महापर्व छठ को लेकर तैयार है. चारों तरफ लाइटस लगाएं गए हैं. घाट पर स्वच्छता और शुद्धता का पूरा ख्याल रखा गया है. ताकि पवित्रता और शुद्धता के इस महापर्व को व्रती और श्रद्धालु श्रद्धा के साथ मना सकें.' - मार्तंण्ड कुमार सिंह, स्थानीय

छठ के दूसरे दिन खरना की तैयारी : गौरतलब है कि लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर बिहार समेत उत्तर भारत में उत्साह का माहौल है. आज से इस चार दिवसीय पर्व का दूसरा दिन है. दूसरे दिन को खरना व्रत (Second Day Kharna Of Chhath Puja) के नाम से जाना जाता है. छठ का त्योहार व्रतियां 36 घंटों का निर्जला व्रत रखकर मनाती हैं और खरना से ही व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू होता है. छठ पूजा हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को होती है. इस व्रत को छठ पूजा, सूर्य षष्‍ठी पूजा और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है. इस बार छठ पूजा 28 अक्टूबर को नहाय-खाय शरू हो चुकी है.

क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.

Last Updated : Oct 29, 2022, 9:13 PM IST
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