मोतिहारी: मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल (Muzaffarpur Eye Hospital Case) में मोतियाबिंद का ऑपरेशन (Cataract Surgery) के बाद पूर्वी चंपारण जिले के 15 लोगों की भी आंख की रोशनी चली गई थी. सरकार ने आईजीआईएमएस में इनके लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था (Eye Victims Can Be Treated at IGIMS) की है, लेकिन 8 मरीज वहां जाने को तैयार नहीं हैं. हालांकि प्रशासन उन्हें राजी करने में जुटा हुआ है. वहीं मुआवजे की घोषणा पर पीड़ितों ने संतोष जताया है.
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पूर्वी चंपारण जिले के 15 लोगों ने 22 नवंबर को मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में इलाज कराया था. मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद उनके आंखो में संक्रमण हो जाने से उन्हें देखने में परेशानी हो रही है. हालंकि सरकार ने उनलोगों के मुफ्त इलाज की व्यवस्था आईजीआईएमएस में की है, लेकिन अपनी आंख गवां चुके जिले के केवल 7 मरीज ही आईजीआईएमएस जाने को तैयार हुए हैं. इनकी आंखों की जांच भी हुई है, लेकिन जिले के अन्य 8 मरीज आईजीआईएमएस जाने को तैयार नहीं हैं.
चकिया प्रखंड स्थित चकनिया गांव के रहने वाले महेश सहनी और कलावती देवी ने भी मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में 22 नवंबर को मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया था. ऑपरेशन के बाद उनकी आंखों में हुए संक्रमण के कारण उनके जीवन में अंधेरा छा गया है.
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महेश सहनी और कलावती देवी ने बताया कि उनलोगों की आंखों में परेशानी थी. जिस कारण वे लोग आंख का इलाज कराने मुजफ्फरपुर गए थे, लेकिन वहां ऑपरेशन के बाद उन्हें दिखना ही बंद हो गया है. उनदोनों ने बताया कि उनकी सुध लेने अबतक कोई नहीं आया है. हमलोग गरीब परिवार से हैं, समझ में नहीं आ रहा है कि आगे कैसे काम-धंधा करेंगे.
वहीं, इस मामले में पूछे जाने पर डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने बताया कि आईजीआईएमएस जाने के लिए इच्छुक लोगों के बारे में सिविल सर्जन से प्रतिवेदन मांगा गया था. उन्होंने कहा कि जिले के स्पेशलिस्ट चिकित्सकों से उन लोगों की आंखों की जांच कराकर उन्हें चिकित्सीय सुविधा देने का निर्देश भी सिविल सर्जन को दिया गया था.
"आईजीआईएमएस जाने को इच्छुक लोगों के बारे में सिविल सर्जन से प्रतिवेदन मांगा गया था. साथ ही जिले के स्पेशलिस्ट चिकित्सकों से उन लोगों की आंखों की जांच कराकर उन्हें चिकित्सीय सुविधा देने का निर्देश भी सिविल सर्जन को दिया गया था"- शीर्षत कपिल अशोक, जिलाधिकारी, पूर्वी चंपारण
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