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वाह क्या बात है! बिहार का पहला फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनकर तैयार, नीचे पलेगी मछली, ऊपर बनेगी बिजली - दरभंगा का तैरने वाला प्लांट

दरभंगा के कादिराबाद मोहल्ले के एक तालाब में बिहार का पहला तैरता हुआ सोलर एनर्जी प्लांट बनकर तैयार (First Floating Solar Plant Built In Bihar) हो गया है. जिसकी लागत कुल 7 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

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सोलर प्लांट
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Published : Jan 4, 2022, 7:28 AM IST

दरभंगा: बिहार के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आयी है. राज्य का पहला तैरता हुआ सोलर एनर्जी प्लांट (Solar Power Plant In Darbhanga) बनकर तैयार हो गया है. शहर के कादिराबाद में बिजली विभाग के तालाब में बनाए गए प्लांट की क्षमता 2 मेगावाट है. इसकी लागत 7 करोड़ रुपये है. इस तालाब के अंदर मछली पालन होगा वहीं, दूसरी तरफ इसके ऊपर लगे सोलर प्लेट्स से बिजली उत्पादन भी होगा.

इसे भी पढ़ें: ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगा बिहार! सुपौल में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट का हो रहा है निर्माण

तालाब के ऊपर सोलर प्लेट (Solar Plate Over Pond) लगाने का काम पूरा कर लिया गया है. इसे अब अंतिम रूप दिया जा रहा है. इसी महीने की 10 तारीख से इसमें 1.6 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू होने की संभावना है. इसी तालाब से सटे बिजली विभाग का एक पावर सबस्टेशन भी बनाया जा रहा है, जिसके माध्यम से इस सोलर एनर्जी को पावर ग्रिड में पहुंचाया जाएगा और उसके बाद शहर में इसकी आपूर्ति की जाएगी.

देखें रिपोर्ट.

इसे भी पढ़ें: बिहार में फ्लोटिंग सोलर प्लांट : पानी के ऊपर तैरता 'पावर हाउस', बिजली की समस्या होगी दूर

इस प्रोजेक्ट को बिहार रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी यानी ब्रेडा ने शुरू किया है. ब्रेडा और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने आवाडा नामक एक कंपनी से अगले 25 साल तक इस फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट के संचालन के लिए करार किया है. कंपनी इस प्रोजेक्ट पर जोर-शोर से काम कर रही है. सोमवार को नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, दरभंगा के अधीक्षण अभियंता सुनील कुमार दास ने साइट पर पहुंचकर प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया.

'सोलर प्लेट के माध्यम से दरभंगा में ऊर्जा उत्पादन का यह प्रोजेक्ट अब पूरा होने को है. उन्होंने कहा कि यह बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसी महीने की 10 तारीख से यहां बिजली उत्पादन की संभावना है. इसके बगल में एनबीपीडीसीएल का एक पावर सबस्टेशन भी बनाया जा रहा है, जो अगले 15 दिन में बनकर तैयार हो जाएगा.' -सुनील कुमार दास, अधीक्षण अभियंता

सुनील कुमार दास ने कहा कि इसी पावर सब स्टेशन से यहां उत्पादन की गई सोलर एनर्जी को पावर ग्रिड तक पहुंचाया जाएगा. उसके बाद से लोगों के घरों तक यह बिजली पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि इससे प्रदूषण रहित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में गैर पारंपरिक ऊर्जा की तरफ सरकार और लोगों का ज्यादा ध्यान जाएगा.

ये भी पढ़ें: बिहार में अगले साल से सौर ऊर्जा से होगा बिजली का उत्पादन, परियोजना की रणनीति तैयार

वहीं, अवाडा कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित कुमार सिंह ने कहा कि यहां से फिलहाल 1.6 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. उन्होंने कहा कि अवाडा ने ब्रेडा और एनबीपीडीसीएल के साथ अगले 25 साल तक इस प्लांट के रखरखाव और यहां से सौर ऊर्जा के उत्पादन का करार किया है. इस अवधि में प्रोजेक्ट का मेंटेनेंस भी शामिल है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार चाहती है कि आने वाले समय में गैर परंपरागत ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए ताकि पारंपरिक ढंग से बनाई जाने वाली बिजली और कोयले के प्रयोग से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके.

बता दें कि बिहार में दरभंगा के अलावा सुपौल में भी इसी तरह का एक फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाया जा रहा है. इस तरह के प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य तालाबों में मछली पालन के साथ-साथ बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना है. साथ ही बेकार पड़े तालाबों को काम लायक बना कर उनका उपयोग करना भी है. भारत सरकार और बिहार सरकार आने वाले समय में गैर परंपरागत ऊर्जा को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही हैं ताकि भविष्य में बिजली उत्पादन में कोयला से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सके. प्रदूषण के मामले में दुनिया भर में चिंता का विषय है.

