ETV Bharat / state

मिथिलांचल के लोकपर्व कोजागरा की तैयारियां तेज,  मखाना बांटने की है परंपरा - मखाना और पान का विशेष महत्व

इस पर्व में मखाना और पान का विशेष महत्व माना जाता है. इस कारण पूरे वर्ष में मखाना के दाम सबसे अधिक इसी दौरान होते हैं. शहर से लेकर गांवों तक जगह-जगह मखाना की दूकानें सज चुकी हैं. लोगों में कोजागरा को लेकर उत्साह का माहौल है.

Mithilanchal
author img

By

Published : Oct 12, 2019, 7:52 PM IST

दरभंगा: मिथिलांचल का लोक पर्व कोजागरा धूमधाम से मनाया जाएगा. मिथिला के नवविवाहित दुल्हों के घर कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल देखा जा रहा है. घरों में दूल्हे के ससुराल से आने वाले भाड़ को लेकर चर्चा होनी शुरू हो चुकी है. रिश्तेदारों और मेहमानों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. वहीं दूसरी ओर, कोजागरा को लेकर बाजार में भी चहल-पहल बढ़ गई है. शहर में जहां-तहां मखाना की दुकानें सज चुकी हैं.

मखाना-बताशा और पान बांटने की है परंपरा
बता दें कि कोजागरा पर्व मुख्य रूप से
ब्राह्मण समाज में मनाया जाता है. मिथिला के नवविवाहित दूल्हों के घर कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल के साथ ही रिश्तेदार और मेहमानों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. कोजागरा पर्व के अवसर पर दूल्हे के ससुराल से पान मखाना नारियल केला इत्यादि आता है. जिसके बाद घर के बुजुर्ग मंत्र के साथ दूर्वाक्षत देकर दूल्हे को आशीर्वाद देते है. कोजागरा के अवसर पर समाज के लोगों में मखाना-बताशा और पान बांटने की परंपरा है.

Mithilanchal
कोजागरा को लेकर सज चुकी है दुकान

माता लक्ष्मी की होती है पूजा
दरअसल कोजागरा पर्व अश्वनी मास की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. साथ ही नवविवाहित दूल्हे का चुमावन कर नवविवाहिता के समृद्ध और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है. इसके बाद लोगों के बीच मखान बतासा आदि बांटे जाते हैं. कोजागरा की रात्री जागरण का विशेष महत्व है.

मिथिलांचल में कोजागरा पर्व की धूम

खेला जाता है कौड़ी
मान्यता के अनुसार कोजागरा की रात लक्ष्मी के साथ ही आसमान से अमृत वर्षा होती है. पूरे वर्ष में शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सबसे अधिक शीतल और प्रकाशमान प्रतीत होता है. शरद पूर्णिमा की शीतल रात में पीसे अरवा चावल के घोल से आंगन में बने अर्पण पर दूल्हे का चुमान ससुराल से आए धान और दूब से किया जाता है. इसके बाद जीजा, साला, देवर और भाभी के बीच कौड़ी का खेल खेला जाता है.

Mithilanchal
शत्रुघ्न सहनी, मखाना दुकानदार

घटता जा रहा है उत्पाद
मखाना दुकानदार शत्रुघ्न सहनी ने कहा कि इस पर्व में मखाना और पान का विशेष महत्व माना जाता है. इस कारण पूरे वर्ष में मखाना के भाव सबसे अधिक इसी दौरान महंगा होता है. शहर से लेकर गांव तक जगह-जगह मखाना की दुकानें सज चुकी है. इस बार शहर में मखाना 500 से 600 रुपया प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, मखाना व्यापारियों की माने तो मखाना का उत्पादन दिनों दिन घटता जा रहा है. जिसके कारण मखाना महंगा होता जा रहा है.

दरभंगा: मिथिलांचल का लोक पर्व कोजागरा धूमधाम से मनाया जाएगा. मिथिला के नवविवाहित दुल्हों के घर कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल देखा जा रहा है. घरों में दूल्हे के ससुराल से आने वाले भाड़ को लेकर चर्चा होनी शुरू हो चुकी है. रिश्तेदारों और मेहमानों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. वहीं दूसरी ओर, कोजागरा को लेकर बाजार में भी चहल-पहल बढ़ गई है. शहर में जहां-तहां मखाना की दुकानें सज चुकी हैं.

मखाना-बताशा और पान बांटने की है परंपरा
बता दें कि कोजागरा पर्व मुख्य रूप से
ब्राह्मण समाज में मनाया जाता है. मिथिला के नवविवाहित दूल्हों के घर कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल के साथ ही रिश्तेदार और मेहमानों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है. कोजागरा पर्व के अवसर पर दूल्हे के ससुराल से पान मखाना नारियल केला इत्यादि आता है. जिसके बाद घर के बुजुर्ग मंत्र के साथ दूर्वाक्षत देकर दूल्हे को आशीर्वाद देते है. कोजागरा के अवसर पर समाज के लोगों में मखाना-बताशा और पान बांटने की परंपरा है.

