दरभंगा: जिले के सिंहवाड़ा प्रखंड के टेकटार गांव के एक 75 साल के बुजुर्ग विमल किशोर झा के अद्भुत कारनामे को देख कर आप अचंभित रह जाएंगे. विमल झा तालाब के पानी पर घंटों लेटे रहते हैं. इन्हें लेटा हुआ देख कर किसी को भी शव के उपलाने का भ्रम हो सकता है. ये इस कारनामे को पिछले 40 साल से करते आ रहे हैं. इतना ही नहीं कई युवकों को भी इस खास योगासन को सिखाते हैं.
विमल झा बताते हैं कि इसी आसन के अभ्यास का परिणाम है कि इन्हें आज तक कोई बीमारी नहीं हुई और इस उम्र में भी वो पूरी तरह स्वस्थ हैं. कोरोना महामारी के इस काल में जब लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तरह-तरह के इंतजाम कर रहे हैं ऐसे में विमल झा बेफिक्र होकर जी रहे हैं. साथ ही नई पीढ़ी को निरोग रहने की अद्भुत कला सिखा रहे हैं.
चाचा से सीखा था यह आसन
विमल किशोर झा बताते हैं कि 40 साल पहले ये अद्भुत योगासन उन्होंने अपने चाचा महात्मा जी से सीखा था. तब से वे इस आसन को लगातार कर रहे हैं. वे छह-सात घंटों तक लगातार पानी के ऊपर लेट सकते हैं. साथ ही वर्षों से इलाके के युवाओं को भी सिखाते आ रहे हैं. इसकी वजह से हर दिन 2-3 घंटे अभ्यास कर लेते हैं. उन्होंने बताया कि इसे करने से उन्हें आज तक कोई बीमारी नहीं हुई. वे पूरी तरह स्वस्थ हैं.
बढ़ती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
टेकटार गांव निवासी युवक प्रकाश कुमार झा ने बताया कि कुछ समय से वे इस अद्भुत आसन को सीख रहे हैं. वे अब पानी पर रुकना सीख चुके हैं. ज्यादा से ज्यादा अभ्यास कर रहे हैं ताकि पानी पर लेटने के आसन में पूरी तरह प्रवीण हो जाएं. वहीं योग प्रशिक्षक डॉ. निर्भय शंकर भारद्वाज ने बताया कि पानी पर शव की तरह घंटों लेटने का ये आसन सांसों पर नियंत्रण प्राप्त कर लेने से होता है. इसे करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और व्यक्ति तनाव और अवसाद को दूर भगा सकता है. उन्होंने कहा कि जब कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया भयंकर तनाव में जी रही है, ऐसे में विमल किशोर झा से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए. इस आसन से इतनी ज्यादा उम्र में भी वो पूरी तरह स्वस्थ हैं. वे भारतीय योग पद्धति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की मुहिम चला रहे हैं.