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दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य पटना एयरपोर्ट से ज्यादा अच्छा है- कैप्टन सुरेंद्र चौधरी - महाराजा कामेश्वर सिंह

1940 के दशक में दरभंगा स्टेट का विमान पायलट कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने ईटीवी भारत से बात की और अपनी यादें साझा की. इस दौरान उन्होंने कहा कि दरभंगा व्यवसाय और रोजगार के अधिक अवसर है. दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य पटना एयरपोर्ट से ज्यादा अच्छा हैय

पायलट कैप्टन सुरेंद्र चौधरी
पायलट कैप्टन सुरेंद्र चौधरी
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Published : Feb 24, 2021, 2:21 PM IST

दरभंगा: 1940 के दशक में दरभंगा स्टेट की ओर से संचालित दरभंगा एविएशन भारत की शुरुआती विमानन कंपनियों में से एक थी. जहां सिविल उड़ानों की सुविधा थी. दरभंगा एयरपोर्ट का देश और दुनिया में गौरवशाली इतिहास रहा है. इस एयरपोर्ट पर महाराजा कामेश्वर सिंह के खास विमान पर सवार होकर देश और दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियां उतर चुकी हैं. उस जमाने में दरभंगा-कोलकाता उड़ानों का लाभ आम व्यापारियों को भी मिलता था.

पहली बार दरभंगा एअरपोर्ट पर उतरे
महाराजा कामेश्वर सिंह की मृत्यु के पहले तक उनके पायलट रहे और बाद में एयर इंडिया के जीएम पद से रिटायर्ड 85 साल के कैप्टन सुरेंद्र चौधरी एक कार्यक्रम में शामिल होने दरभंगा पहुंचे. कभी पायलट के रूप में दरभंगा में महाराजा कामेश्वर सिंह का विमान उड़ाने वाले सुरेंद्र चौधरी पहलीं बार मुंबई से एक यात्री के रूप में स्पाइस जेट के विमान से जब दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरे तो वे भावुक हो उठे.

ये भी पढ़ें- मिथिला के पहले पायलट रहे कैप्टन सुरेंद्र चौधरी, दरभंगा एविएशन के सुनहरे दिनों को किया याद

विमान से जाता था अखबार
ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत में कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने दरभंगा एविएशन के पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि उस जमाने में छोटे-छोटे विमान हुआ करते थे. जो एक सीटर और दो सीटर होते थे. दरभंगा महाराज के पास उस समय में जल में उतरने वाले विमान भी थे. महाराजा कामेश्वर सिंह के जिस विमान को वे उड़ाते थे, वह रॉयल विमान था और उसे पूरी तरह मेंटेन रखा जाता था. उस समय विमान से ही दरभंगा स्टेट की ओर से प्रकाशित मशहूर अखबार इंडियन नेशन पूरे बिहार और बंगाल के कई इलाकों में सुबह-सुबह भेजा जाता था.

देखें रिपोर्ट

महराजा को ले आते थे और जाते थे
उन्होंने कहा कि वे 1959 में दरभंगा एविएशन कंपनी से पायलट के तौर पर जुड़े थे. उनके पहले दरभंगा एविएशन के अधिकतर पायलट अंग्रेज या भारत के दूसरे इलाकों के होते थे. महाराजा कामेश्वर सिंह के डेकोटा एयरलाइन्स के सर्वेसर्वा अंग्रेज हुआ करते थे. 1962 में महाराजा कामेश्वर सिंह के निधन के पहले तक वे उनका विमान उड़ाते थे. वह महाराजा को दिल्ली और कोलकाता ले जाते और वहां से दरभंगा ले आते थे.

ये भी पढ़ें- 5 सीटों वाली पार्टी के विधायक से CM नीतीश ने क्यों कहा- 'जा रहे हैं तो जाइये, लेकिन अकेले रह जाइयेगा'

दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरना ईश्वरीय देन है
दरभंगा के आकाश में कभी वे एक पायलट के रूप में विमान उड़ाते थे. अब जब उनको एक यात्री के रूप में मुंबई से स्पाइस जेट के विमान पर सवार होकर दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरने का मौका मिला है, तो वे इसे ईश्वरीय देन मानते हैं. उन्होंने कहा कि वे दरभंगा एयरपोर्ट पर विमान से उतरने की उम्मीद छोड़ चुके थे. लेकिन यहां आकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है.

दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य पटना से अच्छा है
उन्होंने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य पटना एयरपोर्ट से ज्यादा अच्छा है. अभी यहां से खाड़ी देशों के लिए सेवा शुरू होनी बाकी है. जिसका बहुत स्कोप है. उत्तर बिहार की जनसंख्या बहुत बड़ी है, जो इस एयरपोर्ट पर निर्भर है. दरभंगा शहर और आसपास के इलाके के विस्तार की संभावनाएं पटना की तुलना में अधिक है. दरभंगा में कई तरह के व्यवसाय और रोजगार इस एयरपोर्ट की वजह से शुरू होंगे. इसलिए इस एयरपोर्ट का भविष्य उज्ज्वल है.

दरभंगा: 1940 के दशक में दरभंगा स्टेट की ओर से संचालित दरभंगा एविएशन भारत की शुरुआती विमानन कंपनियों में से एक थी. जहां सिविल उड़ानों की सुविधा थी. दरभंगा एयरपोर्ट का देश और दुनिया में गौरवशाली इतिहास रहा है. इस एयरपोर्ट पर महाराजा कामेश्वर सिंह के खास विमान पर सवार होकर देश और दुनिया की कई जानी-मानी हस्तियां उतर चुकी हैं. उस जमाने में दरभंगा-कोलकाता उड़ानों का लाभ आम व्यापारियों को भी मिलता था.

पहली बार दरभंगा एअरपोर्ट पर उतरे
महाराजा कामेश्वर सिंह की मृत्यु के पहले तक उनके पायलट रहे और बाद में एयर इंडिया के जीएम पद से रिटायर्ड 85 साल के कैप्टन सुरेंद्र चौधरी एक कार्यक्रम में शामिल होने दरभंगा पहुंचे. कभी पायलट के रूप में दरभंगा में महाराजा कामेश्वर सिंह का विमान उड़ाने वाले सुरेंद्र चौधरी पहलीं बार मुंबई से एक यात्री के रूप में स्पाइस जेट के विमान से जब दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरे तो वे भावुक हो उठे.

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विमान से जाता था अखबार
ईटीवी भारत संवाददाता से बातचीत में कैप्टन सुरेंद्र चौधरी ने दरभंगा एविएशन के पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि उस जमाने में छोटे-छोटे विमान हुआ करते थे. जो एक सीटर और दो सीटर होते थे. दरभंगा महाराज के पास उस समय में जल में उतरने वाले विमान भी थे. महाराजा कामेश्वर सिंह के जिस विमान को वे उड़ाते थे, वह रॉयल विमान था और उसे पूरी तरह मेंटेन रखा जाता था. उस समय विमान से ही दरभंगा स्टेट की ओर से प्रकाशित मशहूर अखबार इंडियन नेशन पूरे बिहार और बंगाल के कई इलाकों में सुबह-सुबह भेजा जाता था.

देखें रिपोर्ट

महराजा को ले आते थे और जाते थे
उन्होंने कहा कि वे 1959 में दरभंगा एविएशन कंपनी से पायलट के तौर पर जुड़े थे. उनके पहले दरभंगा एविएशन के अधिकतर पायलट अंग्रेज या भारत के दूसरे इलाकों के होते थे. महाराजा कामेश्वर सिंह के डेकोटा एयरलाइन्स के सर्वेसर्वा अंग्रेज हुआ करते थे. 1962 में महाराजा कामेश्वर सिंह के निधन के पहले तक वे उनका विमान उड़ाते थे. वह महाराजा को दिल्ली और कोलकाता ले जाते और वहां से दरभंगा ले आते थे.

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दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरना ईश्वरीय देन है
दरभंगा के आकाश में कभी वे एक पायलट के रूप में विमान उड़ाते थे. अब जब उनको एक यात्री के रूप में मुंबई से स्पाइस जेट के विमान पर सवार होकर दरभंगा एयरपोर्ट पर उतरने का मौका मिला है, तो वे इसे ईश्वरीय देन मानते हैं. उन्होंने कहा कि वे दरभंगा एयरपोर्ट पर विमान से उतरने की उम्मीद छोड़ चुके थे. लेकिन यहां आकर उन्हें बेहद खुशी हो रही है.

दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य पटना से अच्छा है
उन्होंने कहा कि दरभंगा एयरपोर्ट का भविष्य पटना एयरपोर्ट से ज्यादा अच्छा है. अभी यहां से खाड़ी देशों के लिए सेवा शुरू होनी बाकी है. जिसका बहुत स्कोप है. उत्तर बिहार की जनसंख्या बहुत बड़ी है, जो इस एयरपोर्ट पर निर्भर है. दरभंगा शहर और आसपास के इलाके के विस्तार की संभावनाएं पटना की तुलना में अधिक है. दरभंगा में कई तरह के व्यवसाय और रोजगार इस एयरपोर्ट की वजह से शुरू होंगे. इसलिए इस एयरपोर्ट का भविष्य उज्ज्वल है.

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