दरभंगा: राज्य में बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच स्कूल-कॉलेजों में किसी भी तरह की शैक्षणिक गतिविधियां शुरू किए जाने और प्रवेश परीक्षाएं लेने को बवाल मचा हुआ है. इसको लेकर विपक्षी दल लगातार केंद्र और बिहार सरकार पर हमलावर हैं. जाप संरक्षक पप्पू यादव के बाद अब दरभंगा के पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने इसको लेकर बिहार और केंद्र सरकार की आलोचना की है.
कीर्ति आजाद ने बिहार में पंचायतों में हाई स्कूलों के उद्घाटन के मौके पर स्कूलों में छात्रों को बुलाए जाने को गलत बताया है. कीर्ति आजाद ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि मुख्यमंत्री का पद राजा का नहीं बल्कि सेवक का है. कोविड 19 को देखते हुए केंद्र सरकार के निर्देशों के विपरीत इस लॉकडाउन में 9वीं के छात्र-छात्राओं को स्कूल बुलाया जाना सरासर अन्याय है. उन्होंने केंद्र सरकार से सभी तरह की मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षाएं रद्द करने की मांग की है.
'जनता को मुसीबत में डाल रही सरकार'
कीर्ति आजाद ने कहा कि मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और आपदा प्रबंधन मंत्री समेत राज्य सरकार के सभी मंत्री जनता की समस्याओं को बढ़ा रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेता कोरोना काल में घर से निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं, लेकिन उत्क्रमित हाई स्कूलों के उद्घाटन के मौके पर गरीबों के बच्चों स्कूल बुला लिया जाता है. उन्होंने कहा कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था का हाल तो यहां के अभिभावक बता सकते हैं.
औपचारिकताएं पूरी कर रही नीतीश सरकार
पूर्व सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि कोरोना की भ्रामक जांच कर औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. उन्होंने मांग की कि मेडिकल और इंजीनियरिंग की सितंबर में प्रस्तावित परीक्षाएं तत्काल स्थगित की जानी चाहिए. छात्र-छात्राओं की जान से खिलवाड़ करने वाले को जनता समय आने पर सबक सिखाने से नहीं चूकेगी. उन्होंने कहा कि कोरोना की वैक्सीन आने के बाद ही परीक्षा आयोजन पर विचार होना चाहिए. अभी संक्रमण का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. लेकिन सरकार को छात्र-छात्राओं के जान की परवाह नहीं है.