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बाढ़ के कारण टापू में तब्दील हुए कई गांव, लोगों को राहत का बेसब्री से इंतजार - दरभंगा

कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड में बाढ़ से लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं. लेकिन सिर्फ एक ही स्थान मध्य विद्यालय बर्निया पर पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है.

बाढ़
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Published : Jul 17, 2019, 9:25 AM IST

दरभंगाः नेपाल में तेज बारिश के कारण कमला और कोसी नदी में आए उफान ने कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. एक सप्ताह से लोग बाढ़ का दंश झेल रहे हैं और स्थानीय प्रशासन सिर्फ बैठक ही कर रहा है. कमला-कोसी के पश्चिमी तटबंध और पूर्वी तटबंध के गर्भ में बसे इटहर पंचायत के चौकिया, बिसुनिया, लक्ष्मीनिया, पोखर मुसहरी समेत कई गांवों के लोगों को अब तक किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है.

बाढ़ में फंसे कई गांव के लोग

दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित
दरअसल कुशेश्वरस्थान के पूर्वी प्रखंड क्षेत्र के इटहर पंचायत अंतर्गत लक्ष्मीनिया और चौकिया गांव के सैकड़ों लोग अपने गांव में ही कैद होकर रह गए हैं. पूर्वी प्रखंड में बाढ़ से लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं. लेकिन, एक ही स्थान मध्य विद्यालय बर्निया पर पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है. यहां बाढ़ पीड़ित निजी स्तर से नाव किराए पर लेकर अपना दैनिक काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए लोगों ने कहा कि हमें सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है.

school
गांव में डूबा स्कूल

पीड़ित परिवारों में गुस्सा
पीड़ित परिवारों ने कहा कि हम लोगों के लिए प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जलावन बाढ़ के पानी में बह जाने के कारण बड़ी कठिनाई से खाना बना पाते हैं. बाढ़ पीड़ित मंगल सदा ने बताया कि हम लोग बड़ी कष्टमय जिंदगी जी रहे हैं. पिछले 5 दिनों से हम लोगों का गांव टापू बना हुआ है. लेकिन अबतक इसकी सुध लेने कोई नहीं आया. इससे अच्छा होगा कि हम लोगों को जहर खिला दें, ताकि एक साथ सब परिवार मर जाएं, ताकि बार-बार ऐसे कष्ट में जिंदगी नहीं जीना पड़े.

flood
बाढ़ में फंसे लोग

बोले अधिकारी, नहीं कोई परेशानी
लोगों की परेशानी के बारे में वरीय प्रभारी नदीमूल गफ्फार सिद्क्की से बात की गई तो उनका कहना है कि गांव के लोग वहां से हटना नहीं चाहते हैं. उनका वहां मकान है, बच्चे हैं, मवेशी हैं. इसकी वजह से वह लोग इधर आना नहीं चाह रहे हैं. पंचायत के दो गांव चौकिया और लक्ष्मीनिया है. उनके लिए स्कूल में कैंप लगाएंगे. जहां सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगी. कोई परेशानी नहीं है.

दरभंगाः नेपाल में तेज बारिश के कारण कमला और कोसी नदी में आए उफान ने कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. एक सप्ताह से लोग बाढ़ का दंश झेल रहे हैं और स्थानीय प्रशासन सिर्फ बैठक ही कर रहा है. कमला-कोसी के पश्चिमी तटबंध और पूर्वी तटबंध के गर्भ में बसे इटहर पंचायत के चौकिया, बिसुनिया, लक्ष्मीनिया, पोखर मुसहरी समेत कई गांवों के लोगों को अब तक किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है.

बाढ़ में फंसे कई गांव के लोग

दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित
दरअसल कुशेश्वरस्थान के पूर्वी प्रखंड क्षेत्र के इटहर पंचायत अंतर्गत लक्ष्मीनिया और चौकिया गांव के सैकड़ों लोग अपने गांव में ही कैद होकर रह गए हैं. पूर्वी प्रखंड में बाढ़ से लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं. लेकिन, एक ही स्थान मध्य विद्यालय बर्निया पर पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है. यहां बाढ़ पीड़ित निजी स्तर से नाव किराए पर लेकर अपना दैनिक काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए लोगों ने कहा कि हमें सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है.

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गांव में डूबा स्कूल

पीड़ित परिवारों में गुस्सा
पीड़ित परिवारों ने कहा कि हम लोगों के लिए प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं की गई है. जलावन बाढ़ के पानी में बह जाने के कारण बड़ी कठिनाई से खाना बना पाते हैं. बाढ़ पीड़ित मंगल सदा ने बताया कि हम लोग बड़ी कष्टमय जिंदगी जी रहे हैं. पिछले 5 दिनों से हम लोगों का गांव टापू बना हुआ है. लेकिन अबतक इसकी सुध लेने कोई नहीं आया. इससे अच्छा होगा कि हम लोगों को जहर खिला दें, ताकि एक साथ सब परिवार मर जाएं, ताकि बार-बार ऐसे कष्ट में जिंदगी नहीं जीना पड़े.

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बाढ़ में फंसे लोग

बोले अधिकारी, नहीं कोई परेशानी
लोगों की परेशानी के बारे में वरीय प्रभारी नदीमूल गफ्फार सिद्क्की से बात की गई तो उनका कहना है कि गांव के लोग वहां से हटना नहीं चाहते हैं. उनका वहां मकान है, बच्चे हैं, मवेशी हैं. इसकी वजह से वह लोग इधर आना नहीं चाह रहे हैं. पंचायत के दो गांव चौकिया और लक्ष्मीनिया है. उनके लिए स्कूल में कैंप लगाएंगे. जहां सुविधाएं मुहैया करवाई जाएगी. कोई परेशानी नहीं है.

Intro:नेपाल के जल अधिग्रहण क्षेत्रों में तेज वर्षा होने के कारण कमला कोसी नदी के जलस्तर में आई उफान के चलते बाढ़ की राजधानी कहे जाने वाले कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। आलम यह है कि स्थानीय प्रशासन सिर्फ बैठक ही कर रही है और एक सप्ताह से लोग बाढ़ का दंश झेल रहे हैं। कमला कोसी के पश्चिमी तटबंध व पूर्वी तटबंध के गर्व में बसे इटहर पंचायत के चौकिया, बिसुनिया, लक्ष्मीनिया, पोखर मुसहरी सहित अन्य गांवों के लोगों अब को अब तक किसी प्रकार की सहायता नहीं मिली है। लोग निजी स्तर से नाव किराया पर लेकर अपना दैनिक कार्य करते हैं। मालूम हो कि पूर्वी प्रखंड में बाढ़ से लगभग दो दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं और सिर्फ और अभी तक सिर्फ एक ही स्थान मध्य विद्यालय बर्निया पर पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है।


Body:दरअसल कुशेश्वरस्थान के पूर्वी प्रखंड क्षेत्र के इटहर पंचायत अंतर्गत लक्ष्मीनिया और चौकिया गांव के सैकड़ों लोगों का यह हाल है कि ये लोग अपने गांव में ही कैद होकर रह गए हैं। इस बात का खुलासा तब हुआ जब ईटीवी भारत की टीम नाव से इटहर पंचायत के लक्ष्मीनिया महादलित टोले पर दोपहर के 1 बजे पहुंची, तो कुछ परिवार प्राथमिक विद्यालय लक्ष्मीनिया पर शरण लिए हुए थे। वहीं जब हमारी टीम लक्ष्मीनिया टोले पर पहुंची तो, वहां के लोग अपनी दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि पिछले 5 दिनों से त्राहिमाम कर रहे हैं, लेकिन अभी तक हम लोगों को कुछ भी सहायता नहीं मिला है। सरकार सिर्फ दिखावा करने की घोषणा करती है धरातल पर कुछ भी नहीं मिलता है।


Conclusion:वही आक्रोशित पीड़ित परिवारों ने कहा कि हम लोगों की आवाजाही करने के लिए प्रशासन की ओर से कोई समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। जलावन बाढ़ के पानी में बह जाने के कारण बड़ी कठिनाइयों से भोजन बना पाते हैं। वहीं मंगल सदा ने बताया कि हम लोग बड़ी कस्टमय जिंदगी जी रहे हैं। पिछले 5 दिनों से हम लोगों का गांव टापू बना हुआ है। लेकिन अबतक इसकी सुधि लेने ना तो कोई जनप्रतिनिधि ही आया है और ना ही सरकार का कोई मुलाजिम ही। जिसके चलते हमलोगो को किसी प्रकार का मदद भी नहीं मिला है। इससे अच्छा होगा कि हम लोगों को जहर खिला दे और एक साथ सब परिवार मर जाएंगे, ताकि बार-बार ऐसे कष्ट में जिंदगी नहीं जीना पड़े।

वहीं इस बात की जानकारी जब स्थानीय प्रशासन को लगी तो वे दल बल के साथ बाद ग्रस्त इलाके के दौरे पर निकल पड़े। वहीं जब इस संबंध में हमने वरीय प्रभारी नदीमूल गफार सिद्क्की से बात की तो उन्होंने बताया कि वहां के लोग यहां आना नहीं चाहते हैं। चूंकि उनका वहां मकान है, बच्चे हैं, मवेशी हैं। इसके वजह से वह लोग आना नहीं चाह रहे हैं। अभी हम लोगों को पता चला है कि इस पर पंचायत के दो गांव चौकिया और लक्ष्मीनिया है। वहां एक स्कूल है, अगर वहां सुविधा मिल जाएगी तो वहां भी हम लोग एक कैंप लगाएंगे। वहीं जब हमने सरकारी सुविधा ना मिलने पर बात की तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। हम लोग बिल्कुल तैयार हैं कोई परेशानी नहीं है। सभी जनप्रतिनिधि भी साथ हैं, हम लोग उनके लिए सभी प्रकार के व्यवस्था कर रहे हैं।

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मंगल सदा, बाढ़ पीड़ित
अरहुल देवी, बाढ़ पीड़ित
नदीमूल गफार सिद्क्की, ADM दरभंगा
पीटीसी के साथ है।
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