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किसान उत्पादक संगठन बनाने को लेकर DM ने की बैठक, बोले- इससे ज्यादा होगा फायदा

डीएम ने कहा कि जिले में जीविका द्वारा भी एक शिल्पकला का उत्पादक समूह बना हुआ है, जो अच्छा काम कर रहा है. किसान उत्पादक संगठन अलग-अलग उत्पाद पर आधारित होना चाहिए. जैसे मखाना उत्पादन, मधु उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मछली के आहार का उत्पादन, मक्का का उत्पादन, उर्वरक, बीज का उत्पादन. इस तरह से विशेष उत्पादन आधारित किसान उत्पादक समूह बनाने पर संगठन को ज्यादा लाभ प्राप्त होगा.

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Published : Feb 7, 2022, 7:46 PM IST

दरभंगा: जिलाधिकारी राजीव रौशन (DM Rajeev Roshan) की अध्यक्षता में किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बनाने को लेकर नाबार्ड के तत्वाधान में बैठक आयोजित की गई. इसमें डीडीएम नाबार्ड आकांक्षा ने बताया कि दरभंगा में कृषि एवं बागवानी से जुड़े लोगों का 8 उत्पादक समूह बनाने का लक्ष्य भारत सरकार की ओर से मिला था, जो राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम को बनाना था.

ये भी पढ़ें: कोरोना से बचाव को लेकर DM ने की बैठक, जागरुकता फैलाने के साथ संसाधनों को दुरुस्त रखने के दिए निर्देश

बैठक में राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम के पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि के अनुपस्थित रहने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जताई और इससे सरकार को अवगत कराने का भी निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना है और राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम के कोई पदाधिकारी नहीं आये, इसलिए 8 किसान उत्पादक संगठन बनाने में कोई प्रगति नहीं हो सकी.

डीडीएम नाबार्ड ने बताया कि नाबार्ड को 2 एफपीओ बनाना है, जो 2 प्रखण्ड किरतपुर और कुशेश्वरस्थान में बनाने की योजना है, जिसके अनुमोदन के लिए प्रस्ताव आज की बैठक में रखा जा रहा है. किरतपुर में मक्का, मखाना और मरुआ आधारित किसानों का समूह और कुशेश्वरस्थान में मक्का, मखाना एवं सब्जी आधारित किसान उत्पादक संगठन बनाया जा रहा है. साथ ही, नाफेड द्वारा भी दो प्रखंड बेनीपुर और अलीनगर में उत्पादक संगठन गठन की अनुशंसा की गई.

बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि जो एफपीओ बनाया जा रहा है, उससे मत्स्यजीवी सहयोग समिति को भी जोड़ा जाना चाहिए, इससे दरभंगा के मछली पालकों को लाभ प्राप्त होता. इस प्रस्ताव को भी सरकार के सामने रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठन बिजनेस मॉडल का होना चाहिए. उत्पादक संगठन में एक समुह की ताकत होती है, जो बाजार में सौदेबाजी कर सकती है. यह संगठन की गतिविधि पर आधारित होता है, जैसे-जैसे समूह की गतिविधि बढ़ती है, वैसे-वैसे संगठन के लाभ में वृद्धि होती है.

डीएम ने कहा कि जिले में जीविका द्वारा भी एक शिल्पकला का उत्पादक समूह बना हुआ है, जो अच्छा काम कर रहा है. किसान उत्पादक संगठन अलग-अलग उत्पाद पर आधारित होना चाहिए. जैसे मखाना उत्पादन, मधु उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मछली के आहार का उत्पादन, मक्का का उत्पादन, उर्वरक, बीज का उत्पादन. इस तरह से विशेष उत्पादन आधारित किसान उत्पादक समूह बनाने पर संगठन को ज्यादा लाभ प्राप्त होगा.

उन्होंने कहा कि बिहार में फसल बीज उत्पादन में असीम संभावनाएं हैं. हमारे यहां किसानों को मिलने वाले बीज का 25 प्रतिशत ही बिहार उत्पादन कर पाता है, बाकि 75 प्रतिशत अन्य राज्यों से मंगवाना पड़ता है. उन्नत बीज का प्रमाणीकरण कराकर इसे भारत सरकार से अधिसूचित कराने की आवश्यकता होती है. उन्नत बीज उत्पादन का बड़ा केंद्र बिहार बन सकता है. इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है.

बैठक में सामुदाय आधारित व्यापार संगठन के प्रतिनिधि मधु चौधरी ने बताया कि दरभंगा में मखाना उत्पादन और मार्केटिंग की असीम संभावना है. इसकी मांग जापान और कोरिया में ज्यादा है, साथ ही मछली उत्पादन की भी असीम संभावनाए हैं. जिलाधिकारी ने कृषि आधारभूत संरचना निधि (एआईएफ) से ऋण प्राप्त करने हेतु प्राप्त दरभंगा के 7 आवेदकों से व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर, उन्हें ऋण उपलब्ध कराने में सहायता करने का निर्देश डीडीएम नाबार्ड को दिया.

