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कोरोना वायरस को लेकर हुई धार्मिक परंपरा प्रभावित, मंदिरों में भी नहीं दिखी भीड़ - darbhanga hanuman mandir

बिहार में लॉक डाउन होने के कारण रामनवमी के दिन मंदिरों में भीड़ देखने को नहीं मिली. दरभंगा के हनुमान मंदिर में लोगों के अनुसार सालों की परंपरा भंग होती नजर आ रही है.

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Published : Apr 3, 2020, 8:56 AM IST

दरभंगा: कोरोना वायरस को लेकर 14 अप्रैल तक हुए लॉक डाउन से यहां की धार्मिक परंपरा भी प्रभावित होती नजर आ रही है. मनीगाछी क्षेत्र में अवस्थित मिथिलांचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठ वाणेश्वरी भगवती और नेहरा गांव स्थित महावीर जी मंदिर में विगत कई दशकों से चैत्र की वासंती नवरात्र में सिमरिया से पैदल गंगाजल लाकर अभिषेक करने की परंपरा रही है. लेकिन लॉक डाउन होने के कारण इस बार लोग रामनवमी के दिन जलाभिषेक नहीं कर सके.

दरअसल, रामनवमी के दिन होने वाले जलाभिषेक कार्यक्रम में इस क्षेत्र के हजारों की संख्या में लोग शामिल होते थे. इस परंपरा से यहां के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है कि इससे वर्ष भर के संकटों का निवारण होता है. लेकिन गुरुवार को रामनवमी के दिन भी सभी मंदिर सूना दिखा. साथ ही मंदिर के मुख्य द्वार भी बंद रहा. वहीं, प्रशासन की सख्ती मंदिरों पर साफ देखी गई.

'नए भारत की है कल्पना'
दूसरी ओर रामनवमी के अवसर पर विगत तीन दशकों से वाणेश्वरी भगवती महोत्सव का आयोजन बिहार सरकार के कला संस्कृति युवा विभाग द्वारा होता आ रहा है. जिसमें हजारों की तादाद में लोगों की भागीदारी होती रही है. इस वर्ष कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन के कारण वर्षों चली आ रही परंपरा भंग हो गई. वाणेश्वरी न्यास समिति के सदस्य ने कहा कि इस संकट की घडी में हमलोग ईश्वर से नए भारत की कल्पना कर सभी को कोरोना संकट से मुक्त कराने की प्रार्थना कर रहे हैं.

दरभंगा: कोरोना वायरस को लेकर 14 अप्रैल तक हुए लॉक डाउन से यहां की धार्मिक परंपरा भी प्रभावित होती नजर आ रही है. मनीगाछी क्षेत्र में अवस्थित मिथिलांचल के प्रसिद्ध शक्तिपीठ वाणेश्वरी भगवती और नेहरा गांव स्थित महावीर जी मंदिर में विगत कई दशकों से चैत्र की वासंती नवरात्र में सिमरिया से पैदल गंगाजल लाकर अभिषेक करने की परंपरा रही है. लेकिन लॉक डाउन होने के कारण इस बार लोग रामनवमी के दिन जलाभिषेक नहीं कर सके.

दरअसल, रामनवमी के दिन होने वाले जलाभिषेक कार्यक्रम में इस क्षेत्र के हजारों की संख्या में लोग शामिल होते थे. इस परंपरा से यहां के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है. लोगों का मानना है कि इससे वर्ष भर के संकटों का निवारण होता है. लेकिन गुरुवार को रामनवमी के दिन भी सभी मंदिर सूना दिखा. साथ ही मंदिर के मुख्य द्वार भी बंद रहा. वहीं, प्रशासन की सख्ती मंदिरों पर साफ देखी गई.

'नए भारत की है कल्पना'
दूसरी ओर रामनवमी के अवसर पर विगत तीन दशकों से वाणेश्वरी भगवती महोत्सव का आयोजन बिहार सरकार के कला संस्कृति युवा विभाग द्वारा होता आ रहा है. जिसमें हजारों की तादाद में लोगों की भागीदारी होती रही है. इस वर्ष कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन के कारण वर्षों चली आ रही परंपरा भंग हो गई. वाणेश्वरी न्यास समिति के सदस्य ने कहा कि इस संकट की घडी में हमलोग ईश्वर से नए भारत की कल्पना कर सभी को कोरोना संकट से मुक्त कराने की प्रार्थना कर रहे हैं.

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