दरभंगा: बिहार के दरभंगा में पूरे परिवार के साथ रहकर पढ़ाई कर रही अक्षरा ने आईआईटी जेईई एडवांस में गुवाहाटी जोन में लड़कियों में टॉपर बनी है. रिजल्ट सुनते ही अक्षरा का पूरा परिवार में खुशी से झूम उठा. आसपास के लोग भी अक्षरा के कामयाबी पर खुशी जता रहे है. दरअसल अक्षरा सीतामढ़ी जिला के आवापुर की मूल निवासी है. उनके पिता रमेश साह वर्तमान में दरभंगा शहर के राजकुमारगंज में रहते है. जो जिले के मध्य विद्यालय गौसा घाट में प्रधानाध्यापक हैं. अक्षरा के छोटे भाई-बहन फिलहाल स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं.
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रिजल्ट आने पर पहुंची मंदिर: सफलता मिलने के बाद मां श्यामा मंदिर पहुंची अक्षरा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह मेरे 2 साल की मेहनत का फल है. रिजल्ट सुनकर मैं और मेरे परिवार के लोग काफी खुश हैं. यह दौड़ मेरे लिए काफी कठिन था, इसमें रोज सुबह उठकर मुझे अपने उपर विश्वास रख कर रात तक पढ़ना होता था. बीच-बीच में ब्रेक लेकर फ्रेस भी होना पड़ता था. ताकि इससे दिमाग शांत रहें. हर दिन मेरा यह मकसद रहता था कि जितनी में मेहनत कर संकू, उतनी मैं मेहनत करू. ताकि मैं जब रात में सोने जाऊं तो यह लगे की मैने पूरी पढ़ाई की है.
कहां जाना चाहती है अक्षरा: उन्होंने सोचा है आईआईटी मुंबई या दिल्ली में से कोई मिले जहां से वो कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई कर सके. वहीं इस सफलता का श्रेय अक्षरा ने अपने माता-पिता और शिक्षकों को दिया है. अक्षरा ने कहा कि तैयारी के दौरान वह सोशल मीडिया से दूर रहती थी. सिर्फ टेलीग्राम से कनेक्ट थी जहां वो अपने टीचर से डाउट क्लियर करती थी. साथ ही उन्होंने दूसरों से भी सोशल मीडिया से दूरी बनाने की सलाह दी.
"रिजल्ट सुनकर मैं और मेरे परिवार के लोग काफी खुश हैं. यह दौड़ मेरे लिए काफी कठिन था, इसमें रोज सुबह उठकर मुझे अपने उपर विश्वास रख कर रात तक पढ़ना होता था. बीच-बीच में ब्रेक लेकर फ्रेस भी होना पड़ता था. ताकि इससे दिमाग शांत रहें. हर दिन मेरा यह मकसद रहता था कि जितनी में मेहनत कर संकू, उतनी मैं मेहनत करू. ताकि मैं जब रात में सोने जाऊं तो यह लगे की मैने पूरी पढ़ाई की है."-अक्षरा, छात्रा
सेल्फ स्टडी से किया टॉप: वहीं अक्षरा की सफलता पर माता-पिता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह शुरू से ही सेल्फ स्टडी की पक्षधर रही है. कभी स्कूल के अलावा कहीं और पढ़ाई नहीं की. हमेशा सेल्फ स्टडी पर जोड़ था. इसके दिमाग में था कि जो करना है उसे करना है और उसे पूरा करके दिखाया है. अक्षरा की मां विजेता कुमारी ने कहा कि मैं अपनी खुशी को शब्दों में बयां नहीं कर सकती. मुझे आज इतनी खुशी है कि मैं किससे जाकर बताऊ यह समझ नहीं पा रहे है. अक्षरा शुरू से ही पढ़ाई के प्रति काफी सजग है.