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दरभंगा: सदियों पुरानी परंपरा की होगी शुरुआत, राष्ट्रीय शास्त्रार्थ प्रतियोगिता में देश भर से आएंगे छात्र

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Published : Oct 4, 2019, 11:28 PM IST

संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि इस प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य बिहार के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर का ज्ञान देना है.

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दरभंगाः कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय भारत की प्राचीन शास्त्रार्थ की परंपरा को पुनर्जीवित कर रहा है. विवि ने इसके लिए कॉलेज स्तर पर पहले से प्रयास शुरू कर दिया है. यहां राष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रार्थ की प्रतियोगिता के आयोजन की तैयारी चल रही है. इस प्रतियोगिता में देश भर के संस्कृत विवि और संस्थानों के चुने हुए छात्र भाग लेंगे.

कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा

संस्कृत विवि में प्रतियोगिता का आयोजन
संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि इस प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य बिहार के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर का ज्ञान देना है. देश-दुनिया में संस्कृत की स्थिति क्या है और उसके मुकाबले बिहार में संस्कृत पढ़ने वाले छात्र किस पायदान पर हैं, इस आयोजन से पता चल जाएगा. उन्होंने कहा कि शास्त्रार्थ में न सिर्फ वाद-विवाद बल्कि गायन और काव्य का भी समावेश होगा.

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कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा

मिथिला में शास्त्रार्थ की परंपरा सदियों पुरानी
बता दें कि मिथिला में शास्त्रार्थ की परंपरा सदियों पुरानी है. यहां सातवीं सदी में दक्षिण से आदि शंकराचार्य शास्त्रार्थ के लिए आये थे. प्राचीन काल की यह उत्कृष्ट परंपरा अब लुप्त हो गई है. उम्मीद है कि संस्कृत विवि के इस प्रयास से बिहार में संस्कृत के गौरवशाली दिन वापस लौट आएंगे.

दरभंगाः कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय भारत की प्राचीन शास्त्रार्थ की परंपरा को पुनर्जीवित कर रहा है. विवि ने इसके लिए कॉलेज स्तर पर पहले से प्रयास शुरू कर दिया है. यहां राष्ट्रीय स्तर पर शास्त्रार्थ की प्रतियोगिता के आयोजन की तैयारी चल रही है. इस प्रतियोगिता में देश भर के संस्कृत विवि और संस्थानों के चुने हुए छात्र भाग लेंगे.

कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा

संस्कृत विवि में प्रतियोगिता का आयोजन
संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि इस प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य बिहार के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर का ज्ञान देना है. देश-दुनिया में संस्कृत की स्थिति क्या है और उसके मुकाबले बिहार में संस्कृत पढ़ने वाले छात्र किस पायदान पर हैं, इस आयोजन से पता चल जाएगा. उन्होंने कहा कि शास्त्रार्थ में न सिर्फ वाद-विवाद बल्कि गायन और काव्य का भी समावेश होगा.

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कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा

मिथिला में शास्त्रार्थ की परंपरा सदियों पुरानी
बता दें कि मिथिला में शास्त्रार्थ की परंपरा सदियों पुरानी है. यहां सातवीं सदी में दक्षिण से आदि शंकराचार्य शास्त्रार्थ के लिए आये थे. प्राचीन काल की यह उत्कृष्ट परंपरा अब लुप्त हो गई है. उम्मीद है कि संस्कृत विवि के इस प्रयास से बिहार में संस्कृत के गौरवशाली दिन वापस लौट आएंगे.

Intro:दरभंगा। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि भारत की प्राचीन शास्त्रार्थ की परंपरा को पुनर्जीवित कर रहा है। विवि ने इसके लिए कॉलेज स्तर पर पहले से प्रयास शुरू कर दिया है। अब यहां राष्ट्रीय स्तर की शास्त्रार्थ की प्रतियोगिता के आयोजन की तैयारी चल रही है। इस प्रतियोगिता में देश भर के संस्कृत विवि और संस्थानों के चुने हुए छात्र भाग लेंगे।


Body:संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने बताया कि इस प्रतियोगिता के आयोजन का उद्देश्य बिहार के छात्रों को राष्ट्रीय स्तर का ज्ञान देना है। देश-दुनिया में संस्कृत की स्थिति क्या है और उसके मुकाबले बिहार में संस्कृत पढ़ने वाले छात्र किस पायदान पर हैं, इस आयोजन से यह पता चलेगा। उन्होंने कहा कि शास्त्रार्थ में न सिर्फ वाद-विवाद बल्कि गायन और काव्य का भी समावेश होगा।


Conclusion:वता दें कि मिथिला में शास्त्रार्थ की परंपरा सदियों पुरानी है। यहां सातवीं सदी में दक्षिण से आदि शंकराचार्य शास्त्रार्थ के लिए आये थे। कहा जाता है कि वे मिथिला के मंडन मिश्र की विदुषी धर्मपत्नी भारती से शास्त्रार्थ में पराजित हो गए थे। प्राचीन काल की यह उत्कृष्ट परंपरा अब लुप्तप्राय है। उम्मीद की जानी चाहिए कि संस्कृत विवि के इस प्रयास से बिहार में संस्कृत के गौरवशाली दिन वापस लौटेंगे।

बाइट 1- प्रो. सर्व नारायण झा, कुलपति, केएसडीएसयू.

विजय कुमार श्रीवास्तव
ई टीवी भारत
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