बता दें कि दरभंगा में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने का कार्य नवंबर माह से शुरू कर दिया गया था. वर्ष 2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोलर योजना पर काम करने का निर्देश दिया था. इस परियोजना के प्रथम चरण के तहत सभी सरकारी-निजी कार्यालयों एवं संस्थानों की छतों पर सोलर प्लांट लगाने का काम शुरू किया गया.

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दरभंगा: बिहार के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आयी है. राज्य का पहला तैरता हुआ सोलर एनर्जी प्लांट (Solar Power Plant In Darbhanga) बनकर तैयार हो गया है. शहर के कादिराबाद में बिजली विभाग के तालाब में बनाए गए प्लांट की क्षमता 2 मेगावाट है. इसकी लागत 7 करोड़ रुपये है. इस तालाब के अंदर मछली पालन होगा वहीं, दूसरी तरफ इसके ऊपर लगे सोलर प्लेट्स से बिजली उत्पादन भी होगा.

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तालाब के ऊपर सोलर प्लेट (Solar Plate Over Pond) लगाने का काम पूरा कर लिया गया है. इसे अब अंतिम रूप दिया जा रहा है. इसी महीने की 10 तारीख से इसमें 1.6 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू होने की संभावना है. इसी तालाब से सटे बिजली विभाग का एक पावर सबस्टेशन भी बनाया जा रहा है, जिसके माध्यम से इस सोलर एनर्जी को पावर ग्रिड में पहुंचाया जाएगा और उसके बाद शहर में इसकी आपूर्ति की जाएगी.

देखें रिपोर्ट.

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इस प्रोजेक्ट को बिहार रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी यानी ब्रेडा ने शुरू किया है. ब्रेडा और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने आवाडा नामक एक कंपनी से अगले 25 साल तक इस फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट के संचालन के लिए करार किया है. कंपनी इस प्रोजेक्ट पर जोर-शोर से काम कर रही है. सोमवार को नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, दरभंगा के अधीक्षण अभियंता सुनील कुमार दास ने साइट पर पहुंचकर प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया.

'सोलर प्लेट के माध्यम से दरभंगा में ऊर्जा उत्पादन का यह प्रोजेक्ट अब पूरा होने को है. उन्होंने कहा कि यह बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है. इसी महीने की 10 तारीख से यहां बिजली उत्पादन की संभावना है. इसके बगल में एनबीपीडीसीएल का एक पावर सबस्टेशन भी बनाया जा रहा है, जो अगले 15 दिन में बनकर तैयार हो जाएगा.' -सुनील कुमार दास, अधीक्षण अभियंता

सुनील कुमार दास ने कहा कि इसी पावर सब स्टेशन से यहां उत्पादन की गई सोलर एनर्जी को पावर ग्रिड तक पहुंचाया जाएगा. उसके बाद से लोगों के घरों तक यह बिजली पहुंचेगी. उन्होंने कहा कि इससे प्रदूषण रहित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में गैर पारंपरिक ऊर्जा की तरफ सरकार और लोगों का ज्यादा ध्यान जाएगा.

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वहीं, अवाडा कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित कुमार सिंह ने कहा कि यहां से फिलहाल 1.6 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा. उन्होंने कहा कि अवाडा ने ब्रेडा और एनबीपीडीसीएल के साथ अगले 25 साल तक इस प्लांट के रखरखाव और यहां से सौर ऊर्जा के उत्पादन का करार किया है. इस अवधि में प्रोजेक्ट का मेंटेनेंस भी शामिल है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार चाहती है कि आने वाले समय में गैर परंपरागत ऊर्जा को बढ़ावा दिया जाए ताकि पारंपरिक ढंग से बनाई जाने वाली बिजली और कोयले के प्रयोग से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके.

बता दें कि बिहार में दरभंगा के अलावा सुपौल में भी इसी तरह का एक फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाया जा रहा है. इस तरह के प्रोजेक्ट्स का उद्देश्य तालाबों में मछली पालन के साथ-साथ बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना है. साथ ही बेकार पड़े तालाबों को काम लायक बना कर उनका उपयोग करना भी है. भारत सरकार और बिहार सरकार आने वाले समय में गैर परंपरागत ऊर्जा को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही हैं ताकि भविष्य में बिजली उत्पादन में कोयला से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सके. प्रदूषण के मामले में दुनिया भर में चिंता का विषय है.

बता दें कि दरभंगा में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने का कार्य नवंबर माह से शुरू कर दिया गया था. वर्ष 2019 में जल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोलर योजना पर काम करने का निर्देश दिया था. इस परियोजना के प्रथम चरण के तहत सभी सरकारी-निजी कार्यालयों एवं संस्थानों की छतों पर सोलर प्लांट लगाने का काम शुरू किया गया.

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