दरभंगा: कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि में शास्त्रार्थ का आयोजन किया गया है. मिथिला में करीब सात सौ साल पुरानी आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र की शास्त्रार्थ परंपरा को जीवित किया गया है. विवि में संस्कृत सप्ताह के अवसर पर जयपुर से आये विद्वान श्रीधर मिश्र और राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के प्रियव्रत मिश्र के बीच पाणिनी के व्याकरण पर शास्त्रार्थ हुआ. जिसे देखने के लिये नगर विधायक संजय सरावगी समेत कई गणमान्य लोग पहुंचे थे. विवि में संस्कृत सप्ताह 22 अगस्त तक चलेगी.
'आत्मा' विषय पर शास्त्रार्थ का आयोजन
विवि के कुलपति प्रो. सर्व नारायण झा ने कहा कि मिथिला में शास्त्रार्थ की परंपरा प्राचीन काल से ही है. अब यह लुप्त होती जा रही है. इसे पुनर्जीवित करने के लिए विवि ने कई कदम उठाए है. हाल ही में बिहार के राजभवन में देश भर के संस्कृत के विद्वानों को आमंत्रित कर शास्त्रार्थ का आयोजन किया गया था. प्रो. झा ने बताया कि रविवार को विवि में 'आत्मा' विषय पर होने वाले शास्त्रार्थ को देखने के लिए पटना हाइकोर्ट के तीन न्यायाधीश विवि आ रहे है.
संयुक्त बिहार का एकमात्र संस्कृत विवि
बता दें कि कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि की स्थापना महाराजा कामेश्वर सिंह ने की थी. यह संयुक्त बिहार का एकमात्र संस्कृत विवि रहा है. यहां पीजी और पीएचडी स्तर की संस्कृत के विभिन्न विषयों की पढ़ाई निःशुल्क कराई जाती है. शास्त्रार्थ की परंपरा को खत्म होते देख और संस्कृत की लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए विवि ने शास्त्रार्थ का आयोजन किया गया है.