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बाढ़ पीड़ितों से लूट! सरकारी नाव में भी नदी पार करने के लिए चुकाने पड़ते हैं शुल्क

दरभंगा में बाढ़ से जूझ रहे लोगों ने बताया कि यहां बन रहे नैयाम पुल का काम पिछले तीन साल से अधूरा है, जिस वजह से बाढ़ आई.

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Published : Jul 31, 2019, 4:49 PM IST

दरभंगा: बिहार में बाढ़ का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिले के हनुमान नगर प्रखंड इन दिनों भीषण बाढ़ की चपेट में है. प्रखंड के नैयाम-छतौना पंचायत का ज्यादातर गांव टापू में तब्दील हो चुका है. जिससे यहां के ग्रामीणों की समस्या काफी बढ़ गई है.

दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड के नैयाम-छतौना पंचायत में लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. लोगों के घर डूब चुके हैं. बाढ़ पीड़ितों की मानें तो राहत और बचाव के सरकारी दावे यहां खोखले साबित हो रहे हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

सरकारी नावों के लिए देने पड़ रहे पैसे
बाढ़ से जूझ रहे लोगों ने यह भी बताया कि यहां बन रहे नैयाम पुल का काम पिछले तीन साल से अधूरा है. जिस वजह से बाढ़ आई. यहां के लोगों का जीवन इन दिनों पूरी तरह से नाव पर निर्भर है. प्रशासन की ओर से जो नाव उन्हें मुहैया कराई गई है, उसके लिए भी इन्हें पैसे देने पड़ रहे हैं. नाविक गरीब लोगों से एक बार आने-जाने के 20 रुपये वसूल रहे हैं. जिस कारण बाढ़ पीड़ित दाने-दाने को मोहताज हैं.

darbhanga
अधूरा पुल

मनुष्य के साथ-साथ पशु भी परेशान
स्थानीय लोग कहते हैं कि पूरा गांव डूबा हुआ है. कहीं छाती भर पानी है, तो कहीं कमर भर. पशु भी भूखे पानी मे खड़े हैं. घास ले जाने के लिए उन्हें 20 रुपये नाविक को देने पड़ रहे हैं. लोगों में इसको लेकर भी आक्रोश है कि कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है.

darbhanga
जन जीवन बाधित

कार्रवाई की बात
इस बाबत हनुमाननगर बीडीओ सुधीर कुमार ने कहा कि नैयाम-छतौना पंचायत के लिये छह सरकारी नावें दी गयी हैं. इन नावों पर आवागमन के लिये पैसे नहीं देने हैं. इसपर भी अगर कोई नाविक पैसे वसूलता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.

दरभंगा: बिहार में बाढ़ का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. जिले के हनुमान नगर प्रखंड इन दिनों भीषण बाढ़ की चपेट में है. प्रखंड के नैयाम-छतौना पंचायत का ज्यादातर गांव टापू में तब्दील हो चुका है. जिससे यहां के ग्रामीणों की समस्या काफी बढ़ गई है.

दरभंगा के हनुमाननगर प्रखंड के नैयाम-छतौना पंचायत में लोगों का जीना मुहाल हो चुका है. लोगों के घर डूब चुके हैं. बाढ़ पीड़ितों की मानें तो राहत और बचाव के सरकारी दावे यहां खोखले साबित हो रहे हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

सरकारी नावों के लिए देने पड़ रहे पैसे
बाढ़ से जूझ रहे लोगों ने यह भी बताया कि यहां बन रहे नैयाम पुल का काम पिछले तीन साल से अधूरा है. जिस वजह से बाढ़ आई. यहां के लोगों का जीवन इन दिनों पूरी तरह से नाव पर निर्भर है. प्रशासन की ओर से जो नाव उन्हें मुहैया कराई गई है, उसके लिए भी इन्हें पैसे देने पड़ रहे हैं. नाविक गरीब लोगों से एक बार आने-जाने के 20 रुपये वसूल रहे हैं. जिस कारण बाढ़ पीड़ित दाने-दाने को मोहताज हैं.

