दरभंगा: यूजीसी ने ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की मान्यता रद्द कर दी है. इसकी वजह से यहां 2020 के जुलाई और 2021 के जनवरी सत्र में नामांकन नहीं हो रहा है. इसकी वजह से इस बार बीएड का एंट्रेंस टेस्ट पास करने वाले छात्र भी दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के तहत नामांकन नहीं करा पाएंगे. मान्यता रद्द होने से उत्तर बिहार के हजारों छात्रों में मायूसी है.
वहीं, इसके विरोध में लोक जनशक्ति पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष और ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के सिनेटर गगन झा ने छात्रों के साथ विश्वविद्यालय में धरना दिया. प्रदर्शनकारियों से वार्ता करने पहुंचे विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि वह डीडीई की मान्यता को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
लोजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और एलएमएनयू के सिनेटर गगन झा ने कहा कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालय में उत्तर बिहार के हजारों छात्र पढ़ते हैं. इसमें हर सत्र में नामांकन से 4 करोड रुपये की आमदनी होती है. उन्होंने कहा पटना विश्वविद्यालय को यूजीसी ने औपबंधिक तौर पर मान्यता दे दी, लेकिन मिथिला विश्वविद्यालय के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से इसको मान्यता नहीं मिल पाई. उन्होंने इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई और दूरस्थ शिक्षा निदेशालय की मान्यता बहाल करने की मांग की.
मान्यता बहाल करने की अपील
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रो. मुश्ताक अहमद ने कहा कि यूजीसी ने उन्हें एक पत्र भेजा है. पत्र में कहा गया है कि वैसे ही विश्वविद्यालयों को दूरस्थ शिक्षा के तहत पाठ्यक्रम चलाने की अनुमति होगी. जिन्होंने नैक से ए प्लस ग्रेड हासिल किया हो, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय को नैक से बी ग्रेड मिला है. इसलिए इसकी मान्यता रद्द कर दी गई है. उन्होंने कहा कि पटना विश्वविद्यालय को केवल एक सत्र के लिए औपबंधिक तौर पर मान्यता मिली है. वहीं, रजिस्ट्रार ने कहा कि उन्होंने यूजीसी को पत्र लिखकर इसकी मान्यता बहाल करने की अपील की है. साथ ही उन्होंने इसके लिए कानूनी कार्रवाई भी कर रहे हैं.