दरभंगा: बहादुरपुर थाना क्षेत्र के गोढ़िया गांव का कैलाश मुखिया इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल 19 साल पहले लापता हुए कैलाश की पंजाब के लुधियाना से बड़े ही नाटकीय ढंग से अपने घर वापसी हुई है. कैलाश को उसके भतीजे ने लुधियाना के एक ढ़ाबे में तब पहचाना जब वह ढाबे में खाने के लिए भीख मांगते हुए पहुंचा था. संयोग से वहीं पर काम कर रहे अपने ही भतीजे सियाराम मुखिया से खाने के लिए रोटी मांग रहा था. पहले तो भतीजे ने बिना उसकी तरफ देखे उसे टालने की कोशिश की लेकिन जब कैलाश मुखिया बार-बार आग्रह करता रहा तो उसने नजर उठा कर देखा और देखता ही रह गया. जिस शख्स को वह भिखारी समझकर डांट-फटकार कर भगा रहा था वह उसका 19 साल से बिछड़ा हुआ चाचा निकला.
कैलाश मुखिया की मानसिक स्थिति खराब होने की वजह से वो अपने भतीजे को पहचान नहीं सका. भतीजे ने तरकीब लगाकर उसे अपने ढाबे में ही रोके रखा. इसी दौरान उसने फोन करके कैलाश के बेटे को सारी बात बताई. जो पास के ही एक दूसरे ढाबे में काम करता था. आखिरकार बेटे और भतीजे ने मिलकर कैलाश को घर लाने की व्यवस्था की कैलाश मुखिया अपने गांव गोढ़िया लौट आया. उसके लौटने के बाद न सिर्फ घर-परिवार बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है. बल्कि पूरे दरभंगा में यह घटना चर्चा का विषय बना हुआ है.
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19 साल पहले काम करने घर से दरभंगा गए फिर लौटे ही नहीं
कैलाश की पत्नी रंजन देवी ने बताया कि उनके पति 19 साल पहले घर से काम करने के लिए दरभंगा शहर गए थे. और वहीं से लापता हो गए थे. सभी लोगों ने कैलाश को खोजने की काफी कोशिश की. शहर दर शहर भटकते रहे. लेकिन वो नहीं मिले. उसके बाद दो बेटियों और एक बेटे को पाल पोस कर बड़ा किया. और तीनों की शादी भी की. पति के घर आने पर रंजन देवी कहती हैं कि उनके खुशी का ठिकाना ही नहीं है. यह किसी सपने के सच होने जैसा है.
'मुझे बस इतना याद है पापा मुझे कंधे पर बिठाकर घुमाते थे'
कैलाश के बेटे लालू मुखिया ने कहा कि, 'मैं बहुत छोटा था तब उसके पापा घर से लापता हो गए थे. मुझे इतना याद है कि पिता कंधे पर बिठाकर खिलाते थे और घुमाते थे'. उसने कहा कि पिता का हल्का से चेहरा उसे याद आता है. उसने कहा कि उसके चचेरे भाई ने लुधियाना के एक ढाबे में रोटी मांगने पहुंचे उसने मेरे पिता को पहचान लिया. उसने बताया कि वह भी पास ही के दूसरे ढाबे में काम करता था. चचेरे भाई ने उसको बुलाया और पिता से उसकी भेंट कराई. तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने कहा कि पिता के लौट आने की उन लोगों को बहुत खुशी हो रही है.
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मुझे तो याद भी नहीं कि कितने साल पहले गायब हुआ था कैलाश
वहीं, कैलाश की मां नन्हकी देवी ने कहा कि उनका बेटा वापस आ गया है तो उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि उनको तो याद भी नहीं है कि कितने साल पहले उनका बेटा उन्हें छोड़कर चला गया था. बेटे के जाने के दुख में उस समय को भूल चुकी हैं. उन्होंने कहा कि उनका पोता जब बेहद छोटा था तो बेटा कैलाश परिवार को छोड़कर लापता हो गया था.
मानसिक हालत का ठीक नहीं, फिर भी नहीं भूला दूध का कर्ज
उधर लुधियाना से लौटे कैलाश की मानसिक स्थिति अब भी ठीक नहीं है. उसे यह भी ज्ञान नहीं है कि वह अपने घर-परिवार में और गांव में लौट कर आया है. बहुत कुरेदने पर ब-मुश्किल से उसने बताया कि वह कूड़ा-कचरा चुनकर अपना पेट पालता था और कहीं पार्क में सो जाता था. हालांकि कैलाश ने बगल में बैठी अपनी बूढ़ी मां को देखकर यह जरूर कहा कि ये उसकी मां है.