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दरभंगा: जिलाधिकारी राजीव रौशन (DM Rajeev Roshan) की अध्यक्षता में किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization) बनाने को लेकर नाबार्ड के तत्वाधान में बैठक आयोजित की गई. इसमें डीडीएम नाबार्ड आकांक्षा ने बताया कि दरभंगा में कृषि एवं बागवानी से जुड़े लोगों का 8 उत्पादक समूह बनाने का लक्ष्य भारत सरकार की ओर से मिला था, जो राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम को बनाना था.

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बैठक में राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम के पदाधिकारी या उनके प्रतिनिधि के अनुपस्थित रहने पर जिलाधिकारी ने नाराजगी जताई और इससे सरकार को अवगत कराने का भी निर्देश दिया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार की यह महत्वकांक्षी योजना है और राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम के कोई पदाधिकारी नहीं आये, इसलिए 8 किसान उत्पादक संगठन बनाने में कोई प्रगति नहीं हो सकी.

डीडीएम नाबार्ड ने बताया कि नाबार्ड को 2 एफपीओ बनाना है, जो 2 प्रखण्ड किरतपुर और कुशेश्वरस्थान में बनाने की योजना है, जिसके अनुमोदन के लिए प्रस्ताव आज की बैठक में रखा जा रहा है. किरतपुर में मक्का, मखाना और मरुआ आधारित किसानों का समूह और कुशेश्वरस्थान में मक्का, मखाना एवं सब्जी आधारित किसान उत्पादक संगठन बनाया जा रहा है. साथ ही, नाफेड द्वारा भी दो प्रखंड बेनीपुर और अलीनगर में उत्पादक संगठन गठन की अनुशंसा की गई.

बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि जो एफपीओ बनाया जा रहा है, उससे मत्स्यजीवी सहयोग समिति को भी जोड़ा जाना चाहिए, इससे दरभंगा के मछली पालकों को लाभ प्राप्त होता. इस प्रस्ताव को भी सरकार के सामने रखा जा सकता है. उन्होंने कहा कि किसान उत्पादक संगठन बिजनेस मॉडल का होना चाहिए. उत्पादक संगठन में एक समुह की ताकत होती है, जो बाजार में सौदेबाजी कर सकती है. यह संगठन की गतिविधि पर आधारित होता है, जैसे-जैसे समूह की गतिविधि बढ़ती है, वैसे-वैसे संगठन के लाभ में वृद्धि होती है.

डीएम ने कहा कि जिले में जीविका द्वारा भी एक शिल्पकला का उत्पादक समूह बना हुआ है, जो अच्छा काम कर रहा है. किसान उत्पादक संगठन अलग-अलग उत्पाद पर आधारित होना चाहिए. जैसे मखाना उत्पादन, मधु उत्पादन, सब्जी उत्पादन, मछली के आहार का उत्पादन, मक्का का उत्पादन, उर्वरक, बीज का उत्पादन. इस तरह से विशेष उत्पादन आधारित किसान उत्पादक समूह बनाने पर संगठन को ज्यादा लाभ प्राप्त होगा.

उन्होंने कहा कि बिहार में फसल बीज उत्पादन में असीम संभावनाएं हैं. हमारे यहां किसानों को मिलने वाले बीज का 25 प्रतिशत ही बिहार उत्पादन कर पाता है, बाकि 75 प्रतिशत अन्य राज्यों से मंगवाना पड़ता है. उन्नत बीज का प्रमाणीकरण कराकर इसे भारत सरकार से अधिसूचित कराने की आवश्यकता होती है. उन्नत बीज उत्पादन का बड़ा केंद्र बिहार बन सकता है. इस दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है.

बैठक में सामुदाय आधारित व्यापार संगठन के प्रतिनिधि मधु चौधरी ने बताया कि दरभंगा में मखाना उत्पादन और मार्केटिंग की असीम संभावना है. इसकी मांग जापान और कोरिया में ज्यादा है, साथ ही मछली उत्पादन की भी असीम संभावनाए हैं. जिलाधिकारी ने कृषि आधारभूत संरचना निधि (एआईएफ) से ऋण प्राप्त करने हेतु प्राप्त दरभंगा के 7 आवेदकों से व्यक्तिगत रूप से सम्पर्क कर, उन्हें ऋण उपलब्ध कराने में सहायता करने का निर्देश डीडीएम नाबार्ड को दिया.

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