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जिसे उंगली पकड़कर चलना सिखाया, 19 साल बाद वही हाथ पकड़कर घर लाया - Missing Kailash returned home from Godiya village

घर से काम की तलाश में दरभंगा निकला कैलाश जब वापस घर लौटा तो पूरे 19 साल बीत चुके थे. इस दौरान उसने और उसके घर वालों न जाने कितना कुछ खोया. न तो वह अपने दोनों बेटियों का कन्यादान कर पाया न ही वह अपने बेटे के सिर सेहरा सजता देख पाया. लेकिन जब वह घर लौटा तो बहुत खुशी और थोड़ा सा गम लेकर. अब भी उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं है. वो सबकुछ भूल चुका है लेकिन उसे अपनी जन्मभूमि, मां और भाई ही याद हैं.

कैलाश लौटा दरभंगा
कैलाश लौटा दरभंगा
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Published : Jan 21, 2021, 8:06 AM IST

Updated : Jan 21, 2021, 8:21 PM IST

दरभंगा: बहादुरपुर थाना क्षेत्र के गोढ़िया गांव का कैलाश मुखिया इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल 19 साल पहले लापता हुए कैलाश की पंजाब के लुधियाना से बड़े ही नाटकीय ढंग से अपने घर वापसी हुई है. कैलाश को उसके भतीजे ने लुधियाना के एक ढ़ाबे में तब पहचाना जब वह ढाबे में खाने के लिए भीख मांगते हुए पहुंचा था. संयोग से वहीं पर काम कर रहे अपने ही भतीजे सियाराम मुखिया से खाने के लिए रोटी मांग रहा था. पहले तो भतीजे ने बिना उसकी तरफ देखे उसे टालने की कोशिश की लेकिन जब कैलाश मुखिया बार-बार आग्रह करता रहा तो उसने नजर उठा कर देखा और देखता ही रह गया. जिस शख्स को वह भिखारी समझकर डांट-फटकार कर भगा रहा था वह उसका 19 साल से बिछड़ा हुआ चाचा निकला.

कैलाश मुखिया की मानसिक स्थिति खराब होने की वजह से वो अपने भतीजे को पहचान नहीं सका. भतीजे ने तरकीब लगाकर उसे अपने ढाबे में ही रोके रखा. इसी दौरान उसने फोन करके कैलाश के बेटे को सारी बात बताई. जो पास के ही एक दूसरे ढाबे में काम करता था. आखिरकार बेटे और भतीजे ने मिलकर कैलाश को घर लाने की व्यवस्था की कैलाश मुखिया अपने गांव गोढ़िया लौट आया. उसके लौटने के बाद न सिर्फ घर-परिवार बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है. बल्कि पूरे दरभंगा में यह घटना चर्चा का विषय बना हुआ है.

देखें रिपोर्ट

यह भी पढ़ें: दरभंगा महाराज रामेश्वर सिंह की 161वीं जयंती मनाई गई, 1101 दीप जला कर दी गई श्रद्धांजलि

19 साल पहले काम करने घर से दरभंगा गए फिर लौटे ही नहीं
कैलाश की पत्नी रंजन देवी ने बताया कि उनके पति 19 साल पहले घर से काम करने के लिए दरभंगा शहर गए थे. और वहीं से लापता हो गए थे. सभी लोगों ने कैलाश को खोजने की काफी कोशिश की. शहर दर शहर भटकते रहे. लेकिन वो नहीं मिले. उसके बाद दो बेटियों और एक बेटे को पाल पोस कर बड़ा किया. और तीनों की शादी भी की. पति के घर आने पर रंजन देवी कहती हैं कि उनके खुशी का ठिकाना ही नहीं है. यह किसी सपने के सच होने जैसा है.

दरभंगा
कैलाश का गांव, गोढ़िया

'मुझे बस इतना याद है पापा मुझे कंधे पर बिठाकर घुमाते थे'
कैलाश के बेटे लालू मुखिया ने कहा कि, 'मैं बहुत छोटा था तब उसके पापा घर से लापता हो गए थे. मुझे इतना याद है कि पिता कंधे पर बिठाकर खिलाते थे और घुमाते थे'. उसने कहा कि पिता का हल्का से चेहरा उसे याद आता है. उसने कहा कि उसके चचेरे भाई ने लुधियाना के एक ढाबे में रोटी मांगने पहुंचे उसने मेरे पिता को पहचान लिया. उसने बताया कि वह भी पास ही के दूसरे ढाबे में काम करता था. चचेरे भाई ने उसको बुलाया और पिता से उसकी भेंट कराई. तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने कहा कि पिता के लौट आने की उन लोगों को बहुत खुशी हो रही है.

दरभंगा
परिवार संग कैलाश

यह भी पढ़ें: बदहाल कामेश्वरी प्रिया पुअर होम की बदलेगी तस्वीर, राज्य सरकार ने कायाकल्प की बनाई योजना

मुझे तो याद भी नहीं कि कितने साल पहले गायब हुआ था कैलाश
वहीं, कैलाश की मां नन्हकी देवी ने कहा कि उनका बेटा वापस आ गया है तो उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि उनको तो याद भी नहीं है कि कितने साल पहले उनका बेटा उन्हें छोड़कर चला गया था. बेटे के जाने के दुख में उस समय को भूल चुकी हैं. उन्होंने कहा कि उनका पोता जब बेहद छोटा था तो बेटा कैलाश परिवार को छोड़कर लापता हो गया था.

मानसिक हालत का ठीक नहीं, फिर भी नहीं भूला दूध का कर्ज
उधर लुधियाना से लौटे कैलाश की मानसिक स्थिति अब भी ठीक नहीं है. उसे यह भी ज्ञान नहीं है कि वह अपने घर-परिवार में और गांव में लौट कर आया है. बहुत कुरेदने पर ब-मुश्किल से उसने बताया कि वह कूड़ा-कचरा चुनकर अपना पेट पालता था और कहीं पार्क में सो जाता था. हालांकि कैलाश ने बगल में बैठी अपनी बूढ़ी मां को देखकर यह जरूर कहा कि ये उसकी मां है.

दरभंगा: बहादुरपुर थाना क्षेत्र के गोढ़िया गांव का कैलाश मुखिया इन दिनों पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल 19 साल पहले लापता हुए कैलाश की पंजाब के लुधियाना से बड़े ही नाटकीय ढंग से अपने घर वापसी हुई है. कैलाश को उसके भतीजे ने लुधियाना के एक ढ़ाबे में तब पहचाना जब वह ढाबे में खाने के लिए भीख मांगते हुए पहुंचा था. संयोग से वहीं पर काम कर रहे अपने ही भतीजे सियाराम मुखिया से खाने के लिए रोटी मांग रहा था. पहले तो भतीजे ने बिना उसकी तरफ देखे उसे टालने की कोशिश की लेकिन जब कैलाश मुखिया बार-बार आग्रह करता रहा तो उसने नजर उठा कर देखा और देखता ही रह गया. जिस शख्स को वह भिखारी समझकर डांट-फटकार कर भगा रहा था वह उसका 19 साल से बिछड़ा हुआ चाचा निकला.

कैलाश मुखिया की मानसिक स्थिति खराब होने की वजह से वो अपने भतीजे को पहचान नहीं सका. भतीजे ने तरकीब लगाकर उसे अपने ढाबे में ही रोके रखा. इसी दौरान उसने फोन करके कैलाश के बेटे को सारी बात बताई. जो पास के ही एक दूसरे ढाबे में काम करता था. आखिरकार बेटे और भतीजे ने मिलकर कैलाश को घर लाने की व्यवस्था की कैलाश मुखिया अपने गांव गोढ़िया लौट आया. उसके लौटने के बाद न सिर्फ घर-परिवार बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है. बल्कि पूरे दरभंगा में यह घटना चर्चा का विषय बना हुआ है.

देखें रिपोर्ट

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19 साल पहले काम करने घर से दरभंगा गए फिर लौटे ही नहीं
कैलाश की पत्नी रंजन देवी ने बताया कि उनके पति 19 साल पहले घर से काम करने के लिए दरभंगा शहर गए थे. और वहीं से लापता हो गए थे. सभी लोगों ने कैलाश को खोजने की काफी कोशिश की. शहर दर शहर भटकते रहे. लेकिन वो नहीं मिले. उसके बाद दो बेटियों और एक बेटे को पाल पोस कर बड़ा किया. और तीनों की शादी भी की. पति के घर आने पर रंजन देवी कहती हैं कि उनके खुशी का ठिकाना ही नहीं है. यह किसी सपने के सच होने जैसा है.

दरभंगा
कैलाश का गांव, गोढ़िया

'मुझे बस इतना याद है पापा मुझे कंधे पर बिठाकर घुमाते थे'
कैलाश के बेटे लालू मुखिया ने कहा कि, 'मैं बहुत छोटा था तब उसके पापा घर से लापता हो गए थे. मुझे इतना याद है कि पिता कंधे पर बिठाकर खिलाते थे और घुमाते थे'. उसने कहा कि पिता का हल्का से चेहरा उसे याद आता है. उसने कहा कि उसके चचेरे भाई ने लुधियाना के एक ढाबे में रोटी मांगने पहुंचे उसने मेरे पिता को पहचान लिया. उसने बताया कि वह भी पास ही के दूसरे ढाबे में काम करता था. चचेरे भाई ने उसको बुलाया और पिता से उसकी भेंट कराई. तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने कहा कि पिता के लौट आने की उन लोगों को बहुत खुशी हो रही है.

दरभंगा
परिवार संग कैलाश

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मुझे तो याद भी नहीं कि कितने साल पहले गायब हुआ था कैलाश
वहीं, कैलाश की मां नन्हकी देवी ने कहा कि उनका बेटा वापस आ गया है तो उन्हें बेहद खुशी हो रही है. उन्होंने कहा कि उनको तो याद भी नहीं है कि कितने साल पहले उनका बेटा उन्हें छोड़कर चला गया था. बेटे के जाने के दुख में उस समय को भूल चुकी हैं. उन्होंने कहा कि उनका पोता जब बेहद छोटा था तो बेटा कैलाश परिवार को छोड़कर लापता हो गया था.

मानसिक हालत का ठीक नहीं, फिर भी नहीं भूला दूध का कर्ज
उधर लुधियाना से लौटे कैलाश की मानसिक स्थिति अब भी ठीक नहीं है. उसे यह भी ज्ञान नहीं है कि वह अपने घर-परिवार में और गांव में लौट कर आया है. बहुत कुरेदने पर ब-मुश्किल से उसने बताया कि वह कूड़ा-कचरा चुनकर अपना पेट पालता था और कहीं पार्क में सो जाता था. हालांकि कैलाश ने बगल में बैठी अपनी बूढ़ी मां को देखकर यह जरूर कहा कि ये उसकी मां है.

Last Updated : Jan 21, 2021, 8:21 PM IST
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