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दरभंगा-समस्तीपुर NH 50 पर ढाई किमी में कटाव, शुरू हुआ मरम्मत कार्य

राज्य के 14 जिले बाढ़ की चपेट में हैं. हर साल लोगों को बाढ़ के बाद कटाव का कहर झेलना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी परेशानियां होती हैं.

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Published : Aug 18, 2020, 4:30 PM IST

दरभंगाः बिहार के कई जिले बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है. बागमती और अधवारा समूह की नदियों की बाढ़ से जिले में बड़ी तबाही मची है. ईटीवी भारत लगातार बाढ़ की स्थिति पर ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. हमारे संवाददाता जब स्थिति का जायजा लेने पहुंचे तो ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा.

कुछ दिन पहले तक दरभंगा-समस्तीपुर एसएच 50 पर दो-ढाई फीट तक पानी बह रहा था. सड़क से उतरने के बाद अब बाढ़ के पानी ने इसे करीब ढाई किमी में काटना शुरू कर दिया है. जिससे ग्रामीण काफी डरे-सहमे हैं.

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बाढ़ का पानी

भंग हो सकता है यातायात सुविधा
दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड बाढ़ की वजह से पहले से बंद है. अब अगर ये सड़क कटती है तो दोनों जिलों की बड़ी आबादी के बीच यातायात पूरी तरह भंग होने का खतरा है. हालांकि, पथ निर्माण विभाग के इंजीनियरों की टीम इस सड़क की मरम्मत में लगी हुई है.

हायाघाट रेलवे पुल के चौड़ीकरण का प्रस्ताव
स्थानीय रामविनोद सिंह ने कहा कि अगर ये सड़क कटती है तो यातायात बंद हो जाएगा और लोगों को काफी दिक्कत होगी. उन्होंने कहा कि 1997 से इस इलाके में बाढ़ की खराब स्थिति है. हायाघाट के पूर्व विधायक स्व. उमाधर प्रसाद सिंह ने हायाघाट रेलवे पुल के चौड़ीकरण का प्रस्ताव विधानसभा से पास करवाया था, लेकिन वह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया.

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मरम्मत कार्य

बाढ़ का खतरा
रामविनोद सिंह ने कहा कि रेल पुल संकरा होने की वजह से पानी निकलने में बाधा आती है, जिससे इस इलाके में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार रेल पुल को चौड़ा नहीं करती है तो वे लोग आंदोलन करेंगे.

ठप हो जाएगा आवागमन
स्थानीय सुरेश प्रसाद ने कहा कि बाढ़ की वजह से कहीं आने-जाने की बहुत दिक्कत है. साथ ही डेढ़ महीने से मजदूरी बंद है. उन्होंने कहा कि अगर ये सड़क कट जाती है तो परेशानी और भी बढ़ जाएगी. आवागमन पूरी तरह ठप हो जाएगा.

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इंजीनियरों की टीम

मर रहे हैं गरीब
ग्रामीण प्रदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि साल 2004 की बाढ़ से भी बुरी स्थिति है. उस समय रक्सी पुल के टूटने के बाद कालाबाजारी से लोगों को गैस और जरूरी सामान खरीदना पड़ा था. उन्होंने कहा कि पिछले 20-25 दिनों से इस इलाके में बाढ़ की यही स्थिति है. नेता लोग देख कर चले जाते हैं और यहां गरीब मर रहे हैं.

शुरू हुआ कटाव
वहीं, सड़क को बचाने में लगे पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता पवन कुमार सिंह ने कहा कि पहले तो इस सड़क पर बाढ़ का पानी ओवर फ्लो हो रहा था. उसके बाद जब पानी घटा और तेज हवा के थपेड़े से करीब ढाई किमी तक ये सड़क कट रही है.

देखें रिपोर्ट

सड़क की मरम्मत
अभियंता पवन कुमार सिंह ने कहा कि अभी अस्थायी रूप से इसे बचाने के लिए मरम्मत का काम कराया जा रहा है. जब बाढ़ का पानी पूरी तरह उतर जाएगा तब स्थायी रूप से इस सड़क की मरम्मत की जाएगी.