Mithilanchal
कोजागरा को लेकर सज चुकी है दुकान

माता लक्ष्मी की होती है पूजा
दरअसल कोजागरा पर्व अश्वनी मास की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है. साथ ही नवविवाहित दूल्हे का चुमावन कर नवविवाहिता के समृद्ध और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है. इसके बाद लोगों के बीच मखान बतासा आदि बांटे जाते हैं. कोजागरा की रात्री जागरण का विशेष महत्व है.

मिथिलांचल में कोजागरा पर्व की धूम

खेला जाता है कौड़ी
मान्यता के अनुसार कोजागरा की रात लक्ष्मी के साथ ही आसमान से अमृत वर्षा होती है. पूरे वर्ष में शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सबसे अधिक शीतल और प्रकाशमान प्रतीत होता है. शरद पूर्णिमा की शीतल रात में पीसे अरवा चावल के घोल से आंगन में बने अर्पण पर दूल्हे का चुमान ससुराल से आए धान और दूब से किया जाता है. इसके बाद जीजा, साला, देवर और भाभी के बीच कौड़ी का खेल खेला जाता है.

Mithilanchal
शत्रुघ्न सहनी, मखाना दुकानदार

घटता जा रहा है उत्पाद
मखाना दुकानदार शत्रुघ्न सहनी ने कहा कि इस पर्व में मखाना और पान का विशेष महत्व माना जाता है. इस कारण पूरे वर्ष में मखाना के भाव सबसे अधिक इसी दौरान महंगा होता है. शहर से लेकर गांव तक जगह-जगह मखाना की दुकानें सज चुकी है. इस बार शहर में मखाना 500 से 600 रुपया प्रति किलो बिक रहा है. वहीं, मखाना व्यापारियों की माने तो मखाना का उत्पादन दिनों दिन घटता जा रहा है. जिसके कारण मखाना महंगा होता जा रहा है.

Intro:मिथिलांचल के नवविवाहिता के लिए खासा महत्व रखने वाले लोग पर्व कोजागरा रविवार को धूमधाम से मनाया जाएगा। जिसको लेकर शहर में जहां-तहां मखाना की दुकानें सज चुकी है। लोग बाजारों में पान मखान और मिठाई की खरीदारी करते नजर आ रहे हैं। जिससे बाजारों में भी चहल पहल काफी बढ़ गई है।

वहीं दूसरी ओर मिथिला के नवविवाहित दूल्हों के घर कोजागरा को लेकर उत्सवी माहौल के साथ ही रिश्तेदार और मेहमानों के आने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। कोजागरा पर्व के अवसर पर दूल्हे की ससुराल से बड़ा सा डाला में धान, दूब, मखाना, पान की ढोली, नारियल, केला, सुपारी, यज्ञोपवीत, लौंग, इलाइची, चांदी की कौड़ी, दही, मिठाइयां सजाकर रखी रहती है। घर की महिलाओं के द्वारा चुमावन के बाद बुजुर्ग मंत्र के साथ दूर्वाक्षत देकर दूल्हे को आशीर्वाद देते हैं। इसके बाद समाज के लोगों के बीच मखान और बताशा बंटा जाता है।


Body:दरअसल कोजागरा पर्व अश्वनी मास की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष काल में माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही नवविवाहित दूल्हे का चुमावन कर नवविवाहिता के समृद्ध और सुखमय जीवन के लिए प्रार्थना की जाती है। इसके बाद लोगों के बीच मखान बतासा आदि बांटे जाते हैं। कोजागरा की रात जागरण का विशेष बात है।

माना जाता है कि कोजागरा की रात लक्ष्मी के साथ ही आसमान से अमृत वर्षा होती है। पूरे वर्ष में शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सबसे अधिक शीतल और प्रकाशमान प्रतीत होते हैं। शरद पूर्णिमा की शीतल रात में पीसे अरवा चावल के घोल से आंगन में बने अल्पना पर दूल्हे का चुनाव ससुराल से आए धान व दूब से किया जाता है। इसके बाद जीजा साला और देवर भाभी के बीच कौड़ी का खेल खेला जाता है।


Conclusion:वही मखाना दुकानदार शत्रुघ्न सहनी ने कहा कि इस पर्व में मखाना और पान का विशेष महत्व माना जाता है। इस कारण पूरे वर्ष में मखाना के भाव सबसे अधिक इसी दौरान होते हैं। शहर से लेकर गांव तक जगह-जगह मखाना की दुकानें सज चुकी है। इस बार शहर में मखाना का भाव 500 से 600 सौ रुपया प्रति किलो बिक रहा है। वही मखाना व्यापारियों की माने तो मखाना का उत्पादन दिनों दिन घटता जा रहा है। जिसके कारण मखाना महंगा होता जा रहा है।

Byte ---------------------

जितेंद्र मिश्रा, ग्राहक
शत्रुघ्न सहनी, मखाना दुकानदार
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.