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दरभंगा में बाढ़ के कारण पशुपालकों की बढ़ी परेशानी, नहीं हो पा रही चारे की व्यवस्था

दरभंगा के ग्रामीणों क्षेत्रों में कमला, कोसी, बागमती और अधवारा समूह की नदियों ने तबाही मचाई है. बाढ़ के कहर से बचने के लिए लोग अपने गांव-घर को छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. वहीं प्रशासन की ओर से पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था नहीं की गई है.

गाय
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Published : Jul 13, 2021, 2:37 PM IST

दरभंगा: कमला, कोसी, बागमती और अधवारा समूह की नदियों में उफान के कारण आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है. बाढ़ के कहर (Flood Havoc) से बचने के लिए लोग अपने गांव-घर को छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. वहीं बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बेजुबान पशुओं को हो रही है. चारों तरफ पानी होने के कारण पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था (Fodder Arrangement) नहीं हो पा रही है.

यह भी पढ़ें: Darbhanga Flood News: पहले बाढ़ ने किया बेघर, अब पेट पर आफत

सड़क किनारे आशियाना बनाकर रह रहे पशुपालक अंजार का कहना है कि गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. पालतू पशुओं को साथ लेकर हमलोग ऊंचे स्थानों किसी तरह गुजर कर रहे हैं. लेकिन अब गांव और खेत में जल सैलाब के कारण पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है. बेजुबानों का चारा उपलब्ध नहीं करा पाने की स्थिति में पशुपालकों की बेचैनी बढ़ी हुई है. बेजुबान पशुओं की भूख मिटाने के लिए हमलोगों ने प्रशासन से मांग की थी लेकिन अब तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है.

वहीं, असराहा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि खुर्शीद आलम ने कहा कि बाढ़ का पानी हमारे पंचायत के सभी वार्डों में घुस गया है. लोग अपने घर को छोड़कर ऊंचे स्थान पर शरण लिए हुए हैं. सबसे ज्यादा परेशानी पशुओं को हो रही है. उन्होंने कहा कि पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था को लेकर अंचलाधिकारी से बात की थी पर कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने कहा कि अभी तक सरकारी स्तर पर चारा आवंटन नहीं हुआ है. आवंटन होते ही पशुपालकों के बीच चारा का वितरण कर दिया जाएगा.

गौरतलब है कि बाढ़ का पानी घटने के बाद पशुपालक अपने मवेशियों के साथ घर लौटते हैं, लेकिन खेतों में पानी का फैलाव होने के कारण मवेशियों के लिए चारा नहीं मिल पाता है. जिसके कारण दूध उत्पादन में भी कमी आती है. इसका दंश पशुपालकों को तीन माह तक झेलना पड़ता है.

दरभंगा: कमला, कोसी, बागमती और अधवारा समूह की नदियों में उफान के कारण आम लोगों की परेशानी बढ़ गई है. बाढ़ के कहर (Flood Havoc) से बचने के लिए लोग अपने गांव-घर को छोड़कर ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं. वहीं बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा परेशानी बेजुबान पशुओं को हो रही है. चारों तरफ पानी होने के कारण पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था (Fodder Arrangement) नहीं हो पा रही है.

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सड़क किनारे आशियाना बनाकर रह रहे पशुपालक अंजार का कहना है कि गांव में बाढ़ का पानी घुस गया है. पालतू पशुओं को साथ लेकर हमलोग ऊंचे स्थानों किसी तरह गुजर कर रहे हैं. लेकिन अब गांव और खेत में जल सैलाब के कारण पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करना टेढ़ी खीर साबित हो रही है. बेजुबानों का चारा उपलब्ध नहीं करा पाने की स्थिति में पशुपालकों की बेचैनी बढ़ी हुई है. बेजुबान पशुओं की भूख मिटाने के लिए हमलोगों ने प्रशासन से मांग की थी लेकिन अब तक कोई व्यवस्था नहीं हो पाई है.

वहीं, असराहा पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि खुर्शीद आलम ने कहा कि बाढ़ का पानी हमारे पंचायत के सभी वार्डों में घुस गया है. लोग अपने घर को छोड़कर ऊंचे स्थान पर शरण लिए हुए हैं. सबसे ज्यादा परेशानी पशुओं को हो रही है. उन्होंने कहा कि पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था को लेकर अंचलाधिकारी से बात की थी पर कोई मदद नहीं मिली. उन्होंने कहा कि अभी तक सरकारी स्तर पर चारा आवंटन नहीं हुआ है. आवंटन होते ही पशुपालकों के बीच चारा का वितरण कर दिया जाएगा.

गौरतलब है कि बाढ़ का पानी घटने के बाद पशुपालक अपने मवेशियों के साथ घर लौटते हैं, लेकिन खेतों में पानी का फैलाव होने के कारण मवेशियों के लिए चारा नहीं मिल पाता है. जिसके कारण दूध उत्पादन में भी कमी आती है. इसका दंश पशुपालकों को तीन माह तक झेलना पड़ता है.

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