मोतिहारी: विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल का जन्मस्थान मोतिहारी शहर में है. जिनके जन्मस्थान के पास लगी प्रतिमा को असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया है. और पूरी प्रतिमा को तोड़ने के बाद उसे कुआं में फेंक कर वे लोग भाग खड़े हुए. हालांकि, सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने विरोध किया, तो बदमाशों ने सुरक्षाकर्मियों के साथ हाथापाई की और उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी. मामला संज्ञान में आने के बाद जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक मंगलवार को प्रतिमास्थल के पास पहुंचे. और कुआं में फेंके गए क्षतिग्रस्त प्रतिमा को बाहर निकलवाया. साथ ही डीएम ने प्रतिमा को मरम्मत के लिए भेज दिया है. डीएम ने स्थानीय थाना को प्रतिमा क्षतिग्रस्त करने वाले असामाजिक तत्वों को चिन्हित कर उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश दिया है.
डीएम ने सुरक्षा बढ़ाने का थानाध्यक्ष को दिया निर्देश
डीएम ने बताया कि जॉर्ज ऑरवेल की संरक्षित जन्म स्थान की सुरक्षा के लिए चार होमगार्ड्स के जवानों की तैनाती की गई है. लेकिन वहां अतिरिक्त पुलिस बल को तैनात करने का निर्देश थानाध्यक्ष को दिया गया है. डीएम ने कहा कि बिहार सर्वधर्म सम्भाव के लिए जाना जाता है और जॉर्ज ऑरवेल जैसी शख्सियत का जन्म मोतिहारी में होना जिला वासियों के लिए गर्व की बात है।उन्होंने बताया कि जॉर्ज ऑरवेल के जन्मस्थान को सांस्कृतिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा. जिसके लिए संबंधित विभाग को डीपीआर भेजा जा चुका है. डीएम के अनुसार कोविड संक्रमण और विधानसभा चुनाव के कारण कुछ विलंब हुआ है. लेकिन जल्द ही जॉर्ज ऑरवेल के जन्मस्थली के विकास का कार्य शुरू किया जाएगा.
घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
वहीं इस घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए जॉर्ज ऑरवेल कमेटी के चेयरमैन देवप्रिय मुखर्जी ने कहा कि एक तरफ सभी जिलावासी ऐसे ऐतिहासिक स्थल के विकास के लिए जागरूक हैं. जबकि उसी में से कुछ गलत लोग इस स्थल को बदनाम करने में लगे हैं. उन्होंने कहा कि जॉर्ज ऑरवेल की प्रतिमा तोड़ने वाले कलुषित मानसिकता के लोग हैं. जिनकी पहचान जल्द हो जाएगी.
बता दें कि विश्व विख्यात साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल के पिता अंग्रेजों के मोतिहारी स्थित अफीम के गोदाम के मैनेजर थे. और शहर के ज्ञान बाबू चौक के समीप स्थित गोदाम परिसर में बने मकान में वह रहते थे. इसी घर में विश्व विख्यात साहित्यकार जॉर्ज ऑरवेल का जन्म 25 जून 1903 को हुआ था. जॉर्ज ऑरवेल को शताब्दी लेखक के रूप में जाना जाता है. उनकी दो पुस्तकें एनीमल फॉर्म और नाइनटीन एट्टी फोर शताब्दी की सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक पुस्तक के रूप में चयनित हुई है. जॉर्ज ऑरवेल के जन्म स्थान को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है. जहां उनकी प्रतिमा स्थापित की गई थी. जिसे असामाजिक तत्वों ने तोड़ दिया है.