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मिथिलांचल के मखाना को मिला GI टैग.. बिहार के नाम एक और तमगा

बिहार के मिथिला मखाना को जीआई टैग मिल गया है. Union Minister Piyush Goyal ने इसकी जानकारी अपने ट्विटर हैंडल के माध्यम से दी है. पढ़ें पूरी खबर.

मखाना को मिला जीआई टैग
मखाना को मिला जीआई टैग
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Published : Aug 21, 2022, 7:56 AM IST

पटनाः बिहार का मिथिलांचल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस बार मिथिला मखान यानी की मखाना को केंद्र सरकार ने जीआई टैग से नवाजा है. वैसे मिथिला की पहचान (identity of mithila) कई नामों से है, लेकिन इनमें से मखाना का अपना एक अलग स्थान है. विद्यापति की धरती मिथिलांचल के लोग लंबे समय से मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से करने की मांग कर रहे थे. मखाना को ‘मिथिला मखाना’ के नाम से ही जीआई टैग मिला है. भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना.

ये भी पढ़ेंः मखाना को सम्मान: PM मोदी ने मखाना उत्पादन के लिए दरभंगा के DM राजीव रौशन को किया पुरस्कृत

लंबे संघर्ष के बाद मिला जीआई टैगः लंबे समय से मिथिला के लोग मखाना की जीआई की मांग कर रहे थे. बीच में बिहार मखाना के नाम के प्रस्ताव पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई थी. दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर ने मंत्री से मिलकर इस मामले पर बात की थी. इसके बाद लंबा संघर्ष चला. शनिवार को जब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मिथिला मखाना से जीआई टैग मिलने की सूचना दी तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. सांसद ने इसके लिए मंत्री का आभार जताया है.

मखाना किसानों को मिलेगी मजबूतीः केंद्र सरकार ने बिहार का मिथिला मखाना (Mithila Makhana of Bihar) को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (Geographical Indication Tag) दे दिया है. इससे मखाना उत्पादकों को अब उनके उत्पाद का और भी बेहतर दाम मिल पाएगा. बता दें कि मिथिला का मखाना किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ रोजगार उपलब्ध करा रहा है.मिथिला का मखाना अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए प्रख्यात है. भारत के 90% मखानों का उत्पादन यहीं से होता है. देश से लेकर विदेश तक के बाजार में इसकी मांग है. इसकी प्रोसेसिंग और विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने के लिए कई औद्योगिक इकाइयां लगी हैं.

क्या है जीआई टैग और कैसे मिलता है?: जीआई टैग से पहले किसी भी सामान की गुणवत्ता, उसकी क्‍वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है. यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और वास्तविक पैदावार निर्धारित राज्य की ही है.इसके साथ ही यह भी तय किए जाना जरूरी होता है कि भौगोलिक स्थिति का उसके उत्‍पादन में कितना योगदान है. बता दें कि, वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के मुताबिक जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है जिसमें किसी प्रॉडक्‍ट को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है. ये टैग किसी खास भौगोलिक परिस्थिति में पाई जाने वाली या फिर तैयार की जाने वाली वस्तुओं के दूसरे स्थानों पर गैर-कानूनी प्रयोग को रोकना है. भारत में वाणिज्‍य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्‍ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की तरफ से जीआई टैग दिया जाता है.

ये भी पढ़ेंः 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' प्रोजेक्ट: मखाना उत्पादन में दरभंगा को मिलेगा प्रधानमंत्री अवार्ड

पटनाः बिहार का मिथिलांचल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इस बार मिथिला मखान यानी की मखाना को केंद्र सरकार ने जीआई टैग से नवाजा है. वैसे मिथिला की पहचान (identity of mithila) कई नामों से है, लेकिन इनमें से मखाना का अपना एक अलग स्थान है. विद्यापति की धरती मिथिलांचल के लोग लंबे समय से मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला मखाना के नाम से करने की मांग कर रहे थे. मखाना को ‘मिथिला मखाना’ के नाम से ही जीआई टैग मिला है. भारत सरकार के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, 'जीआई टैग से पंजीकृत हुआ मिथिला मखाना, किसानों को मिलेगा लाभ और आसान होगा कमाना.

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लंबे संघर्ष के बाद मिला जीआई टैगः लंबे समय से मिथिला के लोग मखाना की जीआई की मांग कर रहे थे. बीच में बिहार मखाना के नाम के प्रस्ताव पर लोगों ने कड़ी आपत्ति जताई थी. दरभंगा के सांसद गोपालजी ठाकुर ने मंत्री से मिलकर इस मामले पर बात की थी. इसके बाद लंबा संघर्ष चला. शनिवार को जब केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने मिथिला मखाना से जीआई टैग मिलने की सूचना दी तो लोगों में खुशी की लहर दौड़ गई. सांसद ने इसके लिए मंत्री का आभार जताया है.

मखाना किसानों को मिलेगी मजबूतीः केंद्र सरकार ने बिहार का मिथिला मखाना (Mithila Makhana of Bihar) को जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग (Geographical Indication Tag) दे दिया है. इससे मखाना उत्पादकों को अब उनके उत्पाद का और भी बेहतर दाम मिल पाएगा. बता दें कि मिथिला का मखाना किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के साथ रोजगार उपलब्ध करा रहा है.मिथिला का मखाना अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से उगाए जाने के लिए प्रख्यात है. भारत के 90% मखानों का उत्पादन यहीं से होता है. देश से लेकर विदेश तक के बाजार में इसकी मांग है. इसकी प्रोसेसिंग और विभिन्न तरह के उत्पाद बनाने के लिए कई औद्योगिक इकाइयां लगी हैं.

क्या है जीआई टैग और कैसे मिलता है?: जीआई टैग से पहले किसी भी सामान की गुणवत्ता, उसकी क्‍वालिटी और पैदावार की अच्छे से जांच की जाती है. यह तय किया जाता है कि उस खास वस्तु की सबसे अधिक और वास्तविक पैदावार निर्धारित राज्य की ही है.इसके साथ ही यह भी तय किए जाना जरूरी होता है कि भौगोलिक स्थिति का उसके उत्‍पादन में कितना योगदान है. बता दें कि, वर्ल्‍ड इंटलैक्‍चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (WIPO) के मुताबिक जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का लेबल होता है जिसमें किसी प्रॉडक्‍ट को विशेष भौगोलि‍क पहचान दी जाती है. ये टैग किसी खास भौगोलिक परिस्थिति में पाई जाने वाली या फिर तैयार की जाने वाली वस्तुओं के दूसरे स्थानों पर गैर-कानूनी प्रयोग को रोकना है. भारत में वाणिज्‍य मंत्रालय के तहत आने वाले डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्‍ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड की तरफ से जीआई टैग दिया जाता है.

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