दरभंगाः बिहार के कई जिले बाढ़ की त्रासदी झेल रहा है. बागमती और अधवारा समूह की नदियों की बाढ़ से जिले में बड़ी तबाही मची है. ईटीवी भारत लगातार बाढ़ की स्थिति पर ग्राउंड रिपोर्ट दे रहा है. हमारे संवाददाता जब स्थिति का जायजा लेने पहुंचे तो ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा.

कुछ दिन पहले तक दरभंगा-समस्तीपुर एसएच 50 पर दो-ढाई फीट तक पानी बह रहा था. सड़क से उतरने के बाद अब बाढ़ के पानी ने इसे करीब ढाई किमी में काटना शुरू कर दिया है. जिससे ग्रामीण काफी डरे-सहमे हैं.

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बाढ़ का पानी

भंग हो सकता है यातायात सुविधा
दरभंगा-समस्तीपुर रेलखंड बाढ़ की वजह से पहले से बंद है. अब अगर ये सड़क कटती है तो दोनों जिलों की बड़ी आबादी के बीच यातायात पूरी तरह भंग होने का खतरा है. हालांकि, पथ निर्माण विभाग के इंजीनियरों की टीम इस सड़क की मरम्मत में लगी हुई है.

हायाघाट रेलवे पुल के चौड़ीकरण का प्रस्ताव
स्थानीय रामविनोद सिंह ने कहा कि अगर ये सड़क कटती है तो यातायात बंद हो जाएगा और लोगों को काफी दिक्कत होगी. उन्होंने कहा कि 1997 से इस इलाके में बाढ़ की खराब स्थिति है. हायाघाट के पूर्व विधायक स्व. उमाधर प्रसाद सिंह ने हायाघाट रेलवे पुल के चौड़ीकरण का प्रस्ताव विधानसभा से पास करवाया था, लेकिन वह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया.

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मरम्मत कार्य

बाढ़ का खतरा
रामविनोद सिंह ने कहा कि रेल पुल संकरा होने की वजह से पानी निकलने में बाधा आती है, जिससे इस इलाके में बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार रेल पुल को चौड़ा नहीं करती है तो वे लोग आंदोलन करेंगे.

ठप हो जाएगा आवागमन
स्थानीय सुरेश प्रसाद ने कहा कि बाढ़ की वजह से कहीं आने-जाने की बहुत दिक्कत है. साथ ही डेढ़ महीने से मजदूरी बंद है. उन्होंने कहा कि अगर ये सड़क कट जाती है तो परेशानी और भी बढ़ जाएगी. आवागमन पूरी तरह ठप हो जाएगा.

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इंजीनियरों की टीम

मर रहे हैं गरीब
ग्रामीण प्रदीप कुमार गुप्ता ने कहा कि साल 2004 की बाढ़ से भी बुरी स्थिति है. उस समय रक्सी पुल के टूटने के बाद कालाबाजारी से लोगों को गैस और जरूरी सामान खरीदना पड़ा था. उन्होंने कहा कि पिछले 20-25 दिनों से इस इलाके में बाढ़ की यही स्थिति है. नेता लोग देख कर चले जाते हैं और यहां गरीब मर रहे हैं.

शुरू हुआ कटाव
वहीं, सड़क को बचाने में लगे पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता पवन कुमार सिंह ने कहा कि पहले तो इस सड़क पर बाढ़ का पानी ओवर फ्लो हो रहा था. उसके बाद जब पानी घटा और तेज हवा के थपेड़े से करीब ढाई किमी तक ये सड़क कट रही है.

देखें रिपोर्ट

सड़क की मरम्मत
अभियंता पवन कुमार सिंह ने कहा कि अभी अस्थायी रूप से इसे बचाने के लिए मरम्मत का काम कराया जा रहा है. जब बाढ़ का पानी पूरी तरह उतर जाएगा तब स्थायी रूप से इस सड़क की मरम्मत की जाएगी.

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