रांची/दरभंगा : बसंत पंचमी के अवसर पर देवी सरस्वती की पूजा बड़े ही भक्ति भाव से की जा रही है. ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की पूजा के बाद राजधानी रांची के कई स्थानों पर भजन कार्यक्रम भी आयोजित हुआ. अरगोड़ा स्थित डिबडीह साईं विहार परिसर में राष्ट्रीय स्तर के ख्यातिप्राप्त लोकगीत गायक आदर्श मिश्रा ने भजन गाकर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. लोकगीत गायकी में अपनी खास पहचान बनाने वाले आदर्श मिश्रा हरिहरपुर घराने से हैं. शास्त्रीय संगीत से लेकर गजल गायकी में उन्होंने खास पहचान बनाई है.
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पद्म विभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्रा के परिवार से उनके संगीत परंपरा को आगे बढाने में लगे आदर्श मिश्रा मूलरूप से दरभंगा के रहनेवाले हैं. आदर्श मिश्रा का पसंदीदा भजन भगवान राम और हनुमान जी का है, जिसे वे खास अंदाज में गाते हैं. यही वजह रही कि सरस्वती पूजा के मौके पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान भी वे खुद को श्रीराम के भजन गाने से नहीं रोक पाए.
आदर्श मिश्रा भारत सरकार से राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल पा चुके हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से भी ये सम्मानित हो चुके हैं. इनके द्वारा सरस्वती पूजा के मौके पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में दी गई प्रस्तुति के दौरान झारखंड विधानसभा के संयुक्त सचिव मिथिलेश मिश्र सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
राजधानी में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रही धूम: सरस्वती पूजा के अवसर पर राजधानी रांची में स्कूल कॉलेज से लेकर विभिन्न चौक चौराहों और मुहल्लों में करीब ढाई सौ पूजा पंडाल बनाए गए हैं. इन पूजा पंडालों में विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ की गयी. पारंपरिक विधि विधान के साथ पूजा अर्चना के बाद कहीं फिल्मी गीत बजते रहे तो कहीं गीत संगीत का कार्यक्रम आयोजित किया गया. हालांकि, तेज आवाज में लाउडस्पीकर और डीजे बजाने पर सरकार की सख्ती का असर इस बार जरूर दिखा, लेकिन कुछ स्थानों में पूजा पंडालों में फिल्मी गीतों जमकर डांस करते छोटे छोटे बच्चे और युवा जरूर देखे गए. पूजा समितियों के द्वारा आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए और एक दूसरे को गणतंत्र दिवस के साथ-साथ बसंत पंचमी की शुभकामना भी देते दिखे. इस दौरान लोगों ने एक दूसरे को अबीर लगाकर बसंत उत्सव मनाया.