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खत्म हो रही आस, कराह रहा दिल; गर्दन तक पानी में रहने को मजबूर लोग

जिले के ग्रामीण इलाकों में कई जगह तो ऐसी हालत है कि लोगों की गर्दन तक पानी भरा हुआ है. ऐसे में ग्रामीण रामजतन ने बताया कि करीब एक सप्ताह से बाढ़ का पानी घर में घुसा हुआ है. खाने-पीने को लेकर खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. पानी में घर का सारा समान बह गया. रेलवे पटरी पर रहने को मजबूर हैं.

Flood in many villages of Darbhanga
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Published : Jul 24, 2019, 7:34 PM IST

दरभंगा: बिहार के 12 जिलों में आयी जल प्रलय से आम जनजीवन तहस नहस हो गया है. वहीं, दरभंगा के कई गांवों में बाढ़ की वजह से लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. कमर से ऊपर तक बाढ़ के पानी में रहने को लोग मजबूर हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि उन्हें कोई भी प्रशासनिक मदद नहीं मिली है.

जिले के ग्रामीण इलाकों में कई जगह तो ऐसी हालत है कि लोगों की गर्दन तक पानी भरा हुआ है. ऐसे में ग्रामीण रामजतन ने बताया कि करीब एक सप्ताह से बाढ़ का पानी घर में घुसा हुआ है. खाने-पीने को लेकर खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. पानी में घर का सारा समान बह गया. रेलवे पटरी पर रहने को मजबूर हैं. हमने खुद ही चचरी का पुल बनाया है. किसी भी प्रकार की प्रशासनिक मदद नहीं मिली है.

Flood in many villages of Darbhanga
महिलाओं ने सुनाई दास्तां

दो-तीन दिनों तक भूखे रहे- ग्रामीण
वहीं, रुद्र ने बताया कि कोई मुखिया या सरकार गांव में हमारी इस हालत को देखने के लिए नहीं आया. हम दो-तीन दिन तक भूखे रहे हैं. बच्चों के लिए हम दुकान से उधार ला रहे हैं. संजीत ने बताया कि जनप्रतिनिधि बोल चुके हैं कि बांध और सड़क बनेगी लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

'चूल्हा हो तो बनाएं खाना'
गांव की महिलाओं से जब पूछा गया कि कैसे खाना बनता है, तो उन्होंने कहा कि बाढ़ में सबकुछ बह गया है. चूल्हा हो तो खाना बनेगा. यहां तो चूल्हा है ही नहीं. आक्रोशित महिलाओं ने कहा कि बार-बार एक ही चीज सुनकर-सुनकर थक गए हैं कि पुल बनेगा और सड़क बनेगी. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. सरकार को हमने वोट दिया है. हमारा जो हक है वो हमें दिया जाए.

Flood in many villages of Darbhanga
खुद बनाया चचरी पुल

'क्या सावन ऐसे ही गुजरेगा ?'
ग्रामीणों ने कहा कि हर साल की यही समस्या है. क्या हमारा सावन ऐसे ही गुजरेगा? क्या हम ऐसे ही जिएं ? आप ही बताएं हम करें तो क्या करें ? सीएम या पीएम के पास जाएं ? मुखिया से जिन लोगों की पहचान है उन्हीं को राशन मिलता है. उसपर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

ये हैं हालात

बिहार में बाढ़ का कहर...
बिहार सरकार सदन में बाढ़ पीड़ितों तक हर संभव मदद पहुंचाने का दावा कर रही है. लेकिन प्रदेश के कई ग्रामीण इलाके ऐसे हैं, जहां सरकारी उदासीनता के कारण पीड़ितों को मदद नहीं मिल पा रही है. इसकी वजह से बाढ़ पीड़ितों की शिकायत और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.

Flood in many villages of Darbhanga
बच्चों की सुरक्षा के लिए लगाया जाल

राहत शिविर के आंकड़े तो ऐसे हैं.
प्रदेश में अब तक 12 जिलों के 78 प्रखंडों की 555 ग्राम पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिनमें अधिकांश ग्राम पंचायतें पूर्णरूप से जलमग्न हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए 199 राहत शिविरों में 1.16 लाख लोग शरण लिए हुए हैं.

दरभंगा: बिहार के 12 जिलों में आयी जल प्रलय से आम जनजीवन तहस नहस हो गया है. वहीं, दरभंगा के कई गांवों में बाढ़ की वजह से लोगों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. कमर से ऊपर तक बाढ़ के पानी में रहने को लोग मजबूर हैं. ऐसे में लोगों का कहना है कि उन्हें कोई भी प्रशासनिक मदद नहीं मिली है.

जिले के ग्रामीण इलाकों में कई जगह तो ऐसी हालत है कि लोगों की गर्दन तक पानी भरा हुआ है. ऐसे में ग्रामीण रामजतन ने बताया कि करीब एक सप्ताह से बाढ़ का पानी घर में घुसा हुआ है. खाने-पीने को लेकर खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. पानी में घर का सारा समान बह गया. रेलवे पटरी पर रहने को मजबूर हैं. हमने खुद ही चचरी का पुल बनाया है. किसी भी प्रकार की प्रशासनिक मदद नहीं मिली है.

Flood in many villages of Darbhanga
महिलाओं ने सुनाई दास्तां

दो-तीन दिनों तक भूखे रहे- ग्रामीण
वहीं, रुद्र ने बताया कि कोई मुखिया या सरकार गांव में हमारी इस हालत को देखने के लिए नहीं आया. हम दो-तीन दिन तक भूखे रहे हैं. बच्चों के लिए हम दुकान से उधार ला रहे हैं. संजीत ने बताया कि जनप्रतिनिधि बोल चुके हैं कि बांध और सड़क बनेगी लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है.

'चूल्हा हो तो बनाएं खाना'
गांव की महिलाओं से जब पूछा गया कि कैसे खाना बनता है, तो उन्होंने कहा कि बाढ़ में सबकुछ बह गया है. चूल्हा हो तो खाना बनेगा. यहां तो चूल्हा है ही नहीं. आक्रोशित महिलाओं ने कहा कि बार-बार एक ही चीज सुनकर-सुनकर थक गए हैं कि पुल बनेगा और सड़क बनेगी. लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ. सरकार को हमने वोट दिया है. हमारा जो हक है वो हमें दिया जाए.

Flood in many villages of Darbhanga
खुद बनाया चचरी पुल

'क्या सावन ऐसे ही गुजरेगा ?'
ग्रामीणों ने कहा कि हर साल की यही समस्या है. क्या हमारा सावन ऐसे ही गुजरेगा? क्या हम ऐसे ही जिएं ? आप ही बताएं हम करें तो क्या करें ? सीएम या पीएम के पास जाएं ? मुखिया से जिन लोगों की पहचान है उन्हीं को राशन मिलता है. उसपर भी कार्रवाई होनी चाहिए.

ये हैं हालात

बिहार में बाढ़ का कहर...
बिहार सरकार सदन में बाढ़ पीड़ितों तक हर संभव मदद पहुंचाने का दावा कर रही है. लेकिन प्रदेश के कई ग्रामीण इलाके ऐसे हैं, जहां सरकारी उदासीनता के कारण पीड़ितों को मदद नहीं मिल पा रही है. इसकी वजह से बाढ़ पीड़ितों की शिकायत और जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रहे हैं.

Flood in many villages of Darbhanga
बच्चों की सुरक्षा के लिए लगाया जाल

राहत शिविर के आंकड़े तो ऐसे हैं.
प्रदेश में अब तक 12 जिलों के 78 प्रखंडों की 555 ग्राम पंचायतों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिनमें अधिकांश ग्राम पंचायतें पूर्णरूप से जलमग्न हैं. आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए बनाए गए 199 राहत शिविरों में 1.16 लाख लोग शरण लिए हुए हैं.

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