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मुख्यमंत्री जी, इन बदहाल पीएचसी के भरोसे जीतेंगे कोरोना से जंग ? - Corona in Bihar

कोरोना का संक्रमण बिहार के गांव-गांव तक फैल चुका है. सीएम खुद इस बात को मानते हुए गांव वाले डॉक्टरों से मरीजों की मदद करने की अपील कर रहे हैं. लेकिन जर्जर हो चुकी ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था में गांव वाले डॉक्टर तो क्या दिल्ली के सुपर स्पेसलिस्ट डॉक्टर भी मरीजों को बचा नहीं पाएंगे.

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बदहाल पीएचसी
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Published : May 21, 2021, 2:21 PM IST

Updated : May 21, 2021, 5:19 PM IST

दरभंगा: बिहार में कोरोना कहर बरपा रहा है. लॉकडाउन के कारण कोरोना के नए मामलों में कमी तो जरूर देखी गई है, लेकिन मौत के आंकड़ों में अभी तक गिरावट दर्ज नहीं की गई है. वहीं, कोरोना से लड़ने के लिए सीएम नीतीश कुमार गांव के डॉक्टरों से सहयोग की अपील कर रहे हैं. लेकिन जब गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खस्ताहाल हों तो गांव वाले डॉक्टर तो क्या, यहां सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी मरीज को नहीं बचा पाएंगे.

पीएचसी की बदहाल व्यवस्था

यह भी पढ़ें: वैशाली में ब्लैक फंगस से मरने वाली महिला की अंतिम यात्रा में लगे 'नीतीश सरकार मुर्दाबाद' के नारे

डीएमसीएच ने लिया है गोद
दरअसल, बहादुरपुर प्रखण्ड के गनौल अतिरिक्त स्वास्थ्य व वेलनेस केंद्र हैं. इस अतरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को पिछले दिनों डीएमसीएच ने गोद लिया था. इसे रिसर्च सेंटर के रूप में विकसित करने की बात प्रशासन की ओर से की गई थी, लेकिन प्रशासन की यह बात ढाक के तीन पात साबित हुई. ग्रामीणों को रिसर्च सेंटर का शिगुफा दिखा कर छोड़ दिया.

बाढ़ के समय यह पूरा इलाका बन जाता टापू
ग्रामीण बताते हैं कि मानसून और बाढ़ के समय यह पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता है. जिला मुख्यालय से लोगों का संपर्क पूरी तरह टूट जाता है. जिससे इस इलाके में रहने वालों के लिए इलाज करवाना मुश्किल साबित होता है. उन्हें बाढ़ के समय उफनती नदी को नाव से पार कर जिला मुख्यालय तक पहुंचना पड़ता है. जबकि यहां एक पुराना पीएचसी मौजूद है. ग्रामीणों ने बताया कि इस केंद्र से गनौली, बांध बस्ती,अकौना, मनियारी, तेलियापोखर, शाहपुर आदि गांवों के दासियों हजार की आबादी लाभान्वित हो सकती है.

यह भी पढ़ें: Bihar Corona Update: मरीजों की संख्या में आयी कमी लेकिन ब्लैक और व्हाइट फंगस ने बढायी चिंता

कालाजार जोन में आता है गनौली
वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि ये सभी गांव कालाजार बीमारी के जोन में आते हैं. इसलिये इस सेंटर से टीबी, कालाजार-मलेरिया, प्रसूति महिलाओं के इलाज को लेकर सिविल सर्जन से ग्रामीणों की बात हुई थी, लेकिन यहां की व्यवस्था को दुरूस्त करने को लेकर प्रशासन की ओर से कुछ भी नहीं किया गया. उल्टे इस कोरोना महामारी के दौर में यहां जो डॉक्टर पदास्थापित थे, उन्हें भी बहादुर समुदायिक केंद्र में पदस्थापित कर दिया गया. इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को बंद करा दिया गया.

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बदहाल पीएचसी के भरोसे जीतेंगे कोरोना से जंग

माले नेता ने की उप-केंद्र पर डॉक्टरों की बहाली की मांग
इस मामले पर भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य अभिषेक कुमार ने बताया कि बहादुरपुर प्रखण्ड में एक समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, तीन अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व 19 स्वास्थ्य उप-केन्द्र हैं. लेकिन सुशासन व विकास के तमाम दावों के बीच नीतीश राज के 16 सालों में पंचायत में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो गयी है. ये सभी स्वास्थ्य केंद्र कागज पर चल रहें हैं, लेकिन जमीनी हकीकत आपके सामने हैं. उन्होंने सभी स्वास्थ्य उप- केंद्रों पर डॉक्टरों, नर्सो व दवाईयों के साथ इलाज की व्यवस्था करने की मांग की.

यह भी पढ़ें: डीएमसीएचः 13 हजार में मरीज के परिजन से किया खून का सौदा, लोगों ने पकड़कर धुना

दरभंगा: बिहार में कोरोना कहर बरपा रहा है. लॉकडाउन के कारण कोरोना के नए मामलों में कमी तो जरूर देखी गई है, लेकिन मौत के आंकड़ों में अभी तक गिरावट दर्ज नहीं की गई है. वहीं, कोरोना से लड़ने के लिए सीएम नीतीश कुमार गांव के डॉक्टरों से सहयोग की अपील कर रहे हैं. लेकिन जब गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खस्ताहाल हों तो गांव वाले डॉक्टर तो क्या, यहां सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर भी मरीज को नहीं बचा पाएंगे.

पीएचसी की बदहाल व्यवस्था

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डीएमसीएच ने लिया है गोद
दरअसल, बहादुरपुर प्रखण्ड के गनौल अतिरिक्त स्वास्थ्य व वेलनेस केंद्र हैं. इस अतरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को पिछले दिनों डीएमसीएच ने गोद लिया था. इसे रिसर्च सेंटर के रूप में विकसित करने की बात प्रशासन की ओर से की गई थी, लेकिन प्रशासन की यह बात ढाक के तीन पात साबित हुई. ग्रामीणों को रिसर्च सेंटर का शिगुफा दिखा कर छोड़ दिया.

बाढ़ के समय यह पूरा इलाका बन जाता टापू
ग्रामीण बताते हैं कि मानसून और बाढ़ के समय यह पूरा इलाका टापू में तब्दील हो जाता है. जिला मुख्यालय से लोगों का संपर्क पूरी तरह टूट जाता है. जिससे इस इलाके में रहने वालों के लिए इलाज करवाना मुश्किल साबित होता है. उन्हें बाढ़ के समय उफनती नदी को नाव से पार कर जिला मुख्यालय तक पहुंचना पड़ता है. जबकि यहां एक पुराना पीएचसी मौजूद है. ग्रामीणों ने बताया कि इस केंद्र से गनौली, बांध बस्ती,अकौना, मनियारी, तेलियापोखर, शाहपुर आदि गांवों के दासियों हजार की आबादी लाभान्वित हो सकती है.

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कालाजार जोन में आता है गनौली
वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि ये सभी गांव कालाजार बीमारी के जोन में आते हैं. इसलिये इस सेंटर से टीबी, कालाजार-मलेरिया, प्रसूति महिलाओं के इलाज को लेकर सिविल सर्जन से ग्रामीणों की बात हुई थी, लेकिन यहां की व्यवस्था को दुरूस्त करने को लेकर प्रशासन की ओर से कुछ भी नहीं किया गया. उल्टे इस कोरोना महामारी के दौर में यहां जो डॉक्टर पदास्थापित थे, उन्हें भी बहादुर समुदायिक केंद्र में पदस्थापित कर दिया गया. इस अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र को बंद करा दिया गया.

darbhanga
बदहाल पीएचसी के भरोसे जीतेंगे कोरोना से जंग

माले नेता ने की उप-केंद्र पर डॉक्टरों की बहाली की मांग
इस मामले पर भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य अभिषेक कुमार ने बताया कि बहादुरपुर प्रखण्ड में एक समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, तीन अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र व 19 स्वास्थ्य उप-केन्द्र हैं. लेकिन सुशासन व विकास के तमाम दावों के बीच नीतीश राज के 16 सालों में पंचायत में स्वास्थ्य व्यवस्था बदहाल हो गयी है. ये सभी स्वास्थ्य केंद्र कागज पर चल रहें हैं, लेकिन जमीनी हकीकत आपके सामने हैं. उन्होंने सभी स्वास्थ्य उप- केंद्रों पर डॉक्टरों, नर्सो व दवाईयों के साथ इलाज की व्यवस्था करने की मांग की.

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Last Updated : May 21, 2021, 5:19 PM IST
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