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अधूरा पुल

मनुष्य के साथ-साथ पशु भी परेशान
स्थानीय लोग कहते हैं कि पूरा गांव डूबा हुआ है. कहीं छाती भर पानी है, तो कहीं कमर भर. पशु भी भूखे पानी मे खड़े हैं. घास ले जाने के लिए उन्हें 20 रुपये नाविक को देने पड़ रहे हैं. लोगों में इसको लेकर भी आक्रोश है कि कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी उनकी सुध लेने नहीं पहुंचा है.

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जन जीवन बाधित

कार्रवाई की बात
इस बाबत हनुमाननगर बीडीओ सुधीर कुमार ने कहा कि नैयाम-छतौना पंचायत के लिये छह सरकारी नावें दी गयी हैं. इन नावों पर आवागमन के लिये पैसे नहीं देने हैं. इसपर भी अगर कोई नाविक पैसे वसूलता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.

Intro:दरभंगा। जिले का हनुमाननगर प्रखंड भीषण बाढ़ की चपेट में है। प्रखंड के नैयाम-छतौना पंचायत के अधिकतर गांव टापू में तब्दील हैं। 12 है। राहत और बचाव के सरकारी दावे यहां खोखले साबित हो रहे हैं। यहां बन रहा नैयाम पुल पिछले तीन साल से अधूरा है। इसकी वजह से लोगों की ज़िंदगी पूरी तरह नाव पर निर्भर हो गयी है। प्रशासन ने जिन सरकारी नावों को मुफ्त में लोगों को उपलब्ध कराया है, उनके नाविक गरीब लोगों से एक बार आने-जाने के 20-20 रुपये वसूल रहे हैं। खाने को मोहताज लोगों पर ये किराया भारी पड़ रहा है।



Body:नैयाम के रामदेव राय अपने पशु के लिये चारा काटने हायाघाट की तरफ आये हैं। उन्होंने जो दर्द बयान किया उसे सुनकर कलेजा मुंह को आ जाता है। उनका पूरा गांव डूबा हुआ है। बताते हैं कि कहीं छाती भर पानी है तो कहीं कमर भर। उनके पशु भी भूखे पानी मे खड़े हैं। घास ले जाने के उन्हें 20 रुपये नाविक को देने पड़ रहे हैं। सरकारी नाव के नाम पर ये खेल हो रहा है। उनके गांव में अब तक न तो राहत पहुंची है और न ही कोई जनप्रतिनिधि या अधिकारी सुधि लेने पहुंचा है। उनके गांव में 3500 वोटर हैं। बड़े अरमान से उन्होंने सांसद-विधायक को चुना था, लेकिन आपदा की इस घड़ी में कोई पूछने वाला नहीं है।
वहीं, स्थानीय डॉ. इसरार अहमद ने बताया कि एप्रोच सड़क नहीं बनने की वजह से ये पुल अधूरा पड़ा है। इसकी वजह से उनकी ज़िंदगी पूरी तरह नाव पर निर्भर हो गयी है। सामान्य दिनों में भी वे लोग जिला मुख्यालय, प्रखंड मुख्यालय, अस्पताल, बाजार और यहां तक कि पोस्ट आफिस से भी कटे रहते हैं। बाढ़ ने तो उनकी परेशानी कई गुना बढ़ा दी है।


Conclusion:हनुमाननगर बीडीओ सुधीर कुमार ने कहा कि नैयाम-छतौना पंचायत के लिये छह सरकारी नावें दी गयी हैं। इन नावों पर आवागमन के लिये पैसे नहीं देने हैं। अगर कोई नाविक पैसे वसूलता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

बाइट 1- रामदेव राय, बाढ़ पीड़ित
बाइट 2- डॉ. इसरार अहमद, स्थानीय
बाइट 3- सुधीर कुमार, बीडीओ, हनुमाननगर

विजय कुमार श्रीवास्